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Success Story: 5वीं में माता-पिता से क्यों कहा नवोदय भेज दो? IAS जयवर्धन ने जॉब करते हुए ऐसे की UPSC CSE की तैयारी

Success Story: आज अफसरनामा सीरीज में हम IAS एस जयवर्धन की सक्सेस स्टोरी लेकर आए हैं। यहां आप जानेंगे कि उन्होंने किस तरह से यूपीएससी की तैयारी की।

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Vishalakshi Panthi
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Success Story: आज अफसरनामा सीरीज में हम ऐसे आईएएस अधिकारी के बारे में जानेंगे जो आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। साल 2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। एमटेक करने के बाद आईआरटीएस में उनका सिलेक्शन हुआ और उसके बाद यूपीएससी क्रैक करके वो आईएएस बने। हम बात कर रहे हैं, 2014 बैच के आईएएस अधिकारी एस जयवर्धन साहब की। 

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आईएएस अधिकारी एस जयवर्धन का जन्म विशाखापटन्म में हुआ और उनके माता-पिता भी विशाखापटनम डिस्ट्रिक्ट से ही हैं। आईएएस जयवर्धन बताते हैं कि वे चार भाई बहन हैं- तीन भाई और एक बहन। वे भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। आगे आईएएस जयवर्धन ने बताया कि पिताजी की जॉब ट्रांसफरेबल थी। तो जगह-जगह ट्रांसफर होने के बाद अल्टीमेटली फैमिली विशाखापटनम ही सेटल हुई। बचपन बहुत अच्छा रहा और मैं नवोदय का भी स्टूडेंट रहा हूं तो नवोदय में हॉस्टल लाइफ भी गुजार के वो एक्सपीरियंस भी बहुत अच्छा रहा है।

5वीं कक्षा में खुद से नवोदय के लिए अप्लाई करने पहुंच गए ये अधिकारी

आगे आईएएस जयवर्धन अपनी नवोदय की लाइफस्टाइल और एक्सपीरिएंस के बारे में बताते हैं कि हम लोग जब फिफ्थ क्लास में थे, हमारे दोस्तों के साथ खेल रहे थे। हमारे ग्रुप के दोस्तों में से एक ने बताया कि एक स्कूल नया खुला है। मेरे दोस्त ने बताया कि वहां फ्री में एजुकेशन मिल रही है और फ्री में हॉस्टल रेसिडेंशियल फैसिलिटी और सब कुछ फ्री है। साथ ही एजुकेशन का पूरा भार मेरे पेरेंट्स के ऊपर नहीं रहेगा। इसलिए पहली बार जब सुना इट वाज लाइक रेवोल्यूशनरी क्योंकि तब तक हम लोग प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे। तो फिर दोस्तों के साथ मैं भी डीओ ऑफिस चला गया, एप्लीकेशन लेके फिर घर आके मैंने अपने पिताजी को बताया कि ये रेसिडेंशियल स्कूल है और ये फ्री ऑफ कॉस्ट स्कूल है। 

माता-पिता पर बर्डन नहीं बनना चाहते थे 

मुझे लगा कि फ्री एजुकेशन लेना एक क्रांतिकारी काम है। मैं अपने पेरेंट्स के ऊपर बर्डन न बनने वाला हूं। ये उसी समय से था कुछ, फिर उसके बाद पेरेंट्स ने एप्लीकेशन को भरवाया। क्योंकि ये मेरा फैसला था तो जब मैंने नवोदय जॉइन किया, मैं बहुत खुश था। आपके साथ आपके जैसे ही बच्चे रहते हैं, आप ग्रुप बना लेते हैं तो अच्छा लगने लगता है। छुट्टियां आती हैं तो आप वैसे भी घर जाते ही हैं, इस समय में दिन गिनने होते हैं। 

