Success Story IFS Mentor Mayank Malviya: “हार के जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं”- यह पंक्ति अगर किसी पर सटीक बैठती है तो वो हैं मयंक मालवीय। IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी बनने का सपना देखा और उसी दिशा में जुट गए। कई वर्षों तक कठिन परिश्रम के बावजूद, उन्होंने बार-बार UPSC परीक्षा में इंटरव्यू तक की सफलता पाई, लेकिन अंतिम चयन सूची में जगह नहीं बना सके।
यह वह मोड़ था, जहां अधिकांश युवा निराशा में हार मान लेते हैं। लेकिन मयंक ने अपने सेल्फ कॉन्फिडेंस और जुझारुपन से साबित किया कि असफलता अंत नहीं होती, बल्कि नए लक्ष्य की शुरुआत होती है। मयंक ने बंसल न्यूज से खास बातचीत की और अपने सपने के बारे में बताया कि किस तरह उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर अब IFS के लिए बच्चों को तैयार करते हैं।
एक छोटे से कस्बे में खड़ा किया बड़ा सपना
साल 2021 में मयंक ने अपने एक दोस्त लॉरेंस कैन्यन के साथ मिलकर सीमित संसाधनों और विशाल अनुभव के साथ अपने गृहनगर सोहागपुर (होशंगाबाद, मध्यप्रदेश) में ही ‘प्लैनेट जियोलॉजी’ नाम से एक ऑनलाइन क्लासरूम और कोचिंग संस्थान की शुरुआत की। उन्होंने स्टूडेंट्स के लिए एक पोर्टल क्रिएट किया, जहां से IFS एस्पिरेंट्स अपने हिसाब से लर्निंग मैटेरियल प्राप्त करते हैं और डाउट भी पूछ सकते हैं।
मयंक का उद्देश्य छात्रों को मार्गदर्शन देना
कोचिंग से मयंक का उद्देश्य काफी सिम्पल था कि IFS और सिविल सर्विस जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को मार्गदर्शन देना और उन्हें सफलता की राह पर अग्रसर करना, जिसकी कमी से शायद कभी उनका सेलेक्शन नहीं हो सका था।
आज जब बड़े शहरों में महंगी कोचिंग संस्थाएं सफलता का दावा करती हैं, वहीं सोहागपुर जैसे छोटे कस्बे से निकली यह कोचिंग सफलता के नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। खास बात यह है कि IFS की तैयारी के लिए यह उनकी संस्था बच्चों से ज्यादा फी भी नहीं लेती और सस्ते में ही रीडिंग पैकेज प्रोवाइड करा देती है।
तीन साल में दिए 100+ IFS अधिकारी
आपको बता दें, मयंक के संस्थान के तीन वर्षों के अंदर ही परिणाम चौंकाने वाले रहे। 2024 के परिणाम तो और भी शानदार रहे, इसबार कोचिंग से 48+ छात्र चयनित हुए, और टॉप-25 में से 15 स्थानों पर प्लेनेट जियोलॉजी के ही छात्र रहे।
मयंक (Success Story IFS Mentor) ने बंसल न्यूज से बताया कि जब ‘प्लैनेट जियोलॉजी’ की शुरूआत की थी तब पहले ही साल उनके कोचिंग से 24 एस्पिरेंट्स IFS में सेलेक्ट हुए थे, इसके बाद पिछले साल (2023), 36 एस्पिरेंट्स सेलेक्ट हुए और इस बार लगभग 50 बच्चों का सेलेक्शन काफी खुशी देती है, लगता है कि हमारी मेहनत रंग ले आई। यह न केवल मयंक और उनके टीम की मेहनत और अनुभव का नतीजा है, बल्कि यह दिखाता है कि यदि मार्गदर्शन सही हो तो संसाधनों की कमी सफलता की राह में बाधा नहीं बनती।
किराने की दुकान चलाते हैं मयंक के पिता
बता दें, मयंक के पिता सोहागपुर में किराने की दूकान चलाते हैं, जो वन विभाग के काफी करीब है। इसलिए, विभाग के अधिकारी अक्सर राशन और अन्य सामान के लिए उनकी दूकान पर आते रहते थे। मयंक भी कभी-कभी पिता का हाथ बंटाने के लिए दूकान पर जाया करते थे, और अधिकारियों को देखते तो सोंचते कि मुझे भी ऐसा बनना है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
जो खुद अफसर नहीं बन सके, उन्होंने दर्जनों अफसर बना दिए
मयंक मालवीय (Success Story IFS Mentor Mayank Malviya) आज खुद भारतीय वन सेवा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उनके छात्रों की उपलब्धियों ने उन्हें सेवा से बड़ा योगदानकर्ता बना दिया है। उनकी कहानी एक मिसाल है कि अगर आप अपनी असफलता से सीख लें और हार नहीं मानें, तो आप दूसरों की जिंदगी बदलने वाले बन सकते हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा बने मयंक मालवीय
मयंक की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो बार-बार की असफलता से टूट जाता है। उन्होंने दिखाया कि सपनों का रास्ता भले बदल जाए, लेकिन अगर मेहनत और विश्वास बना रहे तो सफलता जरूर मिलती है- कभी खुद के लिए, तो कभी दूसरों के लिए।
मयंक मालवीय आज अकेले नहीं हैं, बल्कि वह उन सैकड़ों युवाओं के सपनों का आधार हैं, जो अब भारतीय वन सेवा में देश की सेवा कर रहे हैं। सोहागपुर से निकली यह कहानी देश भर के युवाओं के लिए उम्मीद की लौ है, जो यह सिखाती है कि असफलता अंत नहीं, एक नई शुरुआत होती है।
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