हाइलाइट्स
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समाधि में साध्वी, सांसें रुकीं
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डॉक्टर बोले- अब जिंदा नहीं
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शरीर पर चंदन, हल्दी, केसर का लेप
Ashutoshamvari Samadhi News: लखनऊ के जानकीपुरम के पास सीतापुर रोड पर बने आनंद आश्रम की गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने 28 जनवरी को समाधि ले ली है। समाधि में जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों को एक वीडियो जारी करके उपदेश दिया और कहा कि वह समाधि में जा रही हैं ताकि उनके गुरु आशुतोष महाराज जो कि 10 साल पहले ही समाधि ले चुके हैं अपने शरीर में वापस आ जाएं। इसके बाद उनके शिष्यों ने गुरु मां के शव को भी सुरक्षित करने के लिए कोर्ट में याचिका दी है।
23 दिन बीत गए, न उनकी सांसें चल रही हैं, न ही दिल धड़क रहा है। साध्वी के शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं कर रहा है, लेकिन आश्रम के सेवादार उनकी सेवा में लगे हैं। उनका दावा है कि गुरु मां जल्द समाधि से लौटने वाली हैं।
समाधि में जाने से पहले जारी किया था वीडियो
साध्वी अशुतोषाम्वरी ने समाधि में जाने से पहले अपने भक्तों के लिए एक वीडियो जारी किया था इस वीडियो में उन्होंने कहा थ कि वह अपने भौतिक शरीर के साथ अपने गुरु आशुतोष महाराज को उठाने में सक्षम नहीं है इसलिए वह समाधि ले रही हैं।
उन्होंने वीडियो में कहा कि समाधि लेने के बाद वह दिव्य स्वरूप में अपने गुरु को उठाएंगी। बता दें कि 10 साल पहले समाधि ले चुके आशुतोष महाराज के शरीर को उनके शिष्यों ने सुरक्षित रखा हुआ है और उनकी आस्था है कि वह एक दिन समाधि से उठेंगे।
10 साल पहले समाधि ले चुके गुरु को वापस लाने की कोशिश
साध्वी आशुतोषाम्वरी के गुरु आशुतोष महाराज ने 1983 में जालंधर के नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की थी। 28 जनवरी, 2014 को दूध पीते-पीते आशुतोष महाराज के सीने में दर्द हुआ।
आश्रम के लोग बताते हैं कि सेवादार आशुतोष महाराज को संभालने पहुंचे, लेकिन उन्होंने रोक दिया। कहा कि मेरा समाधि में जाने का वक्त आ गया है। आप लोग संस्थान की सेवा में लगे रहिए।
समाधि लेते वक्त आशुतोष महाराज ने शिष्यों से कहा था कि वे अपने शरीर में फिर से लौटकर आएंगे। इतना कहकर वे शांत हो गए। नूर महल में रहने वाले शिष्यों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, लेकिन उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। आशुतोष महाराज का शरीर अब भी दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में डीप फ्रीजर में रखा है।
10 साल पहले समाधि ले चुके गुरु को वापस लाने के लिए साध्वी आशुतोषाम्वरी ने समाधि लेने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने तारीख भी वही चुनी, जिस दिन आशुतोष महाराज ने समाधि ली थी।
आश्रम के सेवादार बाबा महादेव कहते हैं, ‘गुरु मां ने हमें समाधि लेने से 2 महीने पहले ही बता दिया था कि वे 28 जनवरी, 2024 को ब्रह्मज्ञान की साधना पर जाएंगी। समाधि लेने से पहले वे बिल्कुल स्वस्थ और खुश थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे समाधि में जाने के बाद संस्थान का दायित्व महाराज आशुतोषाम्वर संभालेंगे।’
साध्वी को 16 डॉक्टर देख चुके, 3 बार मेडिकल चेकअप
साध्वी आशुतोषाम्वरी के समाधि लेने के बाद उनका पहला चेकअप 3 फरवरी को हुआ। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के प्रभारी डॉ. जेपी सिंह ने 5 लोगों की टीम को आश्रम भेजा था। साध्वी की ECG की गई, लेकिन मशीन में कोई रीडिंग नहीं आई।
इसके बाद सेवादारों ने प्राइवेट हॉस्पिटल से डॉक्टरों को बुलाया। 6 फरवरी को प्राइवेट हॉस्पिटल BKT से मेडिकल टीम जांच के लिए आश्रम आई। डॉ. आनंद शर्मा और नर्स विष्णुमति ने 45 मिनट तक साध्वी की जांच की। जांच में साध्वी का ब्लड प्रेशर और पल्स रिकॉर्ड में नहीं आया। हालांकि EEG जांच में दिमाग के कुछ हिस्से में वाइब्रेशन दिखा।
7 फरवरी को साध्वी का तीसरा मेडिकल चेकअप हुआ। इस बार उन्नति हॉस्पिटल के डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने चेकअप किया। आश्रम के सेवादारों का दावा है कि 28 जनवरी से अब तक 16 डॉक्टर गुरु मां को देखने आ चुके हैं। फिलहाल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के डॉक्टरों की टीम साध्वी की हालत की मॉनिटरिंग कर रही है।
कौन हैं साध्वी आशुतोषाम्वरी
42 साल की साध्वी आशुतोषाम्वरी का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ था। वे बचपन में पिता के साथ दिल्ली आ गईं। यहीं पीतमपुरा के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में वे पहली बार आशुतोष महाराज से मिली थीं। उन्होंने महाराज से दीक्षा ली और धर्म प्रचारक बन गईं। 2014 तक उन्होंने प्रचारक के तौर पर काम किया।
आशुतोष महाराज के समाधि लेने के बाद 2014 में साध्वी आशुतोषाम्वरी धर्म प्रचारक से संन्यासी बन गईं। उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से खुद को अलग कर लिया और 2015 से 2018 तक बस्ती में अपने मुख्य सेवादार बाबा महादेव के साथ आनंद आश्रम के काम में लगी रहीं। 2019 में उन्होंने लखनऊ के बख्शी का तालाब ब्लॉक में आनंद आश्रम खोला। तभी से वे आश्रम चला रही थीं।