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Shivaji Maharaj Wagh Nakh: ब्रिटेन से भारत वापस लाया जा रहा शिवाजी का ‘वाघ नख’, क्या वाघ नख जानें यहां

Bansal news by Bansal news
September 10, 2023-6:14 AM
in टॉप न्यूज
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Shivaji Maharaj Wagh Nakh: मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी ने जिस ‘वाघ नख’ ने मुगल सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था, उसे ब्रिटेन से देश वापस लाया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर शनिवार को कहा, ‘‘हमारी बहुमूल्य कलाकृतियों की वापसी भारत के राजनयिक प्रयासों की एक बड़ी जीत है।’’ यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब नयी दिल्ली में जी20 नेताओं का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारी गौरवशाली विरासत लौट रही है। इतिहास बनते देखने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध ‘वाघ नख’ उस जगह पर अपनी विजयी वापसी के लिए तैयार है, जिससे वह वास्वत में संबंध रखता है।’’

मंत्रालय ने पोस्ट के साथ ‘कल्चर यूनाइट्स ऑल’ (संस्कृति सभी को जोड़ती है) और ‘जी20इंडिया’ हैशटैग का इस्तेमाल किया। उसने एक पोस्टर भी साझा किया, जिस पर लिखा था, ‘‘भारत ने अपनी ऐतिहासिक विरासत पुन: प्राप्त की।’’ पोस्टर में बताया गया है कि इस ‘वाघ नख’ का इस्तेमाल अफजल खान को मारने के लिए किया गया था।

क्या है शिवाजी का ‘वाघ नख

भारत के गौरव का प्रतीक शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) ने 1659 में इस वाघ नख से ही बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था। यह वाघ नख भारत की अमूल्‍य धरोहर है और छत्रपति शिवाजी के शौर्य की याद दिलाती थी। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया, ‘हमें ब्रिटेन के अधिकारियों से एक पत्र मिला है जिसमें इसमें कहा गया है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख वापस देने पर राजी हैं।’

सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुसार,मुनगंटीवार के साथ मंत्रालय के दो प्रमुख अधिकारी लंदन जाएंगे और वाघ नख को भारत में वापस लाने के लिए आवश्‍यक प्रक्रिया पूरी करेंगे।

बाघ के पंजों से प्रेरणा लेकर बना ‘वाघ नख’

‘वाघ नख’ हथेली में छुपाकर पहना जाने वाले लोहे का हथियार है जिसे बाघ,सिंह और चीते जैसी जंगली जानवर के पंजों से प्रेरणा लेकर बनाया गया था। ये अंगुली के जोड़ों पर पहना जाता है। इसमें चार नुकीले कांटे होते हैं जो कि लोहे के आधार से फिक्‍स होते हैं। इन कांटों से दुश्‍मन के सीने को निशाना बनाया जाता है।

वाघ नख’के कांटे इतने नुकीले होते हैं कि इसके हमले से दुश्‍मन की मौत होना तय है। लंबे कद और मजबूत कद काठी के अफजल खान ने शिवाजी को मिलने के लिए बुलाया था। उसकी योजना छोटे कद लेकिन फौलादी इरादों वाले शिवाजी से गले मिलने के बहाने उन्‍हें बांहों में भरकर जान लेने की थी लेकिन मराठा छत्रप ने खतरे को भांप लिया। जैसे ही अफजल ने बांहों में भरकर दबाने की कोशिश की,शिवाजी ने वाघ नख से उसके सीने को चीर दिया था।

कलाकृतियों की वापसी की क्‍या है प्रकिया

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत से बाहर ले जाई गईं इन कलाकृतियों को वापस लाने की दो प्रक्रियाएं हैं- कानूनी और कूटनीतिक।इसमें से कानूनी प्रक्रिया के जरिये वापसी न केवल जटिल है बल्कि इसमें समय भी ज्‍यादा लगने का अंदेशा है।

ऐसे समय जब भारत का प्रभुत्‍व दुनियाभर में बढ़ रहा है, वह कूटनीतिक प्रक्रिया यानी आपसी बातचीत के जरिये इन कलाकृतियों को वापस ला सकता है। भारत के कितनी ऐतिहासिक-पुरातात्विक महत्‍व की वस्‍तुएं विदेश गई हैं, इसकी निश्चित संख्‍या का अंदाज लगाना मुश्किल है।अनुमान के अनुसार,यह संख्‍या हजार से अधिक हो सकती है।

