Sharadiya Navratri 2023: आज से नौ दिवसीय पर्व नवरात्र शुरू हो गया है. इस साल माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. आज शारदीय नवरात्रि का प्रथम दिन है और सुबह से ही माता रानी की मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी है.
बता दें बिलासपुर के रतनपुर स्थित महामाया देवी मंदिर में देश प्रदेश के श्रद्धालुओं का आना शुरु हो गया है. इस बार मंदिर में 10 हजार से अधिक ज्योति प्रज्वलित की जाएगी. जिसे महाज्योत और महा मनोकामना ज्योति कलश कहा जाता है.
दअरसल इसके के बारे में मान्यता है कि 9 वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्या जिसे देवी स्वरूप मानकर उनके हाथों से नवरात्र की प्रथम ज्योत प्रज्वलित की जाती है.
जिसके बाद दूसरी ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है वर्षों पुराने परंपरा का निर्वहन आज भी किया जाएगा.
क्या है इतिहास?
मां महामाया देवी की मंदिर की पौराणिक नगरी रतनपुर का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है. इस मंदिर का मंडप नागर शैली में बना है. जो 16 स्तंभोंपर टिका है.
इसके गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रस्तर की भव्य प्रतिमा है.
राजा रत्नदेव प्रथम ने इस मंदिर को बनवाया
मान्यता है कि भगवान शिव जब सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटक रहे थे. उस समय भगवान विष्णु ने उनको वियोग मुक्त करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर टुकड़े कर दिए. माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए.
बता दें महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था. माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है. राजा रत्नदेव प्रथम ने 1050 ई में महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया.
कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वह खाली नहीं गया.
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