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हाइलाइट्स
- सिवनी में स्वास्थ्य विभाग के साथ गांव में हो गया प्रैंक।
- ग्रामीणों ने झूठी सूचना देकर स्वास्थ्य विभाग को बुलाया।
- सड़क की समस्या को लेकर ग्रामीणों का अनोखा अंदाज।
MP Seoni villagers Prank: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के एक छोटे से गांव सालीवाड़ा में ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। गांव की टूटी सड़क और जलभराव की वजह से परेशान ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग को एक झूठी सूचना दी, ताकि विभाग गांव तक पहुंचे और खुद हालात देख सके। आइए जानते हैं इस दिलचस्प और संवेदनशील घटना की पूरी कहानी।
स्वास्थ्य विभाग के साथ किया प्रैंक
सिवनी के घंसौर ब्लॉक के सालीवाड़ा गांव ने ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग को फोन कर बताया कि एक गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए मदद चाहिए। सूचना मिलते ही विभाग की टीम एंबुलेंस लेकर रवाना हुई। इसके बाद टीम नाला पार करके गांव पहुंची तो उन्हें पता चला कि ग्रामीणों ने उनके साथ प्रैंक किया है।
परेशान ग्रामीणों ने उठाया अनोखा कदम
दरअसल, बारिश के कारण सालीवाड़ा गांव का कच्चा रास्ता और अधूरा नाला बाढ़ की चपेट में आ चुका है, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। इसके बाद परेशान ग्रामीणों ने बदहाल सड़क और नाले की ओर प्रशासन का ध्यान खींचने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। समस्या को उजागर करने के लिए ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग को एक गर्भवती महिला के प्रसव की झूठी सूचना देकर बुलाया। सूचना मिलते ही एंबुलेंस और मेडिकल टीम गांव के लिए रवाना हुई, लेकिन बाढ़ग्रस्त नाले के चलते वह गांव तक नहीं पहुंच सकी।
नाले में पानी, नहीं आ सकी एंबुलेंस
जब टीम गांव के पास पहुंची, तो रास्ते में पड़ा नाला बारिश के कारण बाढ़ में डूबा हुआ था। टीम ने गांव वालों से महिला को नाले के इस पार लाने को कहा, तो ग्रामीणों ने बताया कि मामला डिलीवरी का नहीं है, बल्कि दो बीमार लोगों को इलाज की जरूरत है, जो नाला पार नहीं कर सकते।
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पैदल नाला पार कर गांव पहुंची टीम
अगले दिन जब जलस्तर कम हुआ, तब टीम पैदल नाला पार कर गांव पहुंची। वहां उन्हें पता चला कि यह सब एक प्रैंक था, मगर उद्देश्य गंभीर था। ग्रामीणों ने यह तरीका इसलिए अपनाया ताकि प्रशासन तक गांव की दुर्दशा और जमीनी सच्चाई पहुंच सके।
प्रशासन तक आवाज पहुंचाने की कोशिश
ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार अपनी समस्या अधिकारियों तक पहुंचा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने इस घटनाक्रम को सकारात्मक दृष्टिकोण से लेते हुए ग्रामीणों की समस्याएं समझीं और कानूनी कार्रवाई नहीं की।
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