MP Sidhi News: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में जिला पंचायत के IAS और मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) अंशुमान राज को मिठाई के डिब्बे में नोटों की गड्डियां रखकर रिश्वत देना पूर्व जिपं सदस्य को महंगा पड़ गया है।
जब अंशुमान राज विभागीय कार्यों में व्यस्त थे, तब रघुनाथपुर गांव के सरपंची चुनाव में भाग ले चुके विनोद त्रिपाठी और एक पूर्व जिला पंचायत सदस्य मिठाई का डिब्बा और एक आवेदन लेकर सीईओ कार्यालय पहुंचे।
सीईओ ने (MP Sidhi News) जब आवेदन के साथ मिठाई का डिब्बा और लिफाफा देखा, तो उन्होंने पूछा कि लिफाफे में क्या है। जैसे ही उन्हें मिठाई के डिब्बे के साथ रिश्वत की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत अपने सुरक्षाकर्मी को निर्देश (EX PANCHAYAT MEMBER GAVE BRIBE IAS) दिया कि दोनों नेताओं को बाहर बैठाएं।
इसके बाद उन्होंने एसपी को सूचना देकर मिठाई के डिब्बे और लिफाफा देने वाले दोनों नेताओं को थाने भेज दिया।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार सोमवार को पूर्व पंचायत सदस्य अखिलेश कुशवाहा, जिला पंचायत सीईओ आईएएस अंशुमान राज के चैंबर में मिठाई का डिब्बा और नोटों से भरा लिफाफा लेकर पहुंचे।
रिश्वत देने के इस प्रयास को अंशुमान राज ने सख्ती से नकार दिया और इस पर प्रतिक्रिया (EX PANCHAYAT MEMBER GAVE BRIBE IAS) करते हुए उन्होंने न केवल मिठाई का डिब्बा लेने से इनकार किया, बल्कि उसे उनके मुंह पर फेंक भी दिया और अखिलेश को पुलिस के हवाले कर दिया।
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TI ने दी जानकारी (MP Sidhi News)
कोतवाली थाना प्रभारी अभिषेक उपाध्याय ने बताया कि यह मामला सोमवार का है, जब जिला पंचायत सीईओ अंशुमान राज ने उन्हें घटना की जानकारी दी। इसके बाद दोनों व्यक्तियों को थाने लाकर पूछताछ की जा रही है।
हालांकि, अभी दोनों संदिग्ध व्यक्ति (SIDHI DISTRICT PANCHAYAT CEO) इस बात से इनकार कर रहे हैं, लेकिन मौके पर मौजूद लोगों के साक्ष्य और जिला पंचायत सीईओ के बयान के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। TI ने यह स्पष्ट किया कि जांच के बाद ही उचित कदम उठाए जाएंगे।
जिला पंचायत सीईओ को हुई गलतफहमी- अखिलेश
पूर्व जिला पंचायत सदस्य अखिलेश कुशवाहा ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि वे सिर्फ मिलने के उद्देश्य से जिला पंचायत सीईओ के पास (SIDHI DISTRICT PANCHAYAT CEO) गए थे।
उन्होंने बताया कि यह उनकी सीईओ के पास पहली बार जाने की घटना थी, इसलिए वे मिठाई का डिब्बा लेकर गए थे। कुशवाहा ने यह भी कहा कि उनके पास जो पैसे थे, वे उनके निजी कार्य के लिए रखे गए थे और उनका उद्देश्य उन्हें देने का नहीं था।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिला पंचायत सीईओ को गलतफहमी हुई है कि वे रिश्वत देने के लिए गए थे, जबकि ऐसा उनका कोई इरादा नहीं था।
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