Aaj Ka Mudda भोपाल। चुनावी साल में आदिवासी वोटर सियासत के सेंटर में हैं। तो एक बार फिर आदिवासी सीएम की मांग को हवा मिल गई है। जो खुद कांग्रेस के लिए विस्फोटक साबित हो सकती है। विधायक उमंग सिंघार आदिसावी सीएम बनाने की मांग कर रहे है।
सिंघार का किस पर घात?
इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए खुद पीसीसी चीफ और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया का नाम भी आगे बढ़ाया है। एक तरफ तो दिग्विजय सिंह हर विधानसभा में पहुंचकर कमलनाथ को ही सर्वेसर्वा बता रहे है। ऐसे में उमंम सिंघार का ये बयान विरोधाभास पैदा कर गया।
सज्जन वर्मा ने दी समझाइश
हालांकि समय रहते कांग्रेस के ही नेता का बयान सामने आया पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने समझाइश भरे लहजे में कहा कि इन नेताओं अपने इलाका का दौरा कर पकड़ मजबूत करनी चाहिए।
कमलनाथ ने भी दिया सुझाब
तो कमलनाथ ने सदे हुए अंदाज में जबाव दे दिया। बात कांतिलाल भूरिया की हो या पूर्व उपमुख्यंत्री की शिव भानु सिंह सोलंकी की। कांग्रेस में दशकों से आदिवासी सीएम की मांग उठती रही है। कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने अपने साथियों को सलाह तो दे दी लेकिन बीजेपी को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया।
नरोत्तम मिश्रा ने खुद को सिंघार के बयानों का कायल बतया तो वहीं आदिवासियों के मुद्दे को लेकर भी आरोप मढ़ दिए। जाहिर है साल 2018 में आदिवासी वोटर्स ने गेम पलटा था। और कांग्रेस की सरकार बनाने में करीब 22 फीसदी आदिवासियों ने अमह भूमिका निभाई थी।
बीजेपी आदिवासियों पर है फोकस
बीजेपी इस बात को बखूबी समझती है। इसलिए आदिवासियों इलाकों में बात पीएम मोदी की सभाओं की हो या जनजाति गौरव दिवस और रानीकमलापित स्टेशन की और बीजेपी पूरी तरह से इस तरफ फोकस कर रही है। लेकिन कांग्रेस में उठी ये मांग अंदरुनी कलह के घाव को हरा जरूर कर सकती है।
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