Somvati Amavasya 2024 Date: अगर सितंबर में आप सोमवती अमावस्या की तिथि को लेकर कंफ्यूज हैं तो ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या कब है 2 या 3 सितंबर।
अगर आप सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya Date) की सही तिथि को लेकर कंफ्यूज हैं तो चलिए ज्योतिषाचार्य से जानते है।
साथ ही जानना चाहते हैं कि कुशग्रहणी अमावस्या (Kushagrahni Amavasya 2024) क्या कहलाती है, तो चलिए ज्योतिषाचार्य से जानते है, कि सितंबर में सोमवती अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या किस दिन है।
हर महीने आती है अमावस्या तिथि
हर महीने 30 से 31 दिन में दो पक्ष होते हैं। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। जो 15-15 दिन के होते है। इन्हीं दिनों दो अमावस्या तिथि भी आती हैं।
क्या होती है सोमवती अमावस्या (What is Somvati Amavasya)
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार वैसे तो अमवस्या तिथि हर महीने आती है, लेकिन जब ये अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं।
सोमवती अमावस्या पर क्या करना चाहिए
सोमवती अमावस्या पर दान करने का महत्व है। वैसे ये व्रत पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं तुलसी के पौधे की पूजा करके उसकी परिक्रमा करती हैं। अपनी श्रद्धा अनुसार इनकी संख्या पांच, सात, ग्यारत हो सकती है। परिक्रमा करने के लिए किसी भी चीज का उपयोग किया जाता है। इसके बाद उन चीजों को प्रसाद के रूप में बांटने का भी विधान है।
सोमवती अमावस्या पर तुलसी की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सोमवती अमावस्या पर खासतौर पर भगवान विष्णु की प्रिया माता तुलसी की पूजा (Somvati Amavasya Tulsi Puja vidhi) की जाती है। हिन्दू धर्मा और शास्त्र के अनुसार इस दिन तुलसी पूजन का खास महत्व होता है।
इस दिन यदि माता तुलसी 108 बार परिक्रमा की जाए तो ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है।
दूसरे उपाय में इस दिन तुलसी जी को कच्चे दूध के साथ सींचना चाहिए। इसके बाद इसी मिट्टी को माथे पर लगाना चाहिए।
ऐसा करने से आपके घर में सुख-समृद्धि आती है। शाम को तुलसी जी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पितरों के लिए उपाय (Upay)
ऐसा कहते हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं, इसलिए इस दिन पितृदोष दूर करने के लिए उपाय जरूर करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद सरोवर या नदी में आटे से बना दीपक प्रवाहित करने से पितृ देव खुश होते हैं।
सोमवती अमावस्या पर इस समय जलाएं दीपक
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार अमावस तिथि को पितरों की तिथि कहा जाता है। पितृ देव सूर्यास्त के समय अपने लोक वापस गमन करते हैं।
ऐसे में उनके मार्ग में अंधेरा न हो, इसलिए सूर्यास्त के समय दीपक जलाया जाता है।
सोमवती अमावस्या पर शनिदोष दूर करने के उपाय (Shanidosh ke Upay)
ऐसा माना जाता है कि यदि सोमवती अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाया जाए और इसके बाद उनके समक्ष सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए, तो शत्रुओं का नाश होता है, साथ ही इससे शनि दोष से मुक्ति भी मिलती है।
सोमवती अमावस्या पर तुलसी के टोटके (Somvati Amavasya Tulsi ke Totke)
यदि घर के मुख्य द्वार पर तुलसी के पौधे की जड़ बांधी जाए तो इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है साथ ही साथ मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) की कृपा बनी रहती है।
सोमवती अमावस्या तिथि (Somvati Amavasya Date)
इस बार सोमवती अमावस्या सितंबर में 2 तारीख को आएगी। यानी 2 सितंबर सोमवार को आप सोमवती अमावस्या का पूजन, परिक्रमा, उपाय कर पाएंगे।
क्या कहलाती है कुशग्रहणी अमावस्या
आपको बता दें इस बार 2 सितंबर को सोमवती और कुशग्रहणी अमावस्या Kusha Grahani Amavasya 2024 दोनों एक साथ आ रही हैं।
भाद्रपद अमावस्या के दिन वर्ष भर पूजा, अनुष्ठान या श्राद्ध कराने के लिए नदी, मैदानों आदि जगहों से कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाई जाती है। यही कारण है, कि इस अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते है।
नोट: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।
सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा (Somwati Amavasya Katha)
प्राचीन समय में एक ब्राह्मण था, उसकी एक बेटी थी, जिसकी शादी को लेकर वो बहुत चिंतित रहता था। लड़की बहुत सुंदर, सुशील, कामकाज में अच्छी थी, लेकिन फिर भी उसकी शादी का योग नहीं बन रहा था। एक बार उस ब्राह्मण के घर एक साधू महाराज आये, वे उस लड़की की सेवा से प्रसन्न हुए, और उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। फिर उसके पिता ने उन्हें बताया, कि इसकी शादी नहीं हो रही है, साधू ने लड़की का हाथ देखकर कहा, कि इसकी कुंडली में शादी का योग ही नहीं है।
ब्राह्मण घबरा कर उपाय पूछने लगा। तब साधू ने सोच-विचार कर के उसे बोला, कि दूर गाँव में एक सोना नाम की औरत है, वह धोबिन है, और सच्ची पतिव्रता पत्नी है। अपनी बेटी को उसकी सेवा के लिए उसके पास भेजो, जब वो औरत अपनी मांग का सिंदूर इस पर लगाएगी, तो तुम्हारी बेटी का जीवन भी सवर जायेगा।
ब्राह्मण ने अगली ही सुबह उसे सोना धोबिन के यहाँ भेज दिया। धोबिन अपने बेटा बहु के साथ रहती थी। ब्राह्मण की बेटी सुबह जल्दी जाकर घर के सारे काम कर आती थी। 2-3 दिन ऐसा चलता रहा। धोबिन को लगा कि उसकी बहु इतनी जल्दी काम कर के फिर सो जाती है, उसने बहू पूछा। तब बहू ने कहा कि, मुझे लगा आप ये काम करते हो।
धोबिन ने अगली सुबह उठकर छिपकर देखा, कि ये कौन करता है। तब वहां ब्राह्मण की बेटी आई और फिर उसे धोबिन ने पकड़ लिया। धोबिन के पूछने पर उसने अपनी सारी व्यथा सुना दी। धोबिन भी खुश हो गई और उसे अपनी मांग का सिंदूर लगा दिया। ऐसा करते ही धोबिन के पति ने प्राण त्याग दिए।
ये सोमवती अमावस्या का दिन था। धोबिन तुरंत दौड़ते-दौड़ते पीपल के पेड़ के पास गई। परिक्रमा करने के लिए उसके कोई समान नहीं था, तो उसने ईंट के टुकड़ों से पीपल की 108 बार परिक्रमा की।
ऐसा करते ही धोबिन के पति में जान आ गई। इसके बाद से इस दिन का हर विवाहिता के जीवन में विशेष महत्व है, वे अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत-पूजा सम्पन्न करके यह कथा सुनती हैं। कुछ समय बाद ब्राह्मण की कन्या का अच्छी जगह विवाह हो जाता है, और वह अपने पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगती है।
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