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Shahdol Police Line Attach
Shahdol Police Line Attach: बुढार थाना क्षेत्र की केशवाही चौकी से जुड़े एक विवादित मामले ने पुलिस विभाग की छवि को झटका दिया है। देर रात एक युवक को कथित रूप से उसके घर से उठाकर ले जाते समय पुलिस कर्मियों द्वारा कथित मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रदेश पुलिस में हड़बड़ी मच गई और आनन‑फानन में चार पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच करने का आदेश जारी किया गया।
घटना की जानकारी और वायरल वीडियो
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना दुर्गा विसर्जन यात्रा के दौरान पथराव और महिलाओं को घायल होने की कथित घटना के विरोध में प्रदर्शन के बीच हुई। कुछ लोगों ने विरोध स्वरूप बाजार बंद और सड़क जाम किया था। इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई की। आरोप है कि दीपू त्रिपाठी नामक युवक को पूछताछ के लिए ले जाते समय चार पुलिसकर्मियों ने उसे जबरन घर से बाहर खींच कर लाठियों से पिटाई की। इस पूरी घटना को एक पड़ोसी ने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया।
वीडियो क्लिप में स्पष्ट दिखता है कि युवक को पकड़ कर ले जाते समय पुलिसकर्मी उसके साथ मार-पीट कर रहे हैं। यह वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तुरंत सक्रिय हुए।
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Shahdol Police Line Attach[/caption]
ASI और तीन हेड कांस्टेबल को लाइन अटैच
वीडियो की सत्यता मिलते ही पुलिस अधीक्षक स्तर की जांच शुरू की गई। शहडोल की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक दिवान ने इस घटना को "पुलिस की छवि को धूमिल करने वाला" बताया और चारों दोषी पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया। इनमें ASI रामेश्वर पांडे, हेड कांस्टेबल रामनरेश यादव, मलीकंठ यादव, एवं मनोज शामिल हैं।
पुलिस विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि उसके पास इस तरह की अमानवीय कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। आगे की जांच के बाद विभाग द्वारा आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
सामाजिक और प्रशासनिक असर
इस घटना ने न सिर्फ शहडोल की लोक‑पुलिस संबंधों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे राज्य में पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम नागरिकों में यह धारणा बन रही है कि जब वीडियो एक ही क्लिक में सामने आ सकती है, तो शक्ति के दुरुपयोग की घटनाएँ छुप नहीं पातीं।
पुलिस प्रशासन को यह चुनौतियाँ झेलनी होंगी कि कैसे जांच निष्पक्ष बनी रहे, दोषियों को उचित दंड मिले, और पीड़ित को न्याय मिले। इस तरह की कार्रवाई यह संदेश देती है कि यदि पुलिसकर्मी अपने दायित्वों का उल्लंघन करें तो उन्हें भी कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर जवाब देना पड़ेगा।
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