Varanasi Sai Baba Idol Controversy: पिछले कई दिनों से वाराणसी के मंदिरों में से साईं बाबा की मूर्तियों हटाने पर बड़ा विवाद विवाद खड़ा हो गया है. अब इस मामले में महाराष्ट्र में कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने घटना की निंदा की है.
बता दें भाजपा प्रदेश प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि वाराणसी (Sai Baba Idol Controversy) में हो रहा साईं बाबा का अपमान स्वीकार नहीं है. इतना ही नहीं कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात ने कहा कि घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वह जाति व धर्म से ऊपर थे।
वाराणसी में अब तक शहर के 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा चुकी हैं।
मुस्लिम समुदाय से थे साईं बाबा- हिंदू संगठन
हिंदू संगठनों का कहना है कि साईंबाबा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं है और वे मुस्लिम समुदाय से थे। उनका आरोप है कि साईंबाबा (Sai Baba Row,Sai Baba Temple) का असली नाम चांद मिया था, और इसलिए उनकी मूर्ति मंदिरों में स्थापित नहीं होनी चाहिए।
संगठनों के अनुसार, सनातन धर्म के मंदिरों में केवल सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति, और गणपति की मूर्तियां ही स्थापित की जा सकती हैं। इस अभियान का नेतृत्व सनातन रक्षा दल के अजय शर्मा कर रहे हैं, जो साईंबाबा की मूर्ति हटाने के प्रयास में लगे हैं।
उनका कहना है कि वे साईंबाबा की पूजा के विरोधी (साईं मूर्ति विवाद) नहीं हैं, लेकिन मंदिरों में उनकी मूर्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक परंपराओं के खिलाफ है। यह पहली बार नहीं है जब साईंबाबा की मूर्ति को लेकर विवाद हुआ हो। पहले भी कई धर्मगुरुओं और संगठनों ने इसका विरोध किया है।
केंद्रीय ब्राह्मण महासभा ने शुरू अभियान
वाराणसी में साईं बाबा की मूर्तियां मंदिरों से हटाने के पीछे (Sai Baba Row,Sai Baba Temple) केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की भूमिका मानी जा रही है। महासभा का दावा है कि साईं की पूजा सनातन धर्म के खिलाफ है। इसके चलते शहर के कई मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई जा रही हैं, और आगे भी इसे जारी रखने की योजना बनाई जा रही है।
बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी राजेश तिवारी के अनुसार, साईं बाबा (साईं मूर्ति विवाद) की प्रतिमा 2013 में स्थापित हुई थी, लेकिन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के विरोध के बाद इसे हटाने का अभियान शुरू हुआ, जिनका कहना था कि साईं बाबा मुस्लिम थे।