Success Story: भारत में लंबे समय से ‘ब्रेन ड्रेन’ के विषय पर चर्चा होती रहती है। अक्सर कहा जाता है कि युवा यहां से पढ़ाई करके विदेशों में चले जाते हैं। लेकिन कई ऐसे युवा भी हैं, जो विदेशों में लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर देश की सेवा करने के लिए लौट आते हैं। उनमें से ही एक हैं अंजली विश्वकर्मा(Anjali Vishwakarma)।
2021 बैच की आईपीएस
अंजली विश्वकर्मा 2021 बैच की आईपीएस(IPS) हैं। वर्तमान में इनकी ट्रेनिंग चल रही है। वह अभी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के बरुआसागर थाने में बतौर थानाध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मी अंजली ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई देहरादून में की थी।
इसके बाद वह आईआईटी कानपुर में बीटेक करने वापस आ गई। उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग को चुना और पढ़ाई पूरी करने के साथ ही उन्हें एक ऑयल कंपनी में नौकरी मिल गई।
यूएई में हुई ट्रेनिंग
ऑयल कंपनी में नौकरी के दौरान उनकी सैलरी 4 से 5 लाख रुपए प्रति माह थी। जहां उनकी ट्रेनिंग यूएई ही में हुई। इसके बाद वह नॉर्वे मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, न्यूजीलैंड जैसे देशों में काम के सिलसिले में आती-जाती रहीं। देश- दुनिया घूमने के बाद भी उनका मन हिंदुस्तान से ही जुड़ा रहा।
यूपीएससी की तैयारी के लिए पूरे पैसे खुद जोड़ें
न्यूजीलैंड में नौकरी के दौरान ही उन्होंने ये तय किया कि वह भारत वापस लौटेंगी और यूपीएससी(UPSC) की परीक्षा की तैयारी करेंगी। साथ ही ये भी तय किया कि तैयारी के दौरान होने वाले अपने खर्चे की जिम्मेदारी भी वह खुद ही उठाएंगी। फिर जब अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए पूरे पैसे जोड़ लिए तो उन्होंने पढ़ाई शुरू कर दी।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
वापस आकर उन्हेंने तैयारी शुरू की और भूगोल (geography) को अपने सब्जेक्ट के रूप में चुना। पहला प्रयास उन्होंने 2019 में दिया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। 2020 में उन्होंने दोबारा प्रयास किया और इस बार आईपीएस और इंडियन फॉरेस्ट सर्विस दोनों के लिए उनका चयन हो गया। लेकिन, उन्होंने आईपीएस को चुना।
महिला IPS ने बताया सफलता का राज
अंजली कहती हैं कि उन्हें हमेशा से पढ़ने का और कुछ नया सीखने का शौक रहा है। जिस काम को भी वह करना शुरू करती हैं, उसमें बिलकुल पारंगत होना चाहती हैं। यूपीएससी की परीक्षा उन्होंने दी और चयन होने के बाद अब वह अपनी नौकरी से संतुष्ट हैं। अंजली ने कहा कि उनका कोई खास रोल मॉडल नहीं था। उनके दोस्त भी साथ में तैयारी कर रहे थे। उनसे ही उन्हें प्रेरणा मिलती रही। आज वह जो काम कर रही हैं, उससे वह जनता की मदद कर सकती हैं।
अंजली बताती है कि उन्होंने कॉलेज में ही यह तय कर लिया था कि उन्हें डेस्क जॉब नहीं करनी है। वह बचपन से ही खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रहती थीं। पढ़ाई के साथ अन्य एक्टिविटीज में भी वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी।
इसी वजह से आईपीएस बनकर भी वह कई प्रकार के काम करती हैं। अलग-अलग तरह की समस्याएं और उनका समाधान खोजना उन्हें अच्छा लगता है।
अंजली ने तैयारी कर रहे युवाओं को मंत्र भी दिया। उन्होनें कहा कि लक्ष्य निर्धारित करके उसी दिशा में काम करना चाहिए। सोशल मीडिया और किताबों के बीच में बैलेंस बनाना जरूरी है। अपनी प्राथमिकताएं आपको खुद तय करनी होंगी।
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