हाइलाइट्स
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मोदी, राम मंदिर और राष्ट्रवाद बीजेपी कैंडिडेट की ताकत
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बाहरी प्रत्याशी होने की दुश्वारी कांग्रेस के गुड्डू राजा के सामने
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क्षत्रियों की नाराजगी और सागर का विकास लता की उलझन
Sagar Lok sabha Seat: देश में 18वीं लोकसभा के महासंग्राम का बिगुल बच चुका है। मध्यप्रदेश में भी दोनों प्रमुख दलों की तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है।
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है।
खजुराहो सीट कांग्रेस ने समझौते के तहत समाजवादी पार्टी को दी थी, लेकिन वहां से सपा के प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया है।
ऐसे में खजुराहो में बीजेपी को एक तरह से विपक्ष का वाकओवर मिल गया है। खजुराहो से बीजेपी के प्रत्याशी वीडी शर्मा हैं। जो मौजूदा सांसद भी हैं।
सागर में लता वानखेड़े vs गुड्डू राजा
यहां हम सागर लोकसभा सीट ( Sagar Lok Sabha seat) की बात कर रहे हैं। इस लोकसभा सीट पर बीजेपी की लता वानखेड़े का मुकाबला कांग्रेस के चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डू राजा से होना है।
सागर में बीजेपी का 28 साल से कब्जा
सागर लोकसभा सीट ( Sagar Lok Sabha seat) पर 28 साल से बीजेपी का कब्जा है। इस बार भी डबल एम फैक्टर ( मोदी और मंदिर ) चल रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सामने ढेरों मुश्किलें हैं। ऐसे में सागर में कांग्रेस के गुड्डू राजा, बीजेपी की लता वानखेड़े को कितनी चुनौती दे पाएंगे? यह बड़ा सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहा है। सागर में एक तरह से क्षत्रीय बनाम बीजेपी के बीच मुकाबला होगा।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नए कैंडिडेट
सागर में हर बार लोकसभा चुनाव (Sagar Loksabha Seat) में नयापन देखने को मिलता है। वही सिलसिल इस बार भी है।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने नए कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। हालांकि सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) बीजेपी की गढ़ बन गया है।
वहां 1996 से बीजेपी का कब्जा है और सागर में बीजेपी की मजबूती का सिलसिल लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है।
सागर लोकसभा (Sagar Loksabha Seat) में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी के विधायक हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ बीना विधानसभा सीट है।
सागर में हवा किधर बह रही ?
ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी की बड़ी चुनौती है। चुनावी संग्राम की आबोहवा भी बीजेपी की ओर बह रही है। हालांकि, कुछ स्थानीय फैक्टर कांग्रेस को अपना बजूद बनाए रखने के लिए ताकत जरूर दे रहे हैं।
आइए जानते हैं, बीजेपी की लता वानखेड़े और कांग्रेस के गुड्डू राजा के क्या मजबूत पक्ष और चुनौतियां हैं।
बीजेपी प्रत्याशी लता वानखेड़े का मजबूत पक्ष
1- मोदी, मंदिर और राष्ट्रवाद
बीजेपी की लता वानखेड़े को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, श्रीराम मंदिर और केंद्र सरकार की राष्ट्रवाद के मिशन का बहुत बड़ा सहारा मिलेगा। मौजूदा समय में हवा भी मोदीमय चल रही है। जिसका बीजेपी प्रत्याशी को लाभ मिल सकता है।
2- सागर लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़
सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) 1996 से बीजेपी के कब्जे में है और लगातार बीजेपी के कैंडिडेट के जीत का अंतर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने तीन लाख (3,05,542) से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। यह आंकड़ा बीजेपी की ताकत को दर्शाता है।
3- संगठन और सरकार का पूरा सपोर्ट
बीजेपी की प्रत्याशी लता वानखेड़े को पार्टी संगठन और दोनों सरकार ( केंद्र और राज्य सरकार ) का पूरा सपोर्ट मिल रहा है। वे खुद भी पार्टी के विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं। राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष भी रही हैं।
4- स्थानीय प्रत्याशी होना
लता वानखेड़े सागर की रहने वाली हैं यानी स्थानीय प्रत्याशी हैं। जिसका उन्हें पूरा लाभ मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस के गुड्डू राजा बाहरी कैंडिडेट हैं। यह मुद्दा भी वोटर्स को बेहद प्रभावित करेगा।
5- शिवराज सिंह चौहान के प्रभाव का लाभ
सागर लोकसभा (Sagar Loksabha Seat) में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें से तीन सीटें कुरवाई, सिरौंज और शमशाबाद विदिशा जिले में पड़ती हैं। यहां पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का सबसे ज्यादा प्रभाव है। शिवराज सिंह चौहान भी विदिशा से लोकसभा कैंडिडेट हैं। ऐसे में उनके प्रचार का लाभ लता वानखेड़े को भी मिलेगा।
6- महिला प्रत्याशी का लाभ
लता को महिला प्रत्याशी होने का लाभ भी मिल सकता है। जिस तरह से लाड़ली बहना योजना ने मध्यप्रदेश में बीजेपी की पांचवीं बार सरकार बनाने में मदद की है।
उसका प्रभाव अभी भी बीजेपी को मिल सकता है। इसके अलावा सागर सीट पर महिला वोटर्स की संख्या करीब सवा आठ लाख से ज्यादा है।
