/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/nkjoj-2025-10-05T135419.563.webp)
Sharad Purnima 2025: हर साल आश्विन मास की शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रात को खीर को खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखने की प्रथा रही है। लोग इसे केवल धार्मिक मान्यता नहीं मानते, बल्कि इसके वैज्ञानिक पहलुओं पर भी विश्वास रखते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि 12:23 पीएम से शुरू होकर 7 अक्टूबर सुबह 9:16 एएम तक है। ज्योतिष के अनुसार, शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की शक्तियां अपने चरम पर होती हैं, इसलिए इस दिन चंद्रमा के प्रभाव से खीर में अमृत तुल्य गुण आ जाते हैं।
धार्मिक मान्यता: खीर में अमृत वर्षा
[caption id="attachment_908594" align="alignnone" width="777"]
खीर में अमृत वर्षा[/caption]
धार्मिक रूप से शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण माना जाता है। यह माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है और जिन वस्तुओं पर उसकी किरणें पड़ती हैं, उनमें अमृत तुल्य गुण आ जाते हैं। इसी कारण खीर को रातभर खुली चांदनी में रखा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी को खीर अर्पित करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही, भगवान कृष्ण का महारास भी इसी रात द्वापर युग में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि महारास के दौरान भगवान कृष्ण की कृपा से चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी, जो आज भी इस रात खीर में उतरने का प्रतीक माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चंद्रमा की किरणों का असर
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। शरद पूर्णिमा की रात में खीर को खुले आसमान के नीचे रखने से खीर में विषाणु और बैक्टीरिया समाप्त होते हैं, जिससे यह शुद्ध बनती है। दूध, चावल और चीनी जैसे तत्व चंद्रमा की रोशनी से एनर्जी पाते हैं, जिससे यह स्वास्थ्यवर्धक बनती है। नियमित सेवन से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। खीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मानसिक शांति मिलती है। इस प्रकार, धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारणों से शरद पूर्णिमा की खीर को विशेष महत्व प्राप्त है।
खीर बनाने और रखने की विधि
[caption id="attachment_908595" align="alignnone" width="781"]
खीर बनाने और रखने की विधि[/caption]
शरद पूर्णिमा की शाम को खीर बनाने के लिए चावल, दूध और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे एक बर्तन में तैयार करके खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। खीर को जालीदार कपड़े से ढक दिया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी न पड़े लेकिन चांदनी की किरणें सीधे पड़ती रहें। अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
इस साल विशेष बात यह है कि शरद पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही है, जो चंद्रमा के लिए विशेष रूप से शुभ दिन माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्तियां अपने चरम पर होती हैं। इसलिए खीर में दोगुनी ऊर्जा और औषधीय गुण आने की मान्यता है।
ये भी पढ़ें : Maruti Suzuki Flex Fuel Car: मारुति जल्द ही लॉन्च करने वाला है Flex-Fuel कार, जानें क्या है खास
ठंडी हवा का असर और मौसम
शरद पूर्णिमा के दिन का मौसम भी खीर के गुणों को बढ़ाता है। अक्टूबर महीने में ठंडी हवा की शुरुआत हो जाती है। यह ठंडा मौसम दूध और चावल के गुणों को संरक्षित रखने में मदद करता है। ठंडी रात में खीर रखने से यह न केवल स्वाद में बढ़िया होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम बनती है।
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का शुभ मुहूर्त 2025
इस साल का शुभ मुहूर्त: 6 अक्टूबर, 12:23 पीएम से 7 अक्टूबर, 9:16 एएम तक। इस समय खीर को खुली चांदनी में रखना चाहिए। इस रात खीर में चंद्रमा की रोशनी के कारण अमृत तुल्य गुण आ जाते हैं और यह परिवार के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि लाती है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर को रखने की प्रथा केवल धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक लाभ भी छिपे हैं। चांदनी की रोशनी से खीर में औषधीय गुण और ऊर्जा भरती है, जो शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद होती है। इस बार, चंद्रमा की प्रबल शक्ति और सोमवार का शुभ दिन इसे और अधिक विशेष बनाता है। साथ ही, ठंडी हवा का मौसम खीर के स्वाद और स्वास्थ्य लाभ को बढ़ाता है। इसलिए, इस शरद पूर्णिमा अपने घर में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखना न केवल धार्मिक दृष्टि से उत्तम है, बल्कि यह स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का भी स्रोत बनता है।
ये भी पढ़ें : MP Weather Update: MP में 10 अक्टूबर तक विदा होगा मानसून, कई जिलों में अगले 3 दिन तक बूंदाबांदी
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें