Sita Navami 2023: आज पूरे देश में सीता नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस त्योहार का उतना ही महत्व है, जितना भगवान राम का। वो इसलिए क्योंकि इस दिन माता सीता Mata Sita का पूजन करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। पर शायद आप भी सीता नवमी से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे। तो चलिए जानते हैं इस दिन क्या नहीं करना चाहिए।
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पुष्य नक्षत्र में प्रकट हुई थीं माता सीता —
आपको बता दें माता सीता का जन्म नवमी तिथि में हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन मध्यकाल में पुष्य नक्षत्र ( Pushya Nakshatra )में मां सीता प्रकट हुई थीं और यही वजह है कि, इस दिन सीता नवमी मनाई जाती है।
सीता नवमीं का महत्व —
पंडितों की मानें तो सीता नवमी Sita Navami 2023: के दिन माता सीता की पूजा करने से उसके जीवन की सारी बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं अगर आपकी माता के जीवन में कोई कष्ट या क्लेश है तो इस दिन की गई पूजा उनके सारे कष्ट हर लेती है।
भूलकर भी न करें ये काम — Sita Navami 2023 per kya na karen
आपको बता दें माता के स्वभाव के अनुरूप काम किया जाए तो जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आ सकती।
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1 – जीवन साथी का साथ न छोड़ें —
माता सीता के चरित्र के अनुसार महिलाओं को उनका अनुसरण करना चाहिए। इसलिए ध्यान रहे कि आपको अपनी जीवन साथी का किसी भी परिस्थिति में साथ नहीं छोड़ना है। श्रीराम के जीवन में कई बड़ी-बड़ी समस्याएं आईं। पर देवी सीता ने हर कदम श्रीराम का साथ दिया। सीता जी संदेश दिया है कि मुश्किलों में जीवन साथी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
2 – माता—पिता को अपमानित न करें —
ध्यान रहे व्यक्ति को हमेशा बड़ों का खासतौर पर माता-पिता को कभी अपमानित नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आप अपने जीवन में हमेशा तरक्की पाते हैं। सीता अपने माता-पिता को पूरा सम्मान देती थीं। उनकी सभी बातों का पालन करती थीं।
3 – सभी की करें सेवा —
आपको बता दें माता सीता जितनी सेवा अपने माता—पिता की करती थीं उतना Sita Navami 2023: ही सेवा भाव उनके मन में उनके सास—ससुर यानि भगवान श्रीराम के माता—पिता के प्रति भी था। आपको बता दें महल में असंख्य सेवक होने के बावजूद भी विवाह के बाद सीता स्वयं श्रीराम की देखभाल करती थीं।
4 -बड़ों की आज्ञा के बाद कोई काम —
हिन्दू धर्म के अनुसार राजा दशरथ ने जब राम को वनवास जाने की आज्ञा दी थी तो सीता भी राम के साथ वन जाने को तैयार हो गईं। वनवास के समय जब देवी सीता के माता-पिता उनसे मिलने आए, तब उन्होंने वहां पहले से आई हुईं अपनी सभी सासों से मिलने की आज्ञा मांग कर माता-पिता से मिलने गईं थीं।
5 – विपरीत परिस्थिति में घबराना नहीं है —
जब भगवान श्रीराम के साथ माता सीता वनवास पर गई थीं तो उस दौरान रावण द्वारा सीता का हरण करने के बाद भी वो घबराई नहीं थीं। इसी तरह महिलाओं को भी किसी भी परिस्थिति में डरना नहीं है। यदि वे ऐसा करती हैं तो वे किसी भी काम में सफल नहीं होती। साथ ही अपने परिवार को भी एक साथ बांध कर नहीं रख सकतीं। इसलिए आपको भी माता सीता के चरित्र का अनुसरण करके प्रलोभन में नहीं आना है।
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6- डरना नहीं है —
माता सीता को रावण द्वारा कई बार डराने का प्रयास नहीं किया गया। इसी तरह आपको भी अपने जीवन में किसी भी चीज से डरना नहीं है। रावण से देवता तक डरते थे, लेकिन उसके डर का माता सीता पर कोई असर नहीं हुआ।
7 – भूलकर भी किसी पर एकदम न करें भरोसा —
आपको एक बात का हमेशा ध्यान रखना है, कि किसी पर भी एकदम से विश्वास नहीं करना है। जैसे माता सीता का चरित्र था। गौरतलब है अशोक वाटिका में देवी सीता के सामने हनुमान जी के आने पर उन्होंने उनपर एकदम भरोसा नही किया था। जब हनुमान जी ने श्रीराम नाम की अंगूठी माता सीता को दिखाई और रामकथा सुनाई उसी के बाद माता सीता को उन पर यकीन हुआ था। इसी के बाद माता—सीता ने हनुमान जी को अजर-अमर होने का वरदान दिया था।
सीता नवमी शुभ मुहूर्त (Sita Navami 2023 Shubh Muhurat)
उदयातिथि के अनुसार, सीता नवमी 29 अप्रैल यानि शनिवार को है।
नवमी तिथि की शुरुआत : 28 अप्रैल शाम 04:01 मिनट से शुरू
नवमी तिथि का समापन : 29 अप्रैल यानी आज शाम 06:22 मिनट पर।
सीता नवमी का पूजन मुहूर्त : सुबह 10:59 मिनट से लेकर दोपहर 01:38 मिनट
पूजन अवधि : 02:38 मिनट
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Sita Navami 2023: