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हाइलाइट्स
- सोशल एक्टिविस्ट सोनल वांगचुक की पत्नी ने SC में लगाई याचिका
- NSA हिरासत को बताया अवैध
- लद्दाख में प्रदर्शन के दौरान हिंसा का मामला
Sonam Wangchuk Case Update: लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई को लेकर उनकी पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई हैं। उन्होंने 2 अक्टूबर को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हेबियस कॉर्पस याचिका दायर कर गिरफ्तारी को अवैध बताया और तत्काल रिहाई की मांग की।
वांगचुक को 24 सितंबर को लेह में भड़की हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेजा गया था। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी। 26 सितंबर को उन्हें औपचारिक रूप से रासुका में हिरासत में लिया गया। हालांकि, अंगमो का आरोप है कि एक सप्ताह बीतने के बाद भी उन्हें डिटेंशन ऑर्डर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर भी लिखा कि अब तक उन्हें पति की सेहत और नजरबंदी की वजहों की कोई जानकारी नहीं मिली। इस बीच लेह की स्थानीय जेल से 56 आंदोलनकारियों में से 26 को छोड़ दिया गया है, जबकि 30 अभी भी बंद हैं।
हेबियस कॉर्पस क्या है?
हेबियस कॉर्पस एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है – "शरीर को अदालत के सामने लाओ"। यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत हर नागरिक को मिला है। यदि किसी को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है, तो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उसकी रिहाई की मांग की जा सकती है। अदालत पुलिस से गिरफ्तारी से जुड़ी पूरी जानकारी पेश करने को कह सकती है।
लेह में हालात सामान्य होने लगे
नौ दिन तक कर्फ्यू झेलने के बाद प्रशासन ने ढील दी है। अब सुबह 10 से शाम 6 बजे तक दुकानें खुलने लगी हैं और स्कूल भी दोबारा शुरू हो गए हैं। मिनी बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन को भी धीरे-धीरे चालू करने की अनुमति दी गई है।
सरकार से भी लगाई गुहार
गीतांजलि जे. अंगमो ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर वांगचुक की गिरफ्तारी का विरोध किया था। उनका कहना है कि वांगचुक कभी राष्ट्र के लिए खतरा नहीं हो सकते और उनके खिलाफ "विच हंट" चलाया जा रहा है।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो लगातार उठा रही आवाज
2 अक्टूबर – X पर तीखा सवाल
गीतांजलि ने सोशल मीडिया पर लिखा, “क्या भारत सचमुच आज़ाद है?” उन्होंने 1857 के उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि तब अंग्रेजों ने भारतीय सिपाहियों का दुरुपयोग कर करोड़ों भारतीयों पर अत्याचार किया था। आज भी, गृहमंत्रालय के आदेश पर कुछ प्रशासक हज़ारों लद्दाखी पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल 3 लाख लद्दाखियों को दबाने के लिए कर रहे हैं।
1 अक्टूबर – राष्ट्रपति को चिट्ठी
अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपील की कि वे एक आदिवासी होने के नाते लद्दाख की जनता की भावनाओं को समझें। यही पत्र उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा और सोनम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग दोहराई।
28 सितंबर – मीडिया से बयान
पीटीआई से बातचीत में अंगमो ने कहा कि सोनम हमेशा गांधीवादी तरीके से आंदोलन करते आए हैं। 24 सितंबर की हिंसा के लिए उन्होंने केंद्रीय बलों (CRPF) को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही साफ किया कि वांगचुक की पाकिस्तान यात्राएं केवल जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए थीं। उनका कहना था, “हिमालय के ग्लेशियर के पानी में हम भारत-पाकिस्तान की सीमाएं नहीं देखते।”
लद्दाख में प्रदर्शन के दौरान हिंसा कब क्या हुआ
24 सितंबर : को लेह में मौतें 4 और 45 घायल हुए थे। पूर्ण राज्य का दर्जा देने और ६वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन हुआ था।
10 सितंबर: भूख हड़ताल और अनशन चल रहा था
23 सितंबर: अनशन कर रहे दो लोगों की स्थिति बिगड़ी
24 सितंबर : लेह बंद की अपील पर बड़ा प्रदर्शन शुरू हुआ। इसके बाद दोपहर 1 बजे प्रदर्शन हिंसक हुआसुरक्षाबलों की गाड़ियां फूंकीं गईं। फिर BJP कार्यालय में भी आगजनी हुई थी। जिसमें बाद पुलिस ने एक्शन कर आंसू गैस के गोले दागे थे। फिर लाठीचार्ज किया। इसमें 10-12 पुलिसकर्मी घायल हुए थे जिसके बाद में लेह में कर्फ्यू लगाया गया था।
क्या था पूरा मामला
लेह में छात्रों और स्थानीय लोगों ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन सोनम वांगचुक के समर्थन में किया गया, जिसमें भाजपा कार्यालय और CRPF वाहनों को भी नुकसान पहुंचा।
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