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मानसून में सर्पदंश का बढ़ा खतरा: छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी जारी, झाड़-फूंक नहीं.. सबसे पहले करें ये उपाय

Snakebite Awareness in Monsoon Chhattisgarh: मानसून में बढ़ते सर्पदंश के मामलों को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। हर साल देश में 50 हजार मौतें होती हैं। कोबरा, करैत, वाइपर जैसे जहरीले सांपों से सतर्क रहने, समय पर अस्पताल पहुंचने और एंटीवेनम लेने की सलाह दी गई है।

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Shashank Kumar
Snakebite Awareness in Monsoon Chhattisgarh

Snakebite Awareness in Monsoon Chhattisgarh

Snakebite Awareness in Monsoon Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मानसून आते ही सर्पदंश (snake bite) के मामलों में जबरदस्त वृद्धि होती है। हर साल पूरे भारत में करीब 40 लाख लोग सांप के काटे जाने (snakebite cases in India) का शिकार बनते हैं, जिनमें से 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।

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इसी गंभीर खतरे को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग (Chhattisgarh Health Department Advisory) ने राज्य के आम लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें खास तौर पर झाड़-फूंक और देसी इलाज से बचने और सीधे अस्पताल (go to hospital immediately) जाने की अपील की गई है।

सांप काटे तो ना करें झाड़-फूंक (snake bite treatment)

[caption id="attachment_853014" align="alignnone" width="1095"]snake bite treatment साँप के काटने का इलाज[/caption]

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अधिकतर मामलों में लोग देरी करते हैं और पहले ओझा-बैगा से झाड़-फूंक कराते हैं, जिससे जहर (venom) शरीर में फैल जाता है और जान बचाना मुश्किल हो जाता है। जबकि हर सरकारी अस्पताल (Government Hospital in Chhattisgarh) में सर्पदंश के लिए निशुल्क एंटीवेनम इंजेक्शन (anti-venom injection) उपलब्ध होता है, जो समय रहते लग जाए तो जीवन बच सकता है। ऐसे में किसी भी सर्पदंश की स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पताल जाना ही बेहतर होता है।

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इन चार जहरीले सांपों से रहें सतर्क, जानें कैसे करें पहचान

[caption id="attachment_853017" align="alignnone" width="1086"]most venomous snakes in India भारत के सबसे जहरीले सांप[/caption]

भारत में चार प्रमुख जहरीले सांप (most venomous snakes in India) को जानलेवा माना गया है – कोबरा (Cobra), करैत (Krait), रसेल वाइपर (Russell’s Viper) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled viper)। कोबरा और करैत का न्यूरोटॉक्सिक जहर सांस की प्रक्रिया रोक देता है, वहीं रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर का हेमोटॉक्सिक जहर शरीर में खून को जमाता है और आंतरिक रक्तस्राव की वजह बनता है। ऐसे में सांप (Snakebite Awareness in Monsoon) को पहचानना और समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है।

सांप कहां छुपते हैं और कैसे करें बचाव (snake prevention tips during monsoon)

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[caption id="attachment_853019" align="alignnone" width="1112"]Snakebite Awareness in Monsoon Chhattisgarh मानसून के दौरान साँपों से बचाव के उपाय[/caption]

मानसून में सांप आमतौर पर कचरे के ढेर, घर के आसपास की दरारें, खुले नाले, झाड़ियां, खेत, निर्माणाधीन भवनों और अंधेरी जगहों में छुपते हैं। घर की सफाई रखना, दरवाजों पर डोर स्वीप्स लगाना, खिड़कियों पर जाली लगाना और गमलों को स्टैंड पर रखना जरूरी होता है। खेत या झाड़ी में जाने से पहले टॉर्च का उपयोग करें और जूते पहनें।

सांप काटे तो क्या करें और क्या नहीं (snakebite first aid)

[caption id="attachment_853022" align="alignnone" width="1098"]snakebite first aid साँप काटने पर प्राथमिक उपचार[/caption]

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सांप के काटने पर सबसे पहले मरीज को शांत रखें और घबराने न दें। पीड़ित को लेटा दें, काटे गए हिस्से को हिलाएं नहीं और हार्ट के स्तर से नीचे रखें। उस अंग पर न तो कोई कसाव बांधें और न ही जहर चूसने या कट लगाने की कोशिश करें। 4 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचकर एंटीवेनम लगवाना (anti-venom injection within 4 hours) जरूरी है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में खतरा अधिक, जागरूकता ही बचाव

[caption id="attachment_853027" align="alignnone" width="1109"]Snakes are more dangerous in rural areas ग्रामीण क्षेत्रों में सांपों का खतरा अधिक[/caption]

ग्रामीण इलाकों (rural areas) में जहां मेडिकल सुविधा की कमी है, वहां यह खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्पदंश के प्रति जागरूकता (snakebite awareness campaign) से इन मौतों को रोका जा सकता है। सरकार द्वारा स्कूलों, पंचायतों और स्वास्थ्य केंद्रों में इसके लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

बारिश के मौसम में सांपों से बचाव (Snakebite Awareness in Monsoon) के लिए सतर्कता, साफ-सफाई और सही जानकारी ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। किसी भी सर्पदंश की स्थिति में जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचना ही एकमात्र उपाय है। देरी या अंधविश्वास जानलेवा साबित हो सकता है।

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