भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन-सी होगी? इस विषय को लेकर देश की आजादी के बाद से ही मतभेद रहा है कई लोगों का मानना यह है कि हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए तो कई संस्कृत, तमिल आदि भाषा को अपना समर्थन देते हैं। ऐसा नहीं हैं की भारत की आजादी के बाद इस विषय में चर्चा नहीं हुई है आजादी के पश्चात संविधान पीठ में भी इस विषय में चर्चा हो चुकी है परन्तु कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकल पाने के कारण इस विषय को पेंडिंग में दाल दिया गया और यही कारण है कि आज तक भारत की कोई सी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हैं जबकि भारत में वर्त्तमान समय में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
किस विषय में थी जनहित याचिका-
भारत में कोई भी राष्ट्रीय भाषा नहीं होने के कारण संस्कृत भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाने की जनहित याचिका में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की परन्तु याचिकाकर्ता की मांग को न मंजूर कर दिया गया। दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट में संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, जिसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से संस्कृत में एक लाइन सुनाने के लिए भी कहा।
कोर्ट ने पूंछा क्या आप संस्कृत भाषा में रिट याचिका की प्रार्थना का अनुवाद कर सकते हैं?
बेंच ने पूछा, ‘क्या आप संस्कृत बोलते हैं? क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं या आपकी रिट याचिका की प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं।‘ इसपर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट ने एक श्लोक सुना दिया और बेंच की तरफ से जवाब मिला ‘यह हम सभी को पता है।‘
कौन हैं याचिकाकर्ता?
यह जनहित याचिका सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और वकील केजी वंजारा ने दायर की थी। याचिका में केंद्र सरकार को संस्कृत को राष्ट्रभाषा के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि इस तरह के कदम से मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों में खलल नहीं पड़ेगी जो अंग्रेजी और हिंदी को देश की आधिकारिक भाषाओं के रूप में रखते हैं।