Snandan amavasya : 7 सितंबर स्नान दान अमावस्या, जानें क्या है महत्व

नई दिल्ली। सोमवार और मंगलवार को Snandan Amavasya भाद्रपद महीने की अमावस्याएं हैं। सोमवार को श्राद्ध अमावस्या है। तो वहीं मंगलवार को स्नान-दान अमावस्या मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों की माने तो इसे कुशग्रहिणी अमावस्या भी कहते हैं। ज्योतिष की नजर से जानिए क्या हैं इसके लाभ। इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार यदि पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान जरूर करें। इस कार्य के लिए दोपहर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसके लिए दोपहर में गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं। इसके बाद जब कंडे से धुआं निकलना बंद हो जाए तो उसके अंगारे पर गुड़ और घी से हवन करते हुए पितरों का ध्यान करना चाहिए। धूप देने के बाद हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से अपने पितरों को जल अर्पित करें।
अमावस पर नदियों पर स्नान की है परंपरा
वैसे तो अमावस्या पर नदियों में स्नान करने की परंपरा है। परंतु नदी नहीं है तो घर पर ही सभी तीर्थों और नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करने से भी काम चलाया जा सकता है। इसके अलावा पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।
ऐसा करने से भी घर पर भी तीर्थ स्नान पर स्नान जितना ही पुण्य मिलता है। इसके बाद किसी जरूरतमंद को धन, वस्त्र और अनाज आदि का दान जरूर करें। यदि संभव हो तो गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए दान करें।
शिवलिंग पर तांबे के लोटे से चढ़ाएं जल
— ऊँ नम: शिवाय मंत्र के साथ शिवलिंग पर तांबे के लोटे से Snandan Amavasya चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
— चांदी के लोटे से कच्चा दूध भगवान को अर्पित करें। फिर शुद्ध जल चढ़ाएं। भगवान का श्रृंगार करें। तिलक लगाकर बिल्व पत्र, धतूरा, फल-फूल आदि चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप के साथ आरती करें।
— अमावस्या की सुबह स्नान के बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। अगर आपकी कुंडली में सूर्य संबंधी दोष है तो गुड़ का दान भी करें। सूर्य देव के अलावा इस तिथि पर चंद्र देव की भी विशेष पूजा की जानी चाहिए। जो लोग चंद्र ग्रह के दोष से ग्रसित हैं उन्हें अपने दोषों को दूर करने के लिए शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाना चाहिए। साथ ही हो सके तो जरूरतमंदों को दूध का दान भी करें। शिवलिंग के सामने दीपक जलाकर कम से कम 108 बार सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें।