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उपचुनाव में हॉट सीट सांवेर से तुलसी सिलावट बड़े मार्जिन से जीते, ये हैं जीत के पांच बड़े आधार

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News Bansal
उपचुनाव में हॉट सीट सांवेर से तुलसी सिलावट बड़े मार्जिन से जीते, ये हैं जीत के पांच बड़े आधार

इंदौर: मध्य प्रदेश उपचुनाव में सबसे हॉट मानी जाने वाली सांवेर सीट पर बीजेपी के तुलसी सिलावट ने रिकार्ड 53264 मतों से जीत हासिल की है। सांवेर में पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी ने 50 हजार से ज्यादा मतों से विजय पाई हो, सिलावट को जहां 129676 मत मिले तो वहीं, गुड्डू को 76412 मत मिले।

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सांवेर विधानसभा क्षेत्र के करीब 2 लाख 70 हजार में से करीब 2 लाख 10 हजार मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इनमें से 61% मतदाताओं ने बीजेपी के तुलसी सिलावट पर भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्‌डू को सिर्फ 36 प्रतिशत वोट मिल पाए, पिछली बार कांग्रेस को 96 हजार 535 वोट मिले थे, जबकि इस बार 76 हजार 412 वोट मिले। यानी कांग्रेस के 20123 वोट इस बार बीजेपी को मिले। शहरी क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर करीब 51 हजार वोट डाले गए। इनमें से 72 फीसदी यानी 36 हजार से ज्यादा वोट तुलसी सिलावट के खाते में गए हैं। इन केंद्रों पर कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत गिरकर मात्र 28 फीसदी पर आ गया।

गुड्‌डू के शिवलिंग का जवाब भाजपा ने तुलसी पौधों और नर्मदा यात्रा से दिया

सांवेर में तुलसी सिलावट ने भले ही जीत दर्ज की है, लेकिन समय पर भाजपा नहीं संभलती तो तस्वीर ऐसी नहीं होती। दरअसल, कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्‌डू ने भाजपा से निष्कासित एक पूर्व पदाधिकारी की मदद लेकर अलग टीम बना ली थी।

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नतीजा यह हुआ कि सांवेर में गुड्‌डू ने टिकट मिलने से पहले ही शिवलिंग बांटने शुरू कर दिए। इसके बाद सिलावट की तरफ से घर-घर तुलसी के पौधे बांटे गए। फिर नर्मदा कलश यात्राएं निकालीं। कांग्रेस के पन्ना प्रमुख बनाने की कवायद भी इसी का हिस्सा बनी। भाजपा को इसका पता चला तो ताबड़तोड़ उक्त पदाधिकारी की कड़ियां निकालकर उन्हें चुनाव से बाहर किया।

सिलावट की जीत के पांच बड़े आधार

1. 30 साल पुरानी नर्मदा के पानी की मांग को पूरा करने का वादा घर-घर तक पहुंचाया।

2. 3 माह में सांवेर की 23 सड़कों के निर्माण की घोषणा, 210 करोड़ की योजना।

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3. 3 साल से सिलावट का गांव-गांव में संपर्क, लोगों से जुड़ाव और सहज, सरल स्वभाव।

4. जिनसे भितरघात की आशंका थी, उन सबको मनाया, चुनाव में सभी एकसाथ जुटे।

5. लंबे समय से संपर्क के कारण भाजपा के साथ कांग्रेस का परंपरागत वोट भी शिफ्ट हुआ।

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