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Santosh Bhartiya Book: जब भारतीय प्रधानमंत्री ने नवाज शरीफ से कहा- 'आपको कश्मीर दिया', लेकिन रखी थी एक शर्त

Santosh Bhartiya Book: जब भारतीय प्रधानमंत्री ने नवाज शरीफ से कहा- 'आपको कश्मीर दिया', लेकिन रखी थी एक शर्त Santosh Bhartiya Book: When Indian Prime Minister said to Nawaz Sharif - 'Give you Kashmir', but had placed one condition nkp

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Bansal Digital Desk
Santosh Bhartiya Book: जब भारतीय प्रधानमंत्री ने नवाज शरीफ से कहा- 'आपको कश्मीर दिया', लेकिन रखी थी एक शर्त

नई दिल्ली। देश की जनता और देश की सरकार कश्मीर को किसी भी कीमत पर अपने से अलग नहीं देख सकती। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को कश्मीर देने की पेशकश तक कर दी थी। दरअसल, देश के जाने माने पत्रकार और पूर्व सांसद संतोष भारतीय की किताब 'वीपी सिंह चंद्रशेखर सोनिया गांधी और मैं' में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है। संतोष भारतीय के अनुसार प्रधानमंत्री बनते ही चंद्रशेखर ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलकर कहा था कि कश्मीर आपको दिया।

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नवाज ने कहा- कश्मीर हमें दे दीजिए

भारती ने अपने किताब के 34वें अध्याय 'कश्मीर आपको दिया' में लिखा है कि वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री बनते ही चंद्रशेखर राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के मालदीव की राजधानी माले चले गए। वहां पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी आए हुए थे। पहले नवाज शरीफ का भाषण हुआ फिर भारत के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का। चंद्रशेखर भाषण समाप्त करके जैसे ही मंच से नीचे उतरे वहां उन्हें नवाज शरीफ दिखाई दिए। नवाज उनकी तरफ ही बढ़े आ रहे थे। चंद्रशेखर की एक खासियत थी कि वे हर एक से अनौपचारिक व्यवहार करते थे। नवाज शरीफ जैसे ही पास पहुंचे, चंद्रशेखर ने उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा, आप बहुत बदमाशी करते हैं। इस पर नवाज शरीफ बोले, आप बदमाशी का कारण दूर कर दीजिए। खड़े-खड़े चंद्रशेखर ने पूछा, क्या कारण है मैं दूर कर देता हूं। नवाज शरीफ ने कहा, कश्मीर हमें दे दीजिए बदमाशी दूर हो जाएगी।

कश्मीर के साथ पंद्रह करोड़ मुसलमानों को भी लेना होगा

चंद्रशेखर दस सेकेंड तक नवाज शरीफ के चेहरे को देखते रहे और फिर बोला, चलो कश्मीर आपको दिया। नवाज शरीफ इस बात को सुनते ही खुश हो गए, उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने इतिहास को जीत लिया है। खुशी से नवाज ने कहा, तो आइए बात कर लेते हैं। इसके बाद चंद्रशेखर और नवाज शरीफ एक छोटे से कमरे में चले गए। नवाज शरीफ ने चंद्रशेखर से पूछा, इसपर कैसे आगे बढ़ना है। चंद्रशेखर बोले, आपको एक छोटी सी घोषणा करनी है। नवाज़ शरीफ ने कहा, बताइए मैं अभी करता हूं। चंद्रशेखर ने कहा कश्मीर के साथ आपको भारत के पंद्रह करोड़ मुसलमानों को भी लेना होगा।

कश्मीर भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक

नवाज शरीफ चौंकते हुए बोले, इसका क्या मतलब। इसपर चंद्रशेखर ने उन्हें समझाया, भारत में 15 करोड़ मुसलमान हैं, पूरे देश में फैले हैं और ज्यादातर मुसलमान गांवों में रहते हैं। आप जैसे ही संख्या और धर्म के आधार पर कश्मीर लेंगे वैसे ही पूरे हिंदुस्तान के गांवों से मांग उठने लगेगी कि यहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं इन्हें यहां से निकालो। गांव-गांव में दंगे शुरू हो जाएंगे। मेरे पास इतनी पुलिस और सेना नहीं है कि मैं गांव-गांव उन्हें तैनात कर सकूं। चंद्रशेखर ने आगे कहा कि कश्मीर भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदे का क्षेत्र नहीं है। वहां हर चीज बाहर से भेजनी पड़ती है। आर्थिक बोझ बहुत है लेकिन कश्मीर भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता का जीता जागता प्रतीक है। कश्मीर हमारे पास है यह भारत के बाकी मुसलमानों को सुरक्षा की गारंटी तो है ही, विश्व को यह विश्वास भी दिलाता है कि भारत का संवैधानिके ढांचा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को मानता है और सभी को बराबरी से जीने और आगे बढ़ने की गारंटी देता है।

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मैं भी चुप हो जाता हूं, आप भी चुप हो जाइए

चंद्रशेखर ने फिर कहा, अगर आप कश्मीर के साथ 15 करोड़ मुसलमानों को भी लेने को तैयार हैं तो मैं घोषणा कर देता हूं। नवाज शरीफ हैरान रह गए। उन्होंने चंद्रशेखर से मुस्कुराते हुए कहा, क्या मैं आपको भाई साहब कह सकता हूं। चंद्रशेखर भी मुस्कुराए और कहा, क्यों नहीं। तब नवाज़ शरीफ ने हंसते हुए कहा, कश्मीर पर मैं भी चुप हो जाता हूं, आप भी चुप हो जाइए। दूसरी बात नवाज शरीफ ने यह कही, हम लोग हॉटलाइन लगा लेते हैं ताकि हम समस्या पैदा होने पर सीधे बात कर सकें। इसके बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के कार्यालयों में हॉटलाइन लग गई।

किताब में कई राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र किया गया है

बतादें कि वॉरियर विक्ट्री पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित इस किताब में राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी से जुड़े अनेक राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र किया गया है। इस किताब में राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन के रिश्तों के अनकहे पहलू, फिल्मी सितारों की खेमेबंदी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और राजीव गांधी के रिश्ते। समेत कई सियासी घटनाओं में पर्दे के पीछे जो हुआ उसका खुलासा किया गया है।

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