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हाइलाइट्स
शूटर मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में जीता पहला मेडल
मनु ने 16 साल में जीता था पहला गोल्ड मेडल
कोच की सलाह मानी और आज बन गईं हीरो
Manu Bhakar: भारतीय शूटर मनु भाकर ने इतिहास रच दिया। मनु ने पेरिस ओलंपिक में रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में बॉन्ज मेडल पर निशाना लगाया।
मनु ओलंपिक में मेडल जीतने वाली भारती की पहली महिला शूटर बन गई हैं।
साथ ही मौजूदा पेरिस ओलंपिक में मनु ने भारत के मेडल जीतने का खाता खोला है। मनु के मेडल से पूरा देश झूम रहा है।
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यहां बात दें, मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में 221.7 पॉइंट्स के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
मनु (Manu Bhakar) ने एक दिन पहले इवेंट के फाइनल में पहुंच कर 20 साल पुराने सुमा शिरुर के रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
पैरेंट्स मनु को बनाना चाह रहे थे डॉक्टर
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बचपन में मनु भाकर (Manu Bhakar) ने एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट सब में खुद को आजमाया।
बॉक्सिंग से चोट लगने के बाद तौबा किया। इसके बाद पैरेंट्स और खुद मनु ने तय किया की खेल छोड़कर डॉक्टर बनाना चाहिए।
मनु पढ़ने में भी काफी होशियार थी, उनका बायोलॉजी में काफी इंट्रेस्ट था। लगभग तय सा हो गया था कि अब तो डॉक्टर ही बनना है।
इसी दौरान उनके स्कूल के शूटिंग कोच अनिल से पैरेंट की मुलाकात हुई और मनु के करियर को लेकर चर्चा हुई। पैरेंट्स ने बताया कि मनु (Manu Bhakar) को डॉक्टर बनाना चाहते हैं।
शुरुआती कोच ने क्या सलाह दी?
इस पर कोच ने कहा कि देश में लाखों डॉक्टर हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ भी रही है।
(एक इंटरव्यू में मनु की मां सुमेधा भाकर ने बताया कि हम मेडिकल की कोचिंग के लिए कोटा भी विजिट कर आए थे।) पर ओलंपिक में बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं
और यदि ओलंपिक में मेडल जीत लिया तो कल्पना कर सकते हैं, वो दिन मनु के लिए क्या होगा?
दुनिया मनु को जानेगी, उसके हुनर को सलाम करेगी। कोच की सलाह के बाद मनु (Manu Bhakar) को उनके पिता राम किसन ने हाथ मे पिस्टल थमा दी।
इसके बाद मनु ने भी पैरेंट्स को निराश नहीं किया और इतिहास रच दिया।
मनु ने करियर का पहला गोल्ड 16 साल की उम्र में जीता
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शूटर मनु भाकर कोच जसपाल राणा के साथ। फाइल फोटो[/caption]
इसके बाद शूटर मनु भाकर (Manu Bhakar) ने अपने करियर का पहला गोल्ड मेडल 16 साल की उम्र में जीत लिया था।
जिसके बाद उनके पैरेंट्स की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था।
इसके बाद मनु ने ग्वाडलजारा में 2018 आईएसएसएफ विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल कॉम्पिटिशन में विजय प्राप्त की थी।
उन्होंने उस वक्त दस मीटर एयर पिस्टल में 242.5 अंकों के साथ पद जीता था। तब से वह लगातार भारत के लिए शूटिंग में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
मनु के करियर के लिए पिता ने छोड़ी नौकरी
हरियाणा के झज्जर के छोटे से गांव गोरिया से ताल्लुक रखने वाली मनु भाकर (Manu Bhakar) ने शूटिंग रैंज में खूब पसीना बहाया।
वह पढ़ाई के बाद हर दिन 6 से 7 घंटे निशानेबाजी की प्रैक्टिस करती थीं। मनु में टॉप शूटर बनने का जुनून सवाल था।
बेटी की खेल के प्रति रूचि को देखते हुए पिता ने अपनी नौकरी छोड़ दी। राम किशन नेवी में इंजीनियर थे।
चोट के बाद बॉक्सिंग ग्लब्ज को उतार फैंका
मनु (Manu Bhakar) की मां सुमेधा भाकर बताती हैं कि शूटिंग से पहले मनु बॉक्सिंग करती थीं। मगर एक बार आंख पर चोट लग गई जिस कारण उनकी जान तक पर बन आई थी।
जिसके बाद उनका वो सफर खत्म हो गया, लेकिन मनु के अंदर खेलों को लेकर जज्बा था जो उसे शूटिंग की दहलीज तक ले आया और आज उसने अपनी काबिलियत सिद्ध कर दी है।
कैसे पढ़ा मनु नाम?
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मनु भाकर (Manu Bhakar) के नाम की कहानी भी बढ़ी रोचक है। मनु की मां बताती हैं कि 18 फरवरी 2002 की सुबह चार बजे मनु का जन्म हुआ था और उसी दिन उनका टीचर की नौकरी के लिए एग्जाम था।
डॉक्टर के मना करने के बावजूद सुबह 10 बजे परीक्षा देने गई। इस दौरान ननद और भांजे के भरोसे छोड़कर परीक्षा देने पहुंची।
आठ बजे घर से निकली। फिर तीन करीब चार घंटे बाद वापस लौटी। इस दौरान चार घंटे की मनु बिलकुल भी नहीं रोई और मस्ती से खेलती रही।
बाद में भांजे ने बताया कि इसका नाम 'मनु' रखना है, बदलना नहीं है। यहां बता दें मनु झांकी रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम था।
हालांकि, बाद में मनु की मां प्यार से मनु को झांसी की रानी पुकारने लगीं थी।
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मनु खेल चुकी हैं कई खेल
मनु भाकर (Manu Bhakar) शूटिंग से पहले कई अन्य खेलों में भी भाग ले चुकी हैं, जिसमें कराटे, थांग टा, टांता, स्केटिंग, स्वीमिंग और टेनिस शामिल हैं।
उन्होंने कराटे, थांग टा और टांता में नेशनल लेवल पर मेडल जीते हैं और टांता में लगातार तीन बार नेशनल चैंपियन रही हैं।
उन्होंने स्केटिंग में भी स्टेट मेडल जीता है। मनु ने स्कूल लेवल पर स्वीमिंग और टेनिस भी खेला है।
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