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बता दें, आईएएस जयवर्धन ही अपने भाई-बहनों में एक ऐसे हैं जो नवोदय पढ़ने गए। हालांकि उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई सैनिक स्कूल गए थे। जब वे घर आते थे तो उन्हें थोड़ा खास ट्रीटमेंट मिलता था, तो ये भी एक फैक्टर था कि हमको भी प्रिफरेंशियल ट्रीटमेंट मिलेगा। इसके अलावा दूसरा फैक्टर फ्री एजुकेशन था, इसलिए मुझे भी जाना चाहिए। 

कंप्यूटर की फील्ड में ऐसे ली एंट्री 

आईएएस जयवर्धन ने बताया कि उन्होंने जूनियर कॉलेज के फर्स्ट ईयर (यानी 11वीं) में एमपीसी लिया यानी मैथ्स, फिजिक्स और कैमिस्ट्री। उन्होंने कंप्यूटर फील्ड में जाने के बारे में बताया कि उस समय एक पीरियड था कि सभी नौकरियां कंप्यूटर की फील्ड में ही बची हैं। इनफैक्ट इंजीनीयरिंग में भी दूसरे-दूसरे ब्रांच के लोग भी कंप्यूटरटर्स में ऑप्ट कर रहे थे। इसके साथ ही इंजीनीयरिंग में नौकरियां भी बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में ही आती थीं। उस समय के जनरेशन में तो हम सबका कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ही तय रहता था। ये एक नेचुरल चॉइस बन गई इसलिए हमने उसी में पढ़ाई की। 

ऐसे शुरू हुई यूपीएससी की जर्नी 

आईएएस जयवर्धन ने बताया कि उनकी बहन आईआरएस अधिकारी हैं। हमारे परिवार में सबसे पहले नौकरी पाएं और एकदम सेटल हो जाएं, यही प्रायोरिटी है। चूंकि आय का स्रोत बहुत जरूरी था तो हम लोग नौकरी के लिए पहले से ही तैयारी कर रहे थे। मेरी सिस्टर और मेरी नौकरी साथ ही लगी। सिविल सर्विसेज बहुत कठिन एग्जाम है, लेकिन मैं हमेशा सोचता था कि एक बार ट्राई करना है। लेकिन एक बार जॉब लगने के बाद मैं कंफर्टेबल हो गया और मैंने घर में ही पढ़ना शुरू कर दिया। इसके बाद जब चीजें सेटल होने लगीं तो सिविल सर्विसेज का मेन्स हो रहा था तो मुझे लगा कि मुझमें काबीलियत है। इसके बाद मैंने इसे और गंभीरता से लिया। 

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जॉब के साथ-साथ की UPSC की तैयारी 

जब आईएएस जयवर्धन से पूछा गया कि यदि उनका यूपीएससी में सिलेक्शन नहीं होता तो आज वे ऑस्ट्रेलिया में होते, तो उन्होंने बताया कि यूपीएससी को लेकर उन्हें थोड़ा सेल्फ डाउट था कि क्लियर हो पाएगा या नहीं। आगे उन्होंने कहा- और मैं खुद को घर पर एक और बर्डन नहीं बनाना चाह रहा था। मेरी पहली प्रायोरिटी यही थी कि पहले सेटल हो जाएं उसके बाद फिर अपने आप से प्रयास करूंगा। यही कारण है कि पहले जॉब में मैंने अपने आप को सेट कर लिया। मैंने नौकरी साथ में रखते हुए ही पढ़ाई की। मैं जॉब के साथ-साथ यूपीएससी के लिए पढ़ाई कर रहा था। 

आगे वे कहते हैं कि आज के समय में कोई भी नौकरी बहुत चैलेंज से भरी हुई है। प्राइवेट जॉब्स में तो अब ऐसा है कि हर सेकंड आपकी जवाबदारी तय होती है। जॉब के साथ तैयारी करना थोड़ा सा मैनेज करना पड़ता क्योंकि प्राइवेट नौकरी में डिलीवरेबल्स बहुत जरूरी होते हैं। मैं मानता हूं कि यूपीएससी की पढ़ाई करने के लिए आपका एक डिसिप्लिन होना चाहिए। उस हिसाब से अगर आप टाइम डिस्ट्रीब्यूट करके पढ़ेंगे तो कर सकते हैं। 

