इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में सात साल की बच्ची के अपहरण और दुष्कर्म में नाकाम रहने पर उसकी जघन्य हत्या करने के जुर्म में जिला अदालत ने 31 वर्षीय व्यक्ति को सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। अभियोजन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सुरेखा मिश्रा ने सद्दाम (31) को भारतीय दंड विधान की धारा 302 (हत्या) के तहत फांसी की सजा सुनाई।
अदालत ने मुजरिम को भारतीय दंड विधान की धारा 364 (हत्या के लिए अपहरण) के तहत आजीवन कारावास सुनाया। उस पर भारतीय दंड विधान की अन्य संबद्ध धाराओं के साथ ही यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत भी जुर्म साबित हुआ। अदालत ने मुजरिम पर 9,000 रुपए का जुर्माना लगाया और हत्याकांड की शिकार बच्ची के परिवार को सरकारी खजाने से तीन लाख रुपए का मुआवजा प्रदान किए जाने का आदेश भी दिया।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि सद्दाम ने 23 सितंबर 2022 को आजाद नगर क्षेत्र में सात वर्षीय बच्ची को दुष्कर्म के इरादे से उस वक्त अगवा किया, जब वह अपनी नानी के घर की दहलीज पर खेल रही थी। उन्होंने बताया कि अपहरण के बाद सद्दाम इस बच्ची को अपने घर में ले गया और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
श्रीवास्तव ने बताया कि हो-हल्ले के बाद उसके घर के आस-पास भीड़ जुटने के चलते दुष्कर्म में नाकाम रहने पर सद्दाम ने बच्ची पर चाकू के 29 वार करते हुए उसे जान से मार डाला था। श्रीवास्तव के मुताबिक हत्याकांड के बाद सद्दाम अपने घर से बाहर निकला और चश्मदीदों को धमकाते हुए बोला था कि अगर किसी भी शख्स ने उसके जुर्म की जानकारी पुलिस को दी, तो वह उसकी भी हत्या कर देगा।
उन्होंने बताया कि आजाद नगर क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरे में सद्दाम बच्ची को अगवा करते कैद हो गया था और उसके कब्जे से बरामद चाकू पर उसकी अंगुलियों के निशान पाए गए थे। श्रीवास्तव ने बताया कि मामले की डीएनए रिपोर्ट में भी सद्दाम के बालिका के अपहरण और उसकी हत्या में शामिल होने की पुष्टि हुई।