हाइलाइट्स
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भोपाल में सरपंच संघ ने किया प्रदर्शन
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1 जुलाई के आदेश को निरस्त करने की मांग
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मांगें पूरी नहीं होने पर दी बड़े आंदोलन की चेतावनी
Sarpanch Sangh Pradarshan in MP: सरपंच संघ ने अपनी 19 सूत्रीय मांगो को लेकर राजधानी भोपाल में CM हाउस के सामने प्रदर्शन किया। इसके लिए प्रदेशभर से सरपंच सुबह से ही जुटना शुरू हो गए थे।
सरपंच संघ का कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक पंचायतों में मंत्री और विधायकों को नहीं घुसने दिया जाएगा। सरकार आदिवासी इलाकों की महिला सरपंचों को बाइक खरीदने और हर महीने पेट्रोल का पैसा दे।
सरपंच संघ का आरोप है कि सरकार मनरेगा को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। 1 जुलाई 2024 के ऑर्डर को निरस्त किया जाए। ये हमारा सांकेतिक धरना था अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो प्रदेशव्यापी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन
दरअसल 2 जुलाई को गौतम टेटवाल ने बयान दिया था कि गांव में यदि गौ माता घूमते पाई गई या उन्हें कुछ नुकसान पहुंचता है तो उस पंचायत के सरपंच, जनपद सदस्य,पंचायत सहायक, पंचायत सचिव सब जिम्मेदार होंगे।
गाय को कोई नुकसान पहुंचा तो सरपंचों को धारा 151 में जेल भेज देंगे। सरपंच राज्यमंत्री के इसी बयान से खफा हैं। उन्होंने अपने मांग पत्र में टेटवाल का इस्तीफा भी मांगा है।
सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक हो
सरपंच संघ की मुख्य मांग है कि सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक किया जाए। दरअसल अभी सरपंचों को 4250 रुपये मानदेय मिल रहा है।
संघ का कहना है कि ये मानदेय बढ़ती महंगाई के दौर में न के बराबर है। इसलिये इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए। बता दें कि सरपंचों का मानदेय एक साल पहले ही बढ़ा है।
जून 2023 तक सरपंचों को 1750 रुपये मिलते थे, जिसे जुलाई 2023 को तीन गुना तक बढ़ाकर 4250 रुपये कर दिया।
सरपंच संघ का कहना है कि इसे बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाना चाहिए। इसके अलावा पेंशन की भी मांग की गई है।
मनरेगा का नया आदेश निरस्त करने की मांग
1 जुलाई 2024 को मनरेगा का नया आदेश जारी किया गया। सरपंच संघ इसे निरस्त करवाने की मांग कर रहा है।
दरअसल इस आदेश के लागू होने के बाद बनने वाले वित्तीय प्रबंधन से सरपंच संघ नाखुश है।
मनरेगा के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि मजदूरी और मटेरियल के लिये खर्च होती थी।