नई दिल्ली। Kundli Me Shubh Mangal Dosh: जातक की कुंडली में कई तरह के दोष होते हैं, लेकिन जिससे व्यक्ति सबसे ज्यादा डरता है वो है मंगल दोष (mangal dosh) , पर क्या आप जानते हैं मंगल दोष हमेशा कष्टकारी ही नहीं अच्छा भी होता है। तो चलिए जानते हैं मंगल दोष किस स्थिति में शुभ होता है।
मांगलिक शब्द का अर्थ कुछ अलग है, लेकिन कुछ लोग इसके नाम से डर जाते हैं और इससे भोले भाले लोग इस पर भरोसा करके भयभीत हो जाते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बड़े-बड़े वीर भी मांगलिक थे।
किसे मांगलिक कहा जाता है – who is Manglik:
जब जातक की कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भावों में से किसी एक भाव में मंगल होने पर उस जातक की कुण्डली को मंगली कहा जाता है। लग्न का मंगल व्यक्ति की पर्सनालिटी को बहुत अधिक तीक्ष्ण बना देता है। चौथे भवन में मंगल जातक को बड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि देता है।
सातवें स्थान का मंगल – Mangal In Kundli :
- सातवें स्थान का मंगल जातक को सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है। आठवें और बारहवें स्थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। इस स्थानों पर बैठा मंगल से अच्छे गुण आएगें। ऐसे जातक साहसी, उत्साही और अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहते हैं।
- मांगलिक व्यक्ति यदि प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े हो तो कठोर तथा न्यायप्रिय होते हैं, यदि ग्रह भी अनुकूल हों। इनमें काम को अंजाम तक पहुंचाने का जुनून होता है।
- मंगल, भूमि पुत्र होने से भूमि-भवन के स्वामी होते हैं। साथ ही मंगल रक्त और हड्डियों का प्रतिनिधित्व भी करता है। यानि ऐसे जातक शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। यदि मांगलिक जातक का मंगल उच्च वर्गोत्तमी या स्वक्षेत्री हो तो, डॉक्टर होने पर सर्जन, अधिकारी अथवा तकनीकी विशेषज्ञ हो सकता है। साथ ही दीर्घायु की आशंका होती है। साथ ही भूमि पुत्र होने से मंगल प्रभावित व्यक्ति प्रकृति प्रेमी भी होता है।