एस्पीरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

आईएएस जयवर्धन ने कहा कि मुझे लगता है, नॉलेज एक ही होता है। यदि 10 किताबों में एक ही सब्जेक्ट के बारे में लिखा है तो आपको 10 किताबों को पढ़ने की जरूरत नहीं है। एक किताब को अच्छी तरह से पढ़ लें और उसका कोई रिफ्रेंस किसी और बुक में भी है तो एक बार देख लें, बस इतना ही काफी है। आज के समय में यदि इन्फॉर्मेशन ओवरलोड है तो आपको एक ही सोर्स पर विश्वास करना पड़ेगा। 

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छत्तीसगढ़ काडर मिलने पर आईएएस जयवर्धन ने बताया कि मेरे को बहुत अच्छा लगा क्योंकि छत्तीसगढ़, आंध्रा से बहुत पास में है। बट एकेडमी जाने के बाद थोड़ा सा लगा कि छत्तीसगढ़ में अभी भी समस्या है। लेकिन बहुत सारे हमारे सीनियर ऑफिसर्स एकेडमी में लेक्चर्स देने आते थे। तो उसी समय से हमको एक पॉइंट था कि वहां पर चैलेंजेस हैं लेकिन काम करने के लिए एक बहुत अच्छा प्लेटफार्म मिलेगा।

परिवार का सपोर्ट है जरूरी

पर्सनल लाइफ में फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। प्रोफेशनल लाइफ का जितना भी स्ट्रेस है वो कभी कहीं ना कभी पर्सनल लाइफ पे भी आ जाता है। तो फिर उस समय वो अगर अंडरस्टैंडिंग रहते हैं तो उसमें बहुत हेल्प मिल जाती है। मैं अपनी फैमिली का बहुत शुक्रगुजार हूं, खासकर मेरी पत्नी का कि वो हमेशा मेरी जॉब के प्रति अंडरस्टैंडिंग और रिस्पैक्टफुल रहीं।

कुपोषण पर किया काम

आगे आईएएस जयवर्धन बताते हैं कि हम लोगों ने कुपोषण के लिए अच्छा काम कराने की कोशिश की है। कुपोषण मुक्ति के लिए नॉट माल न्यूट्रिशन पर से माल न्यूट्रिशन को कम करने के लिए हमने प्रयास किए। इसके अलावा एजुकेशन में भी काम करने की कोशिश की है। साथ ही जो बेसिक सेटअप है इंफ्रास्ट्रक्चर को शुरू कराने के लिए उसमें भी हमने प्रयास किया। 

सूरजपुर में भी कुपोषण पर काम 

फिलहाल आईएएस जयवर्धन सूरजपुर में कार्यरत हैं। जब हमने उसने सूरजपुर के एक्सपीरिएंस के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया- यहां बहुत स्कोप है। इसमें आपके पास एचआर और फाइनेंशियल रिसोर्स की भी कमी नहीं है। थोड़ा सा आप प्लान अच्छा करेंगे तो यहां अच्छा काम हो सकता है। उसमें प्रयास यही रहेगा कि हमारे कुछ ब्लॉक्स हैं जो अभी भी थोड़े पिछड़े हैं। वहां ज्यादा फोकस करके काम करने का प्रयास करेंगे। हम सूरजपुर में भी प्रयास कर रहे हैं कि कुपोषण मुक्ति के बारे में एजुकेशन में प्रतापपुर ब्लॉक में थोड़ा सा इनिशिएटिव करने का प्रयास करेंगे और साथ ही बाकी राजस्व मामलों को लेके यहां पर एक इशू रहता है। प्रयास यही कर रहे हैं कि एक पारदर्शिता के साथ राजस्व न्यायालयों को अच्छा संचालन करने के लिए प्रयास करेंगे।

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