मुंबई। शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला मंगलवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में भी जारी रहा और बीएसई सेंसेक्स 383 अंक लुढ़ककर 57,300 अंक के स्तर पर बंद हुआ। रूस-यूक्रेन संकट के बीच वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली का असर घरेलू बाजार पर पड़ा।
शुरुआती कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स करीब 1,300 अंक लुढ़क गया था। बाद में इसमें तेजी से सुधार आया। इसके बावजूद यह 382.91 अंक यानी 0.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,300.68 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 114.45 अंक यानी 0.67 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,092.20 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के शेयरों में टाटा स्टील, टीसीएस और एसबीआई में सबसे ज्यादा 3.64 प्रतिशत की गिरावट आयी। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 नुकसान में रहे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘रूसी समर्थन वाले विद्रोहियों के दो क्षेत्रों को मान्यता देने से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है। कच्चे तेल और सोने के दाम में तेजी से आर्थिक प्रभाव का पता चल रहा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती कच्चे तेल का दाम 97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचना है। इसके कारण बढ़ने वाली मुद्रास्फीति के फलस्वरूप रिजर्व बैंक उदार रुख को छोड़ने को मजबूर हो सकता है। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी है और उन्होंने सोमवार को 2,261.90 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
रूस-यूक्रेन गतिरोध के बीच अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में सोमवार को गिरावट के बाद एशिया के अन्य बाजारों में बिकवाली देखी गयी। यूरोपीय बाजारों में भी दोपहर के कारोबार में यही स्थिति रही। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यक्रेन में अलगाववादियों के क्षेत्र को मान्यता दे दी है। इससे भू-राजनीतिक संकट गहराने का अंदेशा है। इस बीच, ब्रेंट क्रूड वायदा चार प्रतिशत बढ़कर 97.35 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। कच्चे तेल का यह दाम सितंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक है।