Somvati Amavasya 2024: चैत्र माह की सोमवती अमावस्या आज 8 अप्रैल सोमवार को मनाई जा रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह मां दुर्गा की शक्ति के लिए खास माना जाता है। ऐसे में इस माह की सोमवती अमावस्या भी विभिन्न दोषों की मुक्ति के लिए बेहतर अवसर हैं।
अमावस तिथि पितरों और काल सर्प दोष की मुक्ति के लिए विशेष होती है। यदि आप भी इन दोषों से पीड़ित हैं। आज ये उपाय करना न भूलें।
धन प्राप्ति के लिए सोमवती अमावस्या के उपाय
आज सोमवती अमावस्या तिथि पर आर्थिक परेशानी दूर करने के लिए आटे की गोलियां (Aate ki Goli ke Upay) बनाकर किसी जलाशय या नदियों में मछलियों को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से धन से जुड़ी सभी परेशानियां जल्द दूर होने लगती हैंं।
कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय
सोमवती अमावस्या के दिन इस मंत्र का जाप करने से कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
ॐ क्रौं नमोऽस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा ।।
ओम नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः।।
ओम नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात “ओम क्लीम आस्तिकम् मुनिराजम नमोनमः” ।।
व्यापारिक अड़चने दूर करने के उपाय
यदि आप कारोबारी हैं और आपके व्यापार में अड़चने आ रही हैं तो ऐसे में आपको सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसे जलाते समय
कारोबार अगर चल नहीं रहा तो आज के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद ओम नमो भगवते नारायणाय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर तुलसी के उपाय
हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। इस बार चैत्र मास में आने वाली सोमवती अमावस्या बेहद शुभ योगों में आ रही है।
ज्योतिषाचार्य की मानें तो जब सोमवती अमावस्या अगर सोमवार को पड़े तो ये बेहद खास मानी जाती है। इस दिन तुलसी के खास उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह के कार्यों में सफलता मिलने लगती है।
साथ ही इस दिन कुछ खास टोटके करने से व्यक्ति के बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। जानते हैं सोमवती अमावस्या का मुहूर्त क्या है, साथ ही जानेंगे इसके टोटके, उपाय, कथा महत्व और पूजा विधि।
सोमवती अमावस्या पर ये योग
सोमवती अमावस्या चूंकि आज सोमवार के दिन है। अगर अमावस तिथि सोमवार को आए तो बेहद खास मानी जाती है। आज 8 अप्रैल को इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है । जो इस दिन को खास बना रहा है।
अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 8 अप्रैल को दोपहर 3:21 बजे से शुरू
अमावस्या तिथि समाप्ति- रात 23:50 मिनट तक रहेगी।
सोमवती अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या पर तुलसी पूजन खास माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे सौलह श्रृंगार करके माता तुलसी की परिक्रमा करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। इसके अपनी क्षमता के अनुसार तुलसी की परिक्रमा की जाती है।
कई महिलाएं भोजन सामग्री, टॉफी जैसी कई चीजों से मां तुलसी की परिक्रमा करती हैं। इसके अलावा माता तुलसी को सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है।
सोमवती अमावस्या पर तुलसी की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सोमवती अमावस्या पर खासतौर पर भगवान विष्णु की प्रिया माता तुलसी की पूजा (Somvati Amavasya Tulsi Puja vidhi) की जाती है। हिन्दू धर्मा और शास्त्र के अनुसार इस दिन तुलसी पूजन का खास महत्व होता है।
इस दिन यदि माता तुलसी 108 बार परिक्रमा की जाए तो ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है।
दूसरे उपाय में इस दिन तुलसी जी को कच्चे दूध के साथ सींचना चाहिए। इसके बाद इसी मिट्टी को माथे पर लगाना चाहिए।
ऐसा करने से आपके घर में सुख-समृद्धि आती है। शाम को तुलसी जी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।
सोमवती अमावस्या किसे कहते हैं
वैसे तो अमावस्या महीने में दो बार आती है, लेकिन जब यह अमावस्या सोमवार के दिन आती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
सोम यानी भगवान शिव का दिन। इस दिन भगवान शिव के साथ तुलसी की पूजा करने से जातक को कई तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या के टोटके
सोमवती अमावस्या के दिन शिव जी को कच्चे दूध में दही, शहद मिलाकर अभिषेक करने से लाभ होता है।
इसके बाद भगवान के सामने चौमुखी दीपक जलाने से हर कार्य में आ रही अड़चने दूर होती हैं। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं।
सोमवती अमावस्या पितृ दोष दूर करने के उपाय
सोमवती अमावस्ता पितृदोष की मुक्ति के लिए कुछ खास उपाय करने से लाभ होता है। इस दिन अगर आप पीपल के पेड़ में जल अर्पित करते हैं शाम को वहां तेल का दीपक लगाकर पीपल के नीचे बैठकर पितृ सूक्त का पाठ करते हैं तो इससे आपके पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही इससे दरिद्रता का नाश होता हे।
सोमवती अमावस्या पितरों के लिए क्यों है खास
ऐसा माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं। इसलिए इस दिन पितृदोष दूर करने के लिए उपाय जरूर करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद सरोवर या नदी में आटे से बना दीपक प्रवाहित करने से पितृ देव खुश होते हैं।
सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद क्यों जलाते हैं दीपक
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार अमावस तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है। पितृ देव सूर्यास्त के समय अपने लोक वापस गमन करते हैं।
ऐसे में उनके मार्ग में अंधेरा न हो, इसलिए सूर्यास्त के समय दीपक जलाया जाता है।
सोमवती अमावस्या पर शनि दोष की मुक्ति के उपाय
कहते हैं यदि सोमवती अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाया जाए और इसके बाद उनके समक्ष सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो व्यक्ति के शत्रुओं का विनाश होता है साथ ही इससे शनि दोष से मुक्ति भी मिलती है।
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