9 साल में 240 कलाकृतियां वापस लाई गईं

केंद्र सरकार ने इसी वर्ष मई में जानकारी दी थी कि पिछले 9 साल में विभिन्न देशों से करीब 240 प्राचीन कलाकृतियां भारत वापस लाईं गईं तथा 72 और ऐसी कलाकृतियां देश वापस लाए जाने की प्रकिया में हैं।सरकार की तरफ से बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार हमारी प्राचीन वस्तुओं तथा कलाकृतियों को दुनियाभर से वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आंकड़ों के अनुसार, 24 अप्रैल तक भारतीय मूल की 251 कीमती वस्तुएं विभिन्न देशों से वापस लाईं गईं जिनमें से 238 वस्तुएं 2014 के बाद से वापस लाईं गईं हैं। वापस लाई गई इन कलाकृतियों में करीब 1100 साल पुरानी नटराज मूर्ति और नालंदा के संग्रहालय से करीब छह दशक पहले गायब बुद्ध की 12वीं सदी की कांस्य प्रतिमा शामिल है।

वाघ नख की खासियत?

वाघ नख एक प्रकार का खंजर है जिसे छ्त्रपति शिवाजी महाराज ने इस्तेमला किया था। बीजापुर रियासत के सेनापति अफ़ज़ल ख़ान को वाघ नख से शिवाजी ने मार गिराया था। जब दोनों एक-दूसरे को गले लगाने के लिए आगे बढ़े तब शिवाजी ने वाघ नख का इस्तेमाल कर अफ़ज़ल ख़ान को मार गिराया। इसके बाद शिवाजनी अफ़ज़ल ख़ान की तलवार ले ली। बीजापुर रियासत के खिलाफ़ विद्रोह छेड़ने के बाद शिवाजनी मराठा साम्राज्य की स्थापना की और पुणे को राजधानी बनाया।

इसे बाघ के पंजों से प्रेरित होकर बनाया गया था। इसमें चार नुकीले सिरे होते हैं और इसे हाथ में पहना जाता है। इसे आसानी से हाथों में छिपाकर रखा जा सकता है। वाघ नख अगर शरीर में घुस गया तो इससे गहरे ज़ख़्म आ सकते हैं और मौत भी हो सकती है।

मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी ने जिस ‘वाघ नख’ ने मुगल सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था, उसे ब्रिटेन से देश वापस लाया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर शनिवार को कहा, ‘‘हमारी बहुमूल्य कलाकृतियों की वापसी भारत के राजनयिक प्रयासों की एक बड़ी जीत है।’’ यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब नयी दिल्ली में जी20 नेताओं का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारी गौरवशाली विरासत लौट रही है। इतिहास बनते देखने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध ‘वाघ नख’ उस जगह पर अपनी विजयी वापसी के लिए तैयार है, जिससे वह वास्वत में संबंध रखता है।’’

मंत्रालय ने पोस्ट के साथ ‘कल्चर यूनाइट्स ऑल’ (संस्कृति सभी को जोड़ती है) और ‘जी20इंडिया’ हैशटैग का इस्तेमाल किया। उसने एक पोस्टर भी साझा किया, जिस पर लिखा था, ‘‘भारत ने अपनी ऐतिहासिक विरासत पुन: प्राप्त की।’’ पोस्टर में बताया गया है कि इस ‘वाघ नख’ का इस्तेमाल अफजल खान को मारने के लिए किया गया था।

क्या है शिवाजी का ‘वाघ नख

भारत के गौरव का प्रतीक शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) ने 1659 में इस वाघ नख से ही बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था। यह वाघ नख भारत की अमूल्‍य धरोहर है और छत्रपति शिवाजी के शौर्य की याद दिलाती थी। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया, ‘हमें ब्रिटेन के अधिकारियों से एक पत्र मिला है जिसमें इसमें कहा गया है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख वापस देने पर राजी हैं।’

सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुसार,मुनगंटीवार के साथ मंत्रालय के दो प्रमुख अधिकारी लंदन जाएंगे और वाघ नख को भारत में वापस लाने के लिए आवश्‍यक प्रक्रिया पूरी करेंगे।

बाघ के पंजों से प्रेरणा लेकर बना ‘वाघ नख’

