Soybean Farming: देशभर में खरीफ सीजन की तैयारियां जोरों पर हैं और इस साल मॉनसून के समय से पहले दस्तक देने की संभावना ने किसानों की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। ऐसे में सोयाबीन की खेती करने का यह सबसे बेहतरीन समय है। विशेषज्ञों का कहना है कि 15 जून से 15 जुलाई के बीच सोयाबीन की बुवाई सबसे लाभकारी रहती है, जब बारिश की शुरुआत हो चुकी होती है और मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है।
मिट्टी की तैयारी से तय होती है उपज
सोयाबीन की अच्छी फसल के लिए दोमट मिट्टी और बेहतर जल निकासी वाला खेत सबसे उपयुक्त माना जाता है। खेत तैयार करते समय जैविक कार्बन से भरपूर मिट्टी और गोबर की सड़ी खाद का उपयोग अत्यंत जरूरी है। शुरुआत में 2 बार मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से जुताई, फिर देसी हल और पाटा चलाकर खेत को समतल करना चाहिए। इसके बाद प्रति एकड़ में 1000 लीटर संजीवक खाद डालकर मिट्टी को जीवंत और उपजाऊ बनाया जा सकता है।
गोबर की खाद और उर्वरक का सही इस्तेमाल देगा जबरदस्त उत्पादन
बुवाई (Soybean Farming) से 20-25 दिन पहले प्रति हेक्टेयर 5-10 टन गोबर की सड़ी खाद डालना बेहद फायदेमंद होता है। यदि किसान मिट्टी परीक्षण नहीं करवा पाए हैं तो उन्हें उन्नत किस्म की बुवाई के लिए 20-25 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फास्फोरस, 40-50 किलो पोटाश और 20-25 किलो गंधक का संतुलित मिश्रण डालना चाहिए। यह खाद बीज की अंकुरण दर और पौधे की वृद्धि को बढ़ावा देता है। हालांकि, इन उर्वरकों का प्रयोग किसी कृषि अधिकारी की सलाह से ही करना बेहतर रहेगा।
बीज की मात्रा और दूरी से जुड़े हैं उत्पादन के राज
बीजों की क्वालिटी के साथ-साथ उनकी मात्रा और बोआई की दूरी भी पैदावार को सीधे प्रभावित करती है। मोटे बीजों के लिए 80-85 किग्रा, मध्यम के लिए 70-75 किग्रा और छोटे बीजों के लिए 60-65 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है।
बुवाई करते समय पंक्तियों में 45×5 सेमी की दूरी रखनी चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिल सके। साथ ही, बीजों का उपचार बहुत जरूरी है — प्रति किलो बीज पर 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम लगाकर फफूंद जनित बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
खरपतवार नियंत्रण है जरूरी
बुवाई (Soybean Farming) के बाद खेत में खरपतवार तेजी से पनपते हैं, जो पोषक तत्वों को सोखकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए बुवाई के 30वें और 45वें दिन खेत में निराई-गुड़ाई करना अनिवार्य है। इससे न सिर्फ पौधों को बढ़ने के लिए जगह मिलती है बल्कि मिट्टी भी ढीली होकर पानी और हवा को बेहतर तरीके से सोख पाती है।
MP और महाराष्ट्र बने मॉडल राज्य
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य सोयाबीन उत्पादन के केंद्र बन चुके हैं। यहां के किसानों ने वैज्ञानिक तरीकों और उन्नत तकनीक से खेती कर बंपर मुनाफा कमाया है। वर्तमान मौसम की अनुकूलता और सरकारी योजनाओं के सहयोग से यह समय सोयाबीन की खेती शुरू करने के लिए आदर्श है। यदि किसान समय पर बुवाई और सही तैयारी करें, तो इस खरीफ सीजन में बंपर उत्पादन और बेहतरीन आमदनी पक्की है।
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