शहडोल। जिला अस्पताल Shahdol District Hospital में नवजात के मौत का सिलसिला थामने का नाम नहीं ले रहा है। आज एक बार फिर जिला अस्पताल में 3 और बच्चों की मौत हो गई। बच्चों की मौत का मामला बढ़कर 11 तक पहुंच गया है।
12 घंटे के अंदर 2 और बच्चो की मौत
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में 12 घंटे के अंदर 2 और बच्चो की मौत हुई है। पाली से आये 7 माह के नवजात की निमोनिया बिगड़ने से मौत हुई। बताया जा रहा है कि गुरुवार की सुबह 11 बजे बच्चे को गंभीर हालत में लाया गया था। जिला अस्पताल डिंडोरी से आये 1 माह 10 दिन के नवजात की भी मौत हुई है। मौत के पीछे काम वजन का होना कारण बताया गया। जिला अस्पताल में 6 दिन के भीतर 11 नवजातों की मौत हो चुकी है।
औसतन रोजाना एक बच्चे की मौत
जिला चिकित्सलय में 11 बच्चों की मौत को लेकर पूरे प्रदेश में मचे हड़कंप के बीच जांच और समीक्षाओं के दौर भी तेज हो गए हैं। इन्हीं समीक्षाओं व जांचों के बीच चौंकाने वाला सच सामने आया है। जिला चिकित्सालय में औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत हो रही है पिछले आठ महीने (अप्रैल से नवंबर) के भीतर ही 362 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 262 बच्चों की मौत नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में हुई तो 100 से ज्यादा बच्चों ने बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में इलाज के दौरान जान गंवाई। इनमें से किसी एक बच्चे की भी मौत की जिम्मेदारी किसी चिकित्सक व जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने नहीं ली। जिम्मेदारी डाली गई हालातों व परिजनों पर, जागरुकता के अभाव व विलंब से गंभीर अवस्था में लाने के कारण के रूप में। जबकि यह चिकित्सक भी जानते हैं कि यदि कोई गंभीर रूप से बीमार नहीं तो चिकित्सालय आएगा ही क्यों। वही हैरत की बात यह है कि जिस जिला अस्पताल में औसतन रोजाना एक बच्चे की मौत हो रही वहां एक भी बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है।