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MP के मंत्री से जुड़ा मामला: सागर के लापता किसान के केस में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, नई SIT 4 हफ्ते में करे जांच

Sagar Mansingh Patel Case: खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम जुड़ा होने से मामला हाई प्रोफाइल है।

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Rahul Sharma
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Sagar Mansingh Patel Case: मध्य प्रदेश के सागर से 8 सालों से लापता किसान मानसिंह पटेल की अब एसआईटी तलाश करेगी। 14 अगस्त को मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) गठित करने के निर्देश दे दिये हैं। नई SIT 4 हफ्ते में जांच करे।

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सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मानसिंह पटेल के गुम होने और उनकी पुश्तैनी जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप किसी और पर नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर है।

याचिकाकर्ता की ओर से इस आरोप का उल्लेख भी किया गया है। वहीं मंत्री राजपूत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस आदेश से मेरे विरुद्ध की गई साजिश का भी पर्दाफाश होगा।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम जुड़ा होने से मामला हाई प्रोफाइल है।

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पिछली एसआईटी का गठन मात्र दिखावा

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने पाया कि आरोपों की जांच के लिए मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गठित पिछली एसआईटी में केवल कांस्टेबल और निचले स्तर के अधिकारी शामिल थे।

कोर्ट ने इस एसआईटी के गठन को "मात्र दिखावा" करार दिया। कोर्ट ने कहा "आरोपों की गंभीर प्रकृति और जिन व्यक्तियों पर आरोप लगाए गए हैं, उन्हें देखते हुए एसआईटी का गठन महज दिखावा है।

एसआईटी के लिए जांच को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना बिल्कुल भी संभव नहीं होगा, जिससे पीड़ित के परिवार, प्रियजनों या आम जनता का विश्वास बढ़ सके"।

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बेटा बयानों से पलटा तो समाज ने दायर की याचिका

इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात ये ही है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका मानसिंह पटेल के किसी पारिवारिक सदस्य नहीं बल्कि समाज ने लगाई है। ओबीसी महासभा ने ओबीसी समुदाय से संबंधित मानसिंह पटेल को पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।

इसकी सबसे बड़ी वजह मानसिंह का बेटा सीताराम पटेल रहा। 2016 में पहले सीताराम ने ही गोविंद सिंह राजपूत पर आरोप लगाते हुए शिकायत की। बाद में सीताराम अपने बयानों से पलट गया। बाद में सीताराम ने कहा कि उनके पिता मानसिंह को तीर्थ घूमने की आदत है। यही कारण है कि मानसिंह की खोज के लिये समाज ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।

संज्ञेय अपराध की रिपोर्टिंग एक वैधानिक दायित्व : SC

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा "संज्ञेय अपराध की रिपोर्टिंग सभी के लिए एक वैधानिक दायित्व है। जहां पुलिस द्वारा जानबूझकर या अन्यथा ऐसी रिपोर्टिंग को खारिज कर दिया गया है, वहां समाज के जागरूक वर्ग या सामाजिक सहायता समूहों से अपेक्षा की जाती है कि वे मूक पीड़ितों और/या रहस्यमय परिस्थितियों में चुप करा दिए गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए ऐसे कारणों का समर्थन करें।

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सागर पुलिस को भी नहीं पता मानसिंह कहां

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1824036330461884851

कोर्ट ने कहा कि इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि मानसिंह पटेल जीवित हैं या 2016 में लापता होने की सूचना के बाद हाल के वर्षों में उन्हें देखा गया है। अदालत ने कहा: "यहां तक ​​कि सागर के पुलिस अधीक्षक का नवीनतम हलफनामा भी उनके ठिकाने के बारे में चुप है।"

चार सप्ताह में जांच पूरी करेगी एसआईटी

गुमशुदगी के मामले में आठ साल से अधिक समय से चल रही धीमी जांच पर निराशा व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नई एसआईटी चार सप्ताह के भीतर जांच पूरी करेगी। इसके बाद आवश्यक परिणाम सामने आएंगे। पीड़ित पक्ष इस न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र होंगे, यदि उन्हें अन्य कठोर उपायों का सहारा लेने की आवश्यकता हो।

पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जानें

1. मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को एक एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया। जिसमें पुलिस महानिरीक्षक स्तर का एक अधिकारी (एसआईटी के प्रमुख के रूप में), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर का एक अधिकारी, पुलिस अधीक्षक या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर का एक अन्य अधिकारी - सदस्य के रूप में रहेंगे।

2. तीनों अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा के सीधी भर्ती वाले सदस्य होंगे, जिनकी जड़ें मध्य प्रदेश के अलावा किसी अन्य राज्य में होंगी, हालांकि वे मध्य प्रदेश कैडर में सेवारत होंगे। एसआईटी को जांच के दौरान सहायता के लिए कुछ कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करने की स्वतंत्रता होगी।

3. गुमशुदा व्यक्ति पंजीकरण संख्या 9/2016 को तुरंत एफआईआर के रूप में पंजीकृत किया जाएगा, हालांकि शुरुआत में केवल अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ। एफआईआर संख्या 23/2023 को फिलहाल स्थगित रखा जाएगा और एसआईटी इसका संज्ञान नहीं लेगी। दूसरे शब्दों में, एसआईटी शिकायतकर्ता सीता राम पटेल के बयान को सत्य नहीं मानेगी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता है कि वह अपने बयान बदलता रहता है और इसके पीछे उसकी अंतरात्मा ही जानती है। हम इस संबंध में आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

4. एसआईटी को निर्देश दिया जाता है कि वह जांच के दौरान ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों और सदस्यों तथा क्षेत्र के अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों को शामिल करें। उनके बयानों की वीडियोग्राफी की जाएगी। कमजोर गवाहों के मामले में, उनके बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जाने चाहिए।

5. गवाहों की सुरक्षा; सीआरपीसी की धारा 161/164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए अनुकूल माहौल; लोगों को आगे आने के लिए राजी करने के लिए उनमें आत्मविश्वास भरना; आदि जैसे उपाय सावधानीपूर्वक किए जाएंगे।

6. भूमि के स्वामित्व/हस्तांतरण से संबंधित दीवानी विवाद की उत्पत्ति को दर्शाने वाले राजस्व रिकॉर्ड सहित दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि मानसिंह पटेल के अचानक गायब होने के पीछे क्या कारण था।

फैसले का स्वागत कर मंत्री गोविंद सिंह ने ये कहा

सुप्रीम कोर्ट के एसआईटी गठन के आदेश का मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने स्वागत किया है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि एसआईटी की जांच में सच्चाई सामने आएगी। राजनीति के चलते अनर्गल आरोप लगाए गए थे।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1824045200479600670

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मेरे विरुद्ध की गई साजिश का भी पर्दाफाश होगा। उन्होंने क​हा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर गुमराह कर रहे हैं उनके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। मानहानि का नोटिस देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मुझे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही मुझे कोई नोटिस मिला है। सुप्रीम कोर्ट में आदेश में कहा जो छिपी हुई शंका है उसे संतोषजनक रूप से दूर किया जाना चाहिए।

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