सीहोर। अगर हम आपसे कहे कि एक पौधे को उखाड़ना है जो करीब 4 इंच जमीन के अंदर गड़ा है, तो ज्यादातर लोग बिना कुछ सोचे कहेंगे ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। हम तो उस पौधे को यूं उखाड़ फेकेंगे। लेकिन जनाब जरा रूकिए। हम आपसे ऐसे वैसे पौधे को उखाड़ने के लिए नहीं कहेंगे, बल्कि मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के धबोटी गांव में एक ऐसा पौधा है जिसे लोग करीब 100 साल से उखाड़ने की कोशिश कर रहे हैं हम उसे उखाड़ने के लिए कहेंगे। सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है लेकिन यह सच है। इस पौधे को करीब 100 साल से कोई नहीं उखाड़ पाया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
मानो पौधा अंगद का पैर हो
धबोटी गांव का ये पौधा न हुआ मानों अंगद का पैर हो गया। बड़े से बड़े सुरमा इसे उखाड़ने में असफल रहे हैं। गांव में दीपावली के एक दिन बाद इस पौधे को उखाड़ने की प्रथा है जो आज भी एक रहस्य है। दीपावली के अगले दिन इस प्रथा को निभाने के लिए एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोग इक्कठा होते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि पौधा उखाड़ने की प्रथा 100 वर्ष से अधिक समय से चली आ रही है, लेकिन अभी तक कोई भी इस दुर्लभ पौधे को उखाड़ नहीं पाया है।
क्या है प्रथा
गांव वालों की मानें तो विशेष पूजा अर्चना के बाद गांव में स्थित खुटियादेव के मंदिर परिसर में पुवाडिया नाम का दो फिट का पौधा जमीन में चार इंच के करीब गाड़ी जाता है और उसके बाद सुबह यहां आने वाले श्रद्धालु खुटियादेव के दर्शन करने के बाद इसे उखाड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन यह चार इंच जमीन में गड़ा हुआ पौधा चार-पांच लोगों के अथक प्रयास के बाद भी जमीन से ठस से मस नहीं होता है।
हजारों लोग होते हैं साक्षी
दिवाली के दूसरे दिन ग्राम धबोटी में छोटा बारहखंबा से नाम से इस प्रसिद्ध मेले और पौधा उखाड़ने की इस अद्भुत घटना में करीब 15 हजार से अधिक श्रद्धालु हर साल साक्षी के रूप में मौजूद रहते हैं, लेकिन पिछले साल कोरोना संकट के कारण मेले में ज्यादा लोग नहीं आ पाए थे। आखिर इस पौधे में ऐसा क्या है इस रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है। गांव वाले मानते हैं कि इसके पीछे कोई देवीय शक्ति है।
नोट- बंसल न्यूज इस लेख को सिर्फ एक जानकारी के तौर पर आप तक पहुंचा रहा है। हम किसी भी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करते हैं।