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नई दिल्ली। आज बुधवार यानि 13 अक्टूबर को Shardiya Navratri Day 8 Durga Ashtami 2021 नवरात्री के आठवां दिन है। जिसमें मां महागौरी का पूजन किया जाएगा। इस दिन कन्या पूजन और हवन का खास महत्व होता है। साथ ही घरों में वंश वृद्धि का पूजन किया जाएगा। आइए जानते हैं क्या हैं वे खास बातें। इस बार शारदीय नवरात्री की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर यानि कल मनाई जाएगी। आखिर क्यों है इस दिन की महत्ता। आइए जानते हैं इससे संबंधित कुछ खास बातें।
वंश वृद्धि के लिए होगी कुल देवी की पूजा
दुर्गाष्टमी पर कई लोग कुल देवी का पूजन करते हैं। सबकी अपनी परंपरा अनुसार सप्तमी, अष्टमी और नवंमी पर भी होता है लेकिन अधिकतर घरों में अष्टमी पूजन किया जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार कुल देवी वंश को आगे बढ़ाने वाली होती हैं। इसलिए इस वंश वृद्धि घर के कुल की सलामती के लिए कुल देवी का पूजन किया जाता है।
यह रही दुर्गा अष्टमी की कथा
कथा अनुसार दो राक्षसों शुंभ और निशुंभ द्वारा देवताओं को हराए जानें के बाद देवलोक पर आक्रमण कर दिया गया। इसके बाद चंड व मुंड सेनापतियों को भेजा गया। तब इसी दिन यानी अष्टमी पर इस दौरान देवताओं की प्रार्थना पर मां पार्वती द्वारा देवी चंडी की रचना की गई। तब मां चंडी ने चंड और मुंड का वध किया। इसी दौरान मां पार्वत द्वारा चंडी देवी को चामुंडा नाम दिया गया।
इन शक्तियों की होती है पूजा
महाअष्टमी पूजन का हमारे धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन मां के 64 योगिनियों, मां के 8 रूपों यानि मां की अष्ट शक्तियों की पूजा की जाती है। मां के विभिन्न रूपों में मां की विभिन्न शक्तियाँ का स्वरूप झलकता है। इस दौरान मां ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वारही, नरसिंही, इंद्राणी और चामुंडा आठ शक्तियों की पूजा की जाती है।
संधि पूजा का है खास महत्व
अष्टमी पूजन पर संधि पूजा का विशेष महत्व है। संधि जैसे नाम से ही स्पष्ट है जब दो तिथियों का मिलन होता है। उसे संधि कहते हैं। इसी तरह जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि शुरू होती है। उस समय को संधि पूजा कहते हैं। इसी समय पर संधि पूजा की जाती है। ये पूजा इसलिए खास मानी जाती है कि इस संधि के दौरान ही देवी चामुंडा माता ने चंड और मुंड राक्षसों का वध किया था।
अष्टमी के दिन न करें ये गलतियां —
सुबह जल्दी नहाकर साफ कपड़े पहन कर पूजन के लिए बैठें। इस दिन की पूजा का समय संधि काल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अत: शाम को शुभ मुहूर्त में पूजन-हवन करें।
— व्रत रखने वालों और विशेष आराधना करने वालों के लिए इस दौरान हवन जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है।
— अष्टमी के दिन सोने की मनाही है। वरना इसका फल नहीं मिलता।
— यदि व्रत रखें हो तो कन्या पूजन कराने के बाद भी आपको व्रत खोलना चाहिए।
- अष्टमी के दिन नीले व काले कपड़ो की मनाही है।
हवन करने के लिए शुभ मुहूर्त -
— इस साल नवरात्रि की अष्टमी पर पूजा-हवन करने के लिए शुभ मुहूर्त (Navratri Ashtami 2021 Shubh Muhurt) शाम 07:42 से रात 08:07 बजे तक है।
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इनकी पुष्टि नहीं करता है।)
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