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CG SECR Boxing Ring Sharab Party
CG SECR Boxing Ring Sharab Party : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) जोन के बॉक्सिंग रिंग में खेल अधिकारियों और कोचों द्वारा शराब पार्टी मनाने के मामले पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। यह मामला तब सामने आया जब मीडिया में पार्टी की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए। गुरुवार को चीफ जस्टिस और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने इस घटना को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिए स्वीकार किया और SECR के महाप्रबंधक से शपथ पत्र पर जवाब मांगा है।
अधिकारियों ने उड़ाई मर्यादा की धज्जियां
मामले की शुरुआत तब हुई जब एक रिपोर्ट में सामने आया कि SECR जोन के स्पोर्ट्स सेल प्रभारी, कोच और कुछ खिलाड़ी ने रेलवे के बॉक्सिंग रिंग में बैठकर बर्थडे पार्टी मनाई। इस दौरान वहां शराब और नॉन-वेज पार्टी का आयोजन किया गया। खेल मैदान की पवित्रता को ताक पर रखते हुए उन्होंने बॉक्सिंग मैट को टेबल की तरह इस्तेमाल किया, जिस पर गिलास, बीयर की बोतलें और स्नैक्स रखे गए थे।
पार्टी कई घंटों तक चली, और बताया गया कि रिंग के अंदर ही खेल अधिकारियों ने दारू-मुर्गा का मज़ा लिया। सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आने के बाद खेल प्रेमियों और आम नागरिकों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई।
हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन भी सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि खेल सुविधाओं का इस तरह इस्तेमाल न केवल अनुशासनहीनता है बल्कि खिलाड़ियों के सम्मान के खिलाफ भी है। कोर्ट ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक तरुण प्रकाश को आदेश दिया है कि वह अगली सुनवाई से पहले विस्तृत जांच रिपोर्ट शपथ पत्र के रूप में पेश करें।
इस रिपोर्ट में जांच के परिणाम, जिम्मेदार अधिकारियों के नाम और उनके खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई का पूरा विवरण शामिल करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि खेल के नाम पर इस तरह की गतिविधियां अस्वीकार्य हैं और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अपेक्षित है।
31 अक्टूबर को फिर होगी सुनवाई
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर 2025 तय की है। तब तक SECR प्रशासन को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर रिपोर्ट में लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया जा सकता है।
खेल परिसर में अनुशासन और गरिमा पर उठे सवाल
इस घटना के सामने आने के बाद खेल परिसरों की सुरक्षा और अनुशासन पर सवाल उठने लगे हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि अगर अधिकारी ही खेल मैदानों को निजी पार्टी स्थल बना देंगे, तो खेल भावना और खिलाड़ियों की मेहनत का सम्मान कहां बचेगा? इस घटना ने खेल प्रशासन की कार्यसंस्कृति और जवाबदेही दोनों पर गहरी चोट की है।
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