नई दिल्ली। Sawan 2023 Rudraksha Knowledge: सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होने वाला है। भारतीय संस्कृति में ये पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने कई लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं. ऐसे में यदि आप भी रूद्राक्ष पहनने वाले हैं तो चलिए पंडित अनिल पांडे से जानते हैं कि सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है? साथ ही जानेंगे रुद्राक्ष का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है?
क्या आपको पता है कि भगवान शिव को रूद्राक्ष अति प्रिय है और इसकी गाथा सर्व प्रथम शिव जी मां पार्वती को सुनाई थी। यह भगवान के मन तक पहुंचने का साधन तो है ही साथ ही साथ कई रोगों की दवा भी है। तो आइए हम आपको बताते हैं। रूद्राक्ष से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण बातें।
विभिन्न धर्म ग्रंथों में है रूद्राक्ष का महत्व Importence of Rudraksha
वास्तु शास्त्री व ज्योतिषाचार्य अनिल पाण्डे के अनुसार हमारे विभिन्न धर्म शास्त्रों में रूद्राक्ष का महत्व समझाया गया है।
1 – शिव महापुराण के विशेश्वर संहिता के 25 वें अध्याय के प्रारंभ में ही सूत जी कहते हैं कि हे शौनक रुद्राक्ष शंकर जी को अत्यंत प्रिय है। इसके द्वारा जाप करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। सूत जी आगे कहते हैं कि रुद्राक्ष की महिमा सबसे पहले भगवान शिव ने लोक के कल्याणार्थ माता-पार्वती जी को सुनाई।
2 – शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने पार्वती जी को बताया कि तपस्या के दौरान उन्होंने एक बार अपने नेत्र खोल दिए थे। उन नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई थी। उन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए।
3 – पूजा पाठ करने वालों को सफेद रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
4 – पुरुषार्थ का कार्य करने वाले अर्थात सीमा के प्रहरी को लाल रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
5 – वैश्य वृत्ति करने वालों को पीला रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
6 – अन्य लोगों को काले रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रूद्राक्ष का वैज्ञानिक पक्ष क्या है – Sawan 2023 Rudraksha Knowledge:
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो रूद्राक्ष का वृक्ष ईलयवोकार्पस (Elaeocarpus) कुल का एक सदस्य हैं। जिसे हम ईलयवोकार्पस गेनीटर्स कह सकते हैं।
रूद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ क्या है – Meaning Of Rudraksha
रुद्राक्ष का अर्थ रूद्र+अक्ष अर्थात भगवान शिव के आंखों का जल होता है। सद्गुरु शिवा सुब्रमण्यम स्वामी और कमल नारायण सीता के अनुसार रुद्राक्ष अर्थात रुद्र का अक्ष अर्थात भगवान शिव की आंख है। इसके अलावा कुछ लोग अक्ष का अर्थ धार्मिक ज्ञान भी मानते हैं। इनके अनुसार रुद्राक्ष शब्द का अर्थ भगवान शिव के संबंध में ज्ञान है।
रुद्राक्ष का धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ क्या है –
रुद्राक्ष की माला द्वारा जाप करना विशेष लाभदायक है। गोल स्न्गिध, मजबूत मोटा, कांटेदार रुद्राक्ष सर्व मनोरथ सिद्ध एवं भक्ति-मुक्ति दायक होता है। टूटे-फूटे कीडों द्वारा खाए हुए, कांटों से रहित, फलों से पूर्ण और चपटे रुद्राक्ष धारण करने योग्य नहीं होते हैं।
रुद्राक्ष में छेद बना हुआ हो वे उत्तम होते हैं।
अगर रुद्राक्ष का मुकुट बनाना है तो उसमें 550 रुद्राक्ष लगते हैं।
यज्ञोपवीत 3 लड़ी का और 308 रुद्राक्ष का होता है।
रुद्राक्ष की माला 101 रुद्राक्ष की होती है।
इसके अलावा 3 रुद्राक्ष शिखा में 6-6 रुद्राक्ष दोनों कानों में 1111 रुद्राक्ष दोनों कहानियों में इतने ही रुद्राक्ष मणि बंधों में फिल्म रुद्राक्ष 5 कमर में इस प्रकार कुल 11 सौ रुद्राक्ष कोई व्यक्ति धारण कर सकता है।
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रुद्राक्ष धारण करने से क्या लाभ होता है? Benefit of Rudraksha