7-आंकड़े बीजेपी के पक्ष में
सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) पर जीत के आंकड़ों की बात करें तो पिछले 28 साल से यहां बीजेपी का राज चल रहा है।
हालांकि,इससे पहले लोकसभा चुनाव 1951 से लेकर 1991 तक कांग्रेस सागर में जीतती रही।
इस दौरान बीजेपी का ना ज्यादा दखल रहा और ना ही अपना सांसद बना पाई।
लेकिन 1996 से बीजेपी की जीत का सिलसिला शुरू हुआ तो अब तक कायम है। यानी 10 साल की मोदी सरकार से पहले ही बीजेपी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी।
बीजेपी कैंडिडेट लता वानखेड़े की चुनौती
1-क्षत्रियों की नाराजगी
बीजेपी ने इस बार सांसद राजबहादुर सिंह का टिकट काट कर लता वानखेड़े को दिया है। जिससे क्षत्रियों में नाराजी है। सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) पर क्षत्रीय समाज के करीब दो लाख वोटर्स हैं। उनको बीजेपी के पक्ष में करना लता वानखेड़े और पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
2- ब्राह्मण वोटर्स को मनाना
ब्राह्मण समाज के लोग उनके किसी नेता को टिकट नहीं मिलने से निराश हैं। लता के समाने उन्हें मनाने की भी समस्या हो सकती है।
3-अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटर्स का कांग्रेस के प्रति झुकाव
अनुसूचित जाति, मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की ओर रहता है। ऐसे में इन वोटों में सेंधमारी करना बीजेपी के लिए चुनौती है।
4- रोजगार के अभाव में युवाओं का पलायन
सागर में पिछले दस साल में कोई ऐसा काम नहीं होना, जिससे बड़े स्तर पर युवाओं को रोजगार मिल सके। बीना रिफायनरी में भी लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से ही थोड़ा बहुत रोजगार मिल सका है। यहां के युवा अक्सर प्रदेश के बड़े शहरों इंदौर, भोपाल की ओर रूख कर रहे हैं।
5- स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर अन्य संसाधनों की कमी
सागर में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी ऐसा सुधार नहीं हुआ है कि कहा जा सके बुंदेलखंड के लोगों को अब गंभीर बीमारियों में अच्छा इलाज मिल सके।
विकास के कार्य हुए हैं, लेकिन सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) के वोटर्स की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरते हैं।
इलाज के लिए अभी भी यहां के लोगों को भोपाल, इंदौर और ग्वालियर का रूख करना पड़ रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू राजा का मजबूत पक्ष
1- क्षत्रीय समाज का साथ
कांग्रेस के प्रत्याशी गुड्डू राजा को नाराज क्षत्रीय समाज का साथ मिलेने की संभावना जताई जा रही है। बीजेपी के सांसद राजबहादुर सिंह का टिकट कटने से क्षत्रीय समाज के लोगों में नाराजगी बताई जा रही है।
2- सक्षम कैंडिडेट
गुड्डू राजा सक्षम कैंडिडेट हैं। उन्हें पार्टी के भरोसा ज्यादा नहीं रहना होगा। वे एक सक्षम प्रत्याशी हैं।
3- सब जगह बीजेपी फिर भी विकास में पिछड़ा
कांग्रेस के गुड्डू राजा के पास स्थानीय विकास की बात कहने का मौका है। वे कह सकते हैं देश, प्रदेश और सागर में बीजेपी की सरकार है फिर भी विकास में क्यों पिछड़ा है। वे स्थानीय पिछड़े होने की बात को दमदारी से उठा सकते हैं।
4- अनुसूचित जाति, मुस्लिम वोटर्स
गुड्डू राजा या कांग्रेस के लिए परंपरागत वोट अनुसूचित जाति, मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स हैं। जो इनकी संख्या में इजाफा कर सकते हैं।
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कांग्रेस कैंडिडेट गुड्डू राजा की चुनौती
1 – बाहरी कैंडिडेट
गुड्डू राजा को बाहरी कैंडिडेट होने का विरोध झेलना पड़ रहा है। इससे वे कैसे निपटेंगे, यह उनके लिए परेशानी का सबब है।
2- मोदी, मंदिर लहर
मोदी, मंदिर लहर कांग्रेस कैंडिडेट गुड्डू राजा के लिए रोड़ा बन सकती है। जिस पर कुछ कहने के लिए कांग्रेस और उनके कैंडिडेट के पास तर्क नहीं है। मोदी, मंदिर लहर से निपटना उनके बड़ी चुनौती है।
3- स्थानीय स्तर पर पार्टी की नाराजी
बताते हैं कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी को नजरअंदाज कर बाहरी को मैदान में उतारा है। जिसका खामियाजा गुड्डू राजा का भुगतना पड़ सकता है। बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है।
4- कांग्रेस के खिलाफ जनता का रूझान
कांग्रेस के खिलाफ जनता का रूझान चल रहा है। इसकी मूल वजह राष्ट्रीय स्तर पर सक्षम नेतृत्व की कमजोरियां। जिसका नुकसान गुड्डू राजा को भी हो सकता है।
5- राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर पार्टी का पूरा सहयोग
गुड्डू राजा को पार्टी का पूरा सहयोग मिल पाएगा, इस पर भी कुछ कहना फिलहाल ठीक नहीं है। कांग्रेस से लगातार नकारात्मक खबरें आ रही हैं। ऐसे में गुड्डू राजा को पार्टी कितना बूस्ट कर पाएगा, इस पर भी आशंका है।
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सागर लोकसभा सीट पर 7 मई को चुनाव
सागर लोकसभा सीट (Sagar Loksabha Seat) पर 17 लाख 38 हजार 36 मतदाता मतदाता हैं। इनमें 9 लाख 11465 पुरुष, 8 लाख 26 हजार 529 महिला और 42 अन्य मतदाता हैं।
इस सीट पर सात मई को मतदान होगा। इसके लिए लोकसभा क्षेत्र में 2074 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जिसमें 655 शहरी और 1419 ग्रामीण मतदान केंद्र होंगे।