रायपुर। गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि 16 जून को रायपुर में होगा धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा। रायपुर के रावाभाठा मैदान में रुद्राभिषेक के आयोजन के साथ ही 11 हजार लोग कलश यात्रा निकालेंगे।
वो शंकराचार्य का नहीं बन सकता
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जो किसी भी गुप्तदल का प्रकट पक्षधर हैं वो शंकराचार्य का नहीं बन सकता। शंकराचार्य भगवान शिव का पद है। मैं शंकराचार्य के पद पर 30 साल पहले प्रतिष्ठित हुआ। मेरे अपहरण का प्रयास किया गया, लेकिन नहीं हुआ।
मंदिर के साथ मस्जिद बनाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के साथ मस्जिद बनाने का प्रस्ताव आया तो मैंने हस्ताक्षर नहीं किया। मैंने हस्ताक्षर किया होता तो नरसिंहराव के शासनकाल में मंदिर के साथ मस्जिद का निर्माण भी हो गया होता। मोदी और योगी श्रेय ले रहे हैं अच्छी बात है।
महाराज ने कहा कि पूर्व में जगन्नाथ पुरी में मुस्लिमों का बड़ा सम्मेलन होना था। तब 1100 गायें कटने के लिए आई थीं।
तब मैंने विरोध किया। इसके बाद वे गायें किसानों को बांट दी गईं। वे लोग खिचड़ी खाकर गए।
छत्तीसगढ़ में हो रहे धर्मांतरण पर क्या कहा
इधर, छत्तीसगढ़ में तेजी से हो रहे धर्मांतरण पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि धर्मांतरण के लिए मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोषी हैं। ये अपने दायित्व का निर्वाहन नहीं करते, इसलिए धर्मांतरण हो रहा है। सेवा के नाम पर हिन्दू को अल्पसंख्यक बनाने का काम कर रहे हैं, जिसके लिए हिन्दू भी जिम्मेदार है।
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अपनी समस्या का समाधान मिलकर करिए। एक समिति का गठन करिए, जिसमें विधायक, सांसद और पार्षद को जोड़ें और उनसे हर तीन महीने में उनके कार्यों को पूछें।
राजनीति राजधर्म का ही नाम है
बीजेपी और कांग्रेस के भगवान राम पर सियासत होने पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राजनीति राजधर्म का ही नाम है। परोपकार सेवा संयम धर्म की सीमा है। धर्म की सीमा का अतिक्रमण कर राजनीति नहीं की जानी चाहिए, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होनी चाहिए।
मठाधीश के रायपुर आने पर क्या कहा
तीन मठों के मठाधीश के रायपुर आने की बात पर शंकराचार्य ने कहा कि उन्हें मान्यता आप देंगे? कोई भी शंकराचार्य बनकर आएगा उसे शंकराचार्य थोड़ी मान लेंगे। पूर्व में शंकराचार्य ने अपने जीवन काल में किसी को जीवित समय में शंकराचार्य घोषित नहीं किया। पुराने तो मेरे परिचित थे, नए मेरे परिचित नहीं।
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