डॉ सत्यकांत त्रिवेदी
यौन शिक्षा को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की चर्चा अक्सर विवादों का सामना करती है, लेकिन यह यौन हिंसा को रोकने का एक प्रभावी उपाय हो सकता है। यौन हिंसा, जिसमें बलात्कार, छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार शामिल हैं, एक गंभीर सामाजिक समस्या है। इसे रोकने के लिए केवल कानूनी कदम उठाना काफी नहीं है, बल्कि मानसिकता में बदलाव की भी जरूरत है, जो कि शिक्षा के माध्यम से संभव है।
समाज में मानते हैं सेक्स को एक वर्जित विषय
आज भी कई समाजों में सेक्स को एक वर्जित विषय माना जाता है, खासकर पारंपरिक समाजों में। इस प्रकार की सोच के कारण बच्चों और युवाओं को यौन संबंधी आवश्यक जानकारी नहीं मिल पाती, जिसका परिणाम यह होता है कि वे अपने शरीर और संबंधों को सही ढंग से नहीं समझ पाते। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि जिन देशों में यौन शिक्षा को औपचारिक रूप से स्कूलों में शामिल किया गया है, वहां यौन हिंसा की घटनाओं में कमी आई है।
जहां शिक्षा वहां कम हैं हिंसा
यौन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों और युवाओं को उनके शरीर, संबंधों और सीमाओं के बारे में सही जानकारी देना है। यह उन्हें सहमति और सम्मान के महत्व को समझाने में मदद करती है। शोध से साबित हुआ है कि जहां यौन शिक्षा दी जाती है, वहां यौन हिंसा के मामलों में कमी देखी गई है। उदाहरण के लिए, स्वीडन और नीदरलैंड्स जैसे देशों में यौन शिक्षा को स्कूलों में प्रारंभिक स्तर से ही अनिवार्य किया गया है, जिससे किशोर गर्भधारण, यौन संचारित संक्रमण (STIs) और यौन हिंसा की दरें कम हुई हैं।
स्कूल आधारित यौन शिक्षा रोकता है यौन हिंसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानना है कि स्कूल आधारित व्यापक यौन शिक्षा कार्यक्रम यौन हिंसा को रोकने में अत्यधिक प्रभावी हो सकते हैं। यह बच्चों को “गुड टच” और “बैड टच” की पहचान सिखाने में भी मदद करती है, जिससे वे संभावित यौन शोषण को समय रहते पहचान सकते हैं और उससे बच सकते हैं।
यौन शिक्षा से संक्रमण दर और यौन हिंसा के मामलों में कमी
अमेरिका में किए गए एक शोध के अनुसार, जिन राज्यों में यौन शिक्षा अनिवार्य है, वहां किशोर गर्भधारण और यौन हिंसा के मामलों में 10-15% की कमी आई है। इसी प्रकार, अफ्रीका में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जहां यौन शिक्षा लागू की गई, वहां HIV संक्रमण दर और यौन हिंसा के मामलों में कमी आई है।
यौन शिक्षा दिलाता है न्याय
यौन शिक्षा का उद्देश्य केवल शारीरिक संबंधों के बारे में जानकारी देना नहीं है, बल्कि यह लैंगिक समानता, सहमति, शारीरिक सीमाओं का सम्मान और यौन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाती है। सहमति की समझ से युवा जिम्मेदारी से आचरण करने के लिए प्रेरित होते हैं। साथ ही, यह शिक्षा यौन हिंसा के शिकार लोगों को अपनी पीड़ा व्यक्त करने और न्याय प्राप्त करने में भी सहायक होती है।
शिक्षा देती है जागरूकता
हालांकि, यौन शिक्षा का विभिन्न समाजों में विरोध होता रहा है। कुछ लोग इसे बच्चों के मानसिक विकास के लिए हानिकारक मानते हैं, लेकिन शोध इस बात का समर्थन नहीं करता। बल्कि यह दिखाता है कि जहां यौन शिक्षा दी जाती है, वहां किशोरावस्था में यौन संबंधों की प्रवृत्ति कम होती है, और यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अधिक होती है।
यौन शिक्षा यौन हिंसा को रोकने का एक प्रभावी और आवश्यक कदम है। इसके जरिए बच्चों और युवाओं को न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से जागरूक किया जा सकता है, बल्कि उन्हें यौन संबंधों में जिम्मेदार और संवेदनशील भी बनाया जा सकता है।
(लेखक बंसल हॉस्पिटल भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक हैं और सामायिक विषयों पर लिखते हैं)