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इस्पात, सीमेंट क्षेत्र की बड़ी कंपनियां साठगांठ के तहत कर रही काम, नियामक बनाने की जरूरत: गडकरी

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Bhasha
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मुंबई, 10 जनवरी (भाषा) केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस्पात और सीमेंट क्षेत्र के लिये नियामक बनाने पर जोर देते हुये कहा है कि इस्पात और सीमेंट क्षेत्र की बड़ी कंपनियां दाम बढ़ाने के लिये आपसी साठ-गांठ के तहत काम कर रही हैं।

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गडकरी ने कहा कि यदि इस्पात और सीमेंट के दाम इसी तरह बढ़ते रहे, तो भारत को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा करना मुश्किल होगा। उनका इशारा अगले पांच साल के दौरान अर्थव्यवस्था में 111 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की तरफ था।

यहां यह गौर करने वाली बात है कि इस्पात और सीमेंट उद्योग पर इस तरह की साठगांठ के आरोप पहले भी लगाये गये हैं। खासतौर से रियल एस्टेट उद्योग ने ऐसे आरोप लगाये हैं। रियल एस्टेट उद्योग भी जरूरत का सामान महंगा होने की शिकायत करते हुये लागत बढ़ने की बात करता रहा है।

गडकरी ने शनिवार को बिल्डर्स एसोसियेसन ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये कहा, ‘‘जहां तक इस्पात और सीमेंट की बात है यह हम सभी के लिये बड़ी समस्या है ... वास्तव में मेरा मानना है कि यह इस्पात और सीमेंट क्षेत्र के कुछ बड़े लोगों का किया धरा है, जो कि साठगांठ के जरिये यह कर रहे हैं।’’

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गडकरी ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श किया है और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव के साथ भी लंबी चर्चा हुई है।

उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग में सभी के पास अपनी खुद की लौह अयस्क खानें हैं और उन्हें श्रम अथवा बिजली की दरों में कृषि वृद्धि को भी नहीं वहन करना पड़ रहा है। फिर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा कि इस्पात उद्योग किस प्रकार दाम बढ़ाने में लगा है।

सीमेंट उद्योग के बारे में उन्होंने कहा कि वह स्थिति का फायदा उठाते हुये दाम बढ़ा रहा है। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि ढांचागत क्षेत्र में परियोजनाओं की पाइपलाइन को ध्यान में रखते हुये दोनों उद्योगों का यह रुख राष्ट्रीय हित में नहीं है।

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गडकरी ने कहा, ‘‘हम इसके लिये समाधान तलाशने की प्रक्रिया में हैं। आपका (बिल्डर्स एसोसियेसन का) इस्पात और सीमेंट क्षेत्र के लिये एक नियामक बनाने का सुझाव है जो कि अच्छा सुझाव है, मैं इसको देखूंगा।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि नियामक बनाना उनके हाथ में नहीं है, लेकिन उन्होंने वादा किया कि वह प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिये वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे।

भाषा

महाबीर सुमन

सुमन

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