Senior Citizens Rights : बुढापा एक बीमारी है, अगर बुढ़ापा अच्छे से कट जाए तो बहुत ही अच्छा है, लेकिन अगर बुढ़ापे में दिक्कते, अड़चने आ जाएं तो उसका भगवान ही मालिक है। कहते है कई लोग जीवन के इस पड़ाव में काफी निराश रहते है। तो कई लोग इस पड़ाव को बेहतर तरीके से जीने की कोशिश करते है।
लेकिन बुढ़ापा हर मामले से बेहतर एक मामले में सही फिट बैठता है, और वो होता है परिवार। लेकिन कई मामलों में बुजुर्गो को परिवार नहीं मिल पाता है। साथ ही उन्हें उनके अधिकार भी नहीं मिल पाते है, ऐसे में बुजुर्ग क्या करें, उनके लिए कानूनी अधिकार क्या है, क्या है कानून में प्रावधान आइए बताते है।
क्या कहता है अधिनियम?
आर्टिकल-41 राज्य को कुछ मामलों में काम का अधिकार और सार्वजनिक सहायता हासिल करने के लिए निर्देश देता है, जिसमें वृद्धावस्था भी शामिल है। कानूनी रख-रखाव का दावा करने का अधिकार व्यक्तिगत कानूनों 1956 के तहत दिया गया है। इस अधिनियम की धारा 20 के तहत माता-पिता अपने बेटे के साथ-साथ अपनी बेटी से भी भरण-पोषण का दावा करने के हकदार होते हैं। यह अधिकार प्राकृतिक और गोद लेने वाले माता-पिता दोनों के लिए हैं। सौतेले माता-पिता जिनके अपने बच्चे हैं, वे अपने सौतेले बच्चों से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकते।
क्या कहता है मुस्लिम कानून?
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत बेटा और बेटी दोनों अपने माता-पिता के भरण पोषण करने के लिए उत्तरदायी हैं। मुस्लिम लॉ में गोद लेने की अवधारणा मौजूद नहीं है, इसलिए यहां गोद लेने वाले माता-पिता की देखभाल इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या कहता है क्रिस्चियन कानून?
माता-पिता के संबंध में क्रिस्चिय कानून में व्यक्तिगत कानूनों के तहत रखरखाव का उल्लेख नहीं है। माता-पिता जो अपने बच्चों से भरण-पोषण की मांग करना चाहते हैं उन्हें सीआरपीसी के तहत ही दावा करना होता है।
क्या है कानून?
इस अधिनियम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण देना है। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है। इसमें प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम स्थापित करने की भी परिकल्पना की गई है। यह अधिनियम भारत के उन सभी नागरिकों पर लागू होता है जिन्होंने 60 वर्ष की आयु पार कर ली है। अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है प्रावधान?
एक निसंतान वरिष्ठ नागरिक किसी भी रिश्तेदार से भरण-पोषण का दावा कर सकता है, जिसके पास पास उसकी संपत्ति हो या जो उस संपत्ति को विरासत में प्राप्त करेगा। राज्य सरकार को ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्देश दिया गया है जो रखरखाव से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगा। अधिकतम रखरखाव भत्ता राज्य सरकार द्वारा तय किया गया है जो प्रति माह 10,000 से अधिक नहीं होना चाहिए। ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अगर कोई व्यक्ति भरण पोषण के भुगतान में चूक करता है तो कारावास का भी प्रावधान है। ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील ट्रिब्यूनल में 60 दिनों की अवधि के भीतर की जा सकती है। कार्यवाही की लागत में कटौती करने के लिए पक्ष कार्यवाही के लिए कानूनी व्यवसायी को नियुक्त नहीं कर सकते हैं।
हर जिले में वृद्धाश्रम खोलने का प्रावधान
अधिनियम में 150 वरिष्ठ नागरिकों को आश्रय देने की क्षमता वाले प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम की स्थापना करने का प्रावधान है। वरिष्ठ नागरिक भी ट्रिब्यूनल में आवेदन करके अपनी संपत्ति के हस्तांतरण को वसीयत या उपहार से भी रद्द कर सकता है। अधिनियम में माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के परित्याग के लिए ऐसे व्यक्ति द्वारा दंड का प्रावधान है जो उनकी देखभाल करने के लिए उत्तरदायी है। माता-पिता चाहे वे किसी भी समुदाय से हों, सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने बच्चों से भरण-पोषण का दावा कर सकते है।