रुद्राक्ष जितना अधिक छोटा होता है वह उतना ही अधिक फलदायी होता है। रुद्राक्ष धारण करने वाले को मांस, प्याज, लहसुन आदि में वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। श्री शिव महापुराण में इन रुद्राक्ष को धारण करने के लिए मंत्र बताए गए हैं। मंत्रों का उच्चारण करके ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
1 – एक मुखी रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति समस्त बाधाओं से दूर हो जाता है।
2 – दो मुखी रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर रुद्राक्ष भी कहते हैं। यह व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
3 – तीन मुख वाला रुद्राक्ष साधन सिद्ध करता है।
4 – चार मुख वाले रुद्राक्ष से नर हत्या का पाप भी छूट जाता है।
5 – पंचमुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि भी कहते हैं। यह शुभकामनाएं पूर्ण कर मोक्ष प्रदान करता है। सर्व कामनाएं पूर्ण करें मोक्ष प्रदान करता है।
6 – छह: मुखी रुद्राक्ष को स्वामी कार्तिकेय का रूप कहते हैं। इसको पहनने से का ब्रहम हत्या का पाप भी समाप्त हो जाता है।
7 – सप्त मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन की प्राप्ति होती है।
8 – अष्ट मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।
9 – नौ मुखी रुद्राक्ष को बाईं तरफ धारण करने से समस्त प्रकार के वैभव प्राप्त होते हैं।
10 – दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
11 – ग्यारह मुखी रुद्राक्ष आदित्य रूप है। इसे मस्तक पर धारण करने से व्यक्ति का तेज बहुत बढ़ जाता है।
12 – 12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करता है। अर्थात जिसकी कुंडली में सूर्य नुकसान हो रहा है। उन्हें 12 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। 12 मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के व्यक्तित्व में तेज की वृद्धि करता है।
13 – 13 मुखी रुद्राक्ष विश्वदेव है। इसे धारण करें तो मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
14 – 14 मुखी रुद्राक्ष हनुमान जी का प्रतिरूप माना जाता है। इसको पहनने से व्यक्ति में साहस की वृद्धि होती है।
15 – 15 से इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष कभी-कभी मिल जाते हैं और सामान्य व्यक्ति इनको नहीं पहन पाता है।
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शोध में दावा, कई बीमारियों का इलाज है रूद्राक्ष
ज्योतिषाचार्य अनिल कुमार पाण्डेय के अनुसार रूद्राक्ष के ऊपर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध किए हैं। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के अनुसार रुद्राक्ष का उपयोग विभिन्न रोगों को ठीक करने में किया जा सकता है।
– इसमें चुंबकीय शक्ति होती है। (Sawan 2023) जिसके चलते यह हमारे शरीर पर बहुत तेजी से असर करता है।
– यह दिल और इंद्रियों पर प्रभाव डालता है। ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है। अनुसंधान में देखा गया है कि हृदय रोगी और हाई ब्लड प्रेशर वालों को रुद्राक्ष पहनने से काफी फायदा होता है।
– विभिन्न अनुसंधान में यह भी पाया गया है कि रुद्राक्ष की माला पहनने वाला व्यक्ति का अपने मस्तिष्क पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
– रुद्राक्ष की माला व्यक्तित्व को धनात्मक का आकार देती है। पहनने वाले को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
– विशेष रुप से 4 मुखी, 6 मुखी और 9 मुखी रुद्राक्ष की माला पहनने से कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ता है।
– जिन लोगों के मन में हर वक्त बेचैनी और घबराहट रहती है। उनको भी रुद्राक्ष की माला अत्यंत फायदा करती है। इसमें anti-inflammatory और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं।
– अक्सर विद्वान लोग रुद्राक्ष का पानी भी पीने की सलाह देते हैं ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और प्रतिरोधक क्षमता भी सुधर जाती है।
इस दिन से शुरू हो रहा है सावन
इस साल सावन का महीना (Sawan 2023) 4 जुलाई से शुरू हो रहा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार अधिमास होने के चलते दो सावन आएंगे. यही कारण है कि इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ेंगे.
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