नई दिल्ली। अभी तक सिंह राशि में चल Shukra ka Gochar 2022 रहे शुक्र आज यानि 24 सितंबर से कन्या राशि में shukra rashi parivartan प्रवेश करने जा रहे हैं। आपको बता दें ज्योतिषाचार्यों के अनुसार astrology कन्या में शुक्र नीच के हो जाते हैं। जब भी कोई ग्रह नीच का grah gochar sep 2022 होता है शुभ फल नहीं देता। शुक्र की यह स्थिति 18 अक्टूबर तक रहेगी।
सूर्य के साथ आ जाएंगे एक राशि में –
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार शुक्र अभी तक सिंह राशि में चल रहे थे। जो 24 सितंबर यानि शनिवार को कन्या में पहुंच जाएंगे। शुक्र कन्या राशि में नीच का माना जाता है। जब भी कोई ग्रह नीच का होता है तो वह विपरीत फल देता है। इस दौरान सांसारिक सुखों में कमी आती है। रोगों में भी वृद्धि होने लगती है। नौकरी, पदोन्नति संबंधी समस्याएं लोगों को घेरने लगती हैं।
18 अक्टूबर तक रहेगी यह स्थिति –
ज्योतिषाचार्य की मानें तो शुक्र की यह स्थिति 18 अक्टूबर तक रहेगी। इसके बाद तुला राशि में पहुंचकर उच्च के हो जाएंगे। इसके बाद ये एक बार फिर शुभ फल देने लगेंगे। लेकिन इसके पहले एक बार फिर शुक्र का परिवर्तन होगा। 29 सितंबर को शुक्र अस्त हो जाएंगे। जिसके साथ मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएंगा।
इस चीज के लिए हैं कारक —
शुक्र ग्रह ब्राह्मण माने गए हैं। आग्नेय दिशा का यह कारक ग्रह है। पत्नी और प्रेमिका के बारे में विचार करने के लिए शुक्र का विचार किया जाता है। संगीत विद्या के यह कारक है। वीर्य संबंधी रोग शुक्र ग्रह के दूषित होने के कारण होते हैं। साथ ही उनमें जल तत्व की प्रधानता होती है। शुक्र ग्रह का राशि स्वामी वृष और तुला होते है। जब यह गोचर करता हुआ मीन राशि में पहुंचता है तो इसे उच्च का माना जाता है। जब यह कन्या राशि पर पहुंचते हैं तो इससे नीच का माना जाता है। तुला राशि में यह एक से 10 अंश तक मूल त्रिकोण का होता है। सामान्यतया शुक्र को शुभ ग्रह कहते हैं। इस ग्रह से प्रभावित लोगों का रंग गेहूंआ होता है। दक्षिण पूर्व के व्यवसाय आदि के लिए शुक्र का विचार किया जाता है। शुक्र का गुण रजोगुणी है। शुक्र जहां स्थित होता है वहां से सातवें भाव को व दृष्टि से देखता है। बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र हैं। सूर्य और चंद्रमा शुक्र के शत्रु हैं और अन्य ग्रह से शुक्र का सम व्यवहार है।
आप भी जान लें शुक्र का स्वभाव —
शुक्र ग्रह को संसारिक सुखों का कारक माना जाता है। वृषभ और तुला इनकी स्वराशि हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र अपनी इस स्वराशि में होते हैं तो व्यक्ति को सफलता मिलती है। मीन इस ग्रह की उच्च तो कन्या नीच राशि है। साल की शुरुआत में 4 जनवरी 2022 को होने वाला यह गोचर 4 राशि वालों के वारे—न्यारे करने वाला है।
कुंडली में ऐसे देखें शुक्र की स्थिति —
तुला और वृष शुक्र की स्वराशि हैं। तो वहीं मीन इसकी उच्च राशि है। इसके अलावा कन्या राशि इसकी नीच की राशि है। यानि अगर आपकी कुुंडली में भी शुक्र इन स्थानों में बैठे हैं तो ये अपने भाव के अनुसार शुभ—अशुभ फल देंगे। यानि जिन जातकों की कुंडली में शुक्र 4, 8 और 12 वें भाव में हैं उन्हें ये कष्टकारी हो सकते हैं। शेष राशियों पर इनका प्रभाव सामान्य रहेगा।
तुला –
तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं। शुक्र ग्रह के साथ शनि मित्रता का भाव रखते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार] शुक्र के साथ मित्रता का भाव रखने से शनि की उच्च राशि तुला मानी गई है। तुला राशि पर शुक्र व शनि दोनों की कृपा रहती है। फिलहाल तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। जिसके कारण इस राशि के जातकों को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
मकर –
मकर राशि पर शनिदेव का आधिपत्य है। इस राशि पर शनि का शुभ प्रभाव रहता है। शनि का शुक्र के साथ मित्रता का भाव होने से इस राशि पर शुक्रदेव की भी कृपा रहती है। वर्तमान में मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनि इसी राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं।
कुंभ –
शुक्र व शनि की कृपा दृष्टि कुंभ राशि वालों पर बनी रहती है। वर्तमान में कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। शनि ने 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश किया था।
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नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।