Shani Sade Sati Dhaiya Charan: शनि न्याय के देवता है। इनकी साढ़ेसाती (Sade Sati) और ढैया हर किसी के जीवन में आती है। आपके जीवन में शनि (Shani) में साढ़ेसाती कब आएगी या कुंडली में इसके देखने का तरीका क्या होता है आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पांडे से।
साढ़ेसाती की प्रथम ढैया में क्या होता है (Shai Sade Sati Dhaiya Pahla Cahran)
साढ़ेसाती की प्रथम ढैया में शनि चंद्रमा से 12 में भाव में भ्रमण करता है तथा उसकी दूसरे, छठे और 9वें भावों पर पूर्ण दृष्टि होती है। इस समय शनि का निवास जातक के सिर पर होता है। जातक को नेत्र रोग,अचानक आर्थिक हानि, परिवार में अशांति आदि हो सकती है।
अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति (Shani Sate Sati Dhaiya Charan) ठीक है, तो आपको अत्यधिक धन लाभ, परिवार में मंगल कार्य आदि होगा।
साढ़ेसाती की द्वितीय ढैया में क्या होता है (Shai Sade Sati Dhaiya Dusra Cahran)
साढ़ेसाती की द्वितीय ढैया में शनि, चंद्र राशि पर भ्रमण करता है। वह तीसरे, सांतवें और दसवें भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है। शनि इस ढ़ैया में शरीर के उदर भाग में रहता है। अतः शरीर के संपूर्ण मध्य भाग में रोग संभव है। बुद्धि का काम करना रुक सकता है। गलत निर्णय होते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पांडे (8959594400) के अनुसार व्यापार में साझेदार से विवाद होता है। पत्नी को शारीरिक कष्ट होता है। आर्थिक चिंताएं बनी रहती है। परंतु अगर शनि की स्थिति आपकी कुंडली में अच्छी है तो यह सभी प्रभाव उलट जाएंगे। अर्थात आपकी बुद्धि तेजी के साथ काम करेगी। आप सही निर्णय लेंगे। व्यापार में साझेदार बनेंगे और लाभ ही लाभ होगा।
साढ़ेसाती की तृतीय ढैया में क्या होता है (Shai Sade Sati Dhaiya Teesra Cahran)
साढ़ेसाती की तृतीय ढैया में शनि, चंद्र राशि से दूसरे भाव में भ्रमण करता है। उसकी दृष्टि चौथे, आठवें और 11 वें भाव पर पूर्ण दृष्टी होती है। उतरती साढ़ेसाती में शनि पैरों पर रहता है। अतः इस अवधि में पैरों में विशेष रूप से कष्ट होता है।
शारीरिक रूप से निर्बलता आती है। शरीर में आलस्य रहता है। व्यर्थ के विवाद होते हैं। अगर मारकेश की दशा चल रही है तो मृत्यु भी संभव है। परंतु अगर शनि की स्थिति जातक के कुंडली में अच्छी है तो यह फल बदल जाएंगे।