‘वाघ नख’ हथेली में छुपाकर पहना जाने वाले लोहे का हथियार है जिसे बाघ,सिंह और चीते जैसी जंगली जानवर के पंजों से प्रेरणा लेकर बनाया गया था। ये अंगुली के जोड़ों पर पहना जाता है। इसमें चार नुकीले कांटे होते हैं जो कि लोहे के आधार से फिक्‍स होते हैं। इन कांटों से दुश्‍मन के सीने को निशाना बनाया जाता है।

वाघ नख’के कांटे इतने नुकीले होते हैं कि इसके हमले से दुश्‍मन की मौत होना तय है। लंबे कद और मजबूत कद काठी के अफजल खान ने शिवाजी को मिलने के लिए बुलाया था। उसकी योजना छोटे कद लेकिन फौलादी इरादों वाले शिवाजी से गले मिलने के बहाने उन्‍हें बांहों में भरकर जान लेने की थी लेकिन मराठा छत्रप ने खतरे को भांप लिया। जैसे ही अफजल ने बांहों में भरकर दबाने की कोशिश की,शिवाजी ने वाघ नख से उसके सीने को चीर दिया था।

कलाकृतियों की वापसी की क्‍या है प्रकिया

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत से बाहर ले जाई गईं इन कलाकृतियों को वापस लाने की दो प्रक्रियाएं हैं- कानूनी और कूटनीतिक।इसमें से कानूनी प्रक्रिया के जरिये वापसी न केवल जटिल है बल्कि इसमें समय भी ज्‍यादा लगने का अंदेशा है।

ऐसे समय जब भारत का प्रभुत्‍व दुनियाभर में बढ़ रहा है, वह कूटनीतिक प्रक्रिया यानी आपसी बातचीत के जरिये इन कलाकृतियों को वापस ला सकता है। भारत के कितनी ऐतिहासिक-पुरातात्विक महत्‍व की वस्‍तुएं विदेश गई हैं, इसकी निश्चित संख्‍या का अंदाज लगाना मुश्किल है।अनुमान के अनुसार,यह संख्‍या हजार से अधिक हो सकती है।

9 साल में 240 कलाकृतियां वापस लाई गईं

केंद्र सरकार ने इसी वर्ष मई में जानकारी दी थी कि पिछले 9 साल में विभिन्न देशों से करीब 240 प्राचीन कलाकृतियां भारत वापस लाईं गईं तथा 72 और ऐसी कलाकृतियां देश वापस लाए जाने की प्रकिया में हैं।सरकार की तरफ से बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार हमारी प्राचीन वस्तुओं तथा कलाकृतियों को दुनियाभर से वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आंकड़ों के अनुसार, 24 अप्रैल तक भारतीय मूल की 251 कीमती वस्तुएं विभिन्न देशों से वापस लाईं गईं जिनमें से 238 वस्तुएं 2014 के बाद से वापस लाईं गईं हैं। वापस लाई गई इन कलाकृतियों में करीब 1100 साल पुरानी नटराज मूर्ति और नालंदा के संग्रहालय से करीब छह दशक पहले गायब बुद्ध की 12वीं सदी की कांस्य प्रतिमा शामिल है।

वाघ नख की खासियत?

वाघ नख एक प्रकार का खंजर है जिसे छ्त्रपति शिवाजी महाराज ने इस्तेमला किया था। बीजापुर रियासत के सेनापति अफ़ज़ल ख़ान को वाघ नख से शिवाजी ने मार गिराया था। जब दोनों एक-दूसरे को गले लगाने के लिए आगे बढ़े तब शिवाजी ने वाघ नख का इस्तेमाल कर अफ़ज़ल ख़ान को मार गिराया। इसके बाद शिवाजनी अफ़ज़ल ख़ान की तलवार ले ली। बीजापुर रियासत के खिलाफ़ विद्रोह छेड़ने के बाद शिवाजनी मराठा साम्राज्य की स्थापना की और पुणे को राजधानी बनाया।

इसे बाघ के पंजों से प्रेरित होकर बनाया गया था। इसमें चार नुकीले सिरे होते हैं और इसे हाथ में पहना जाता है। इसे आसानी से हाथों में छिपाकर रखा जा सकता है। वाघ नख अगर शरीर में घुस गया तो इससे गहरे ज़ख़्म आ सकते हैं और मौत भी हो सकती है।

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