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Sachin Tendulkar Story: जब टैक्स बचाने के लिए सचिन तेंदुलकर बन गए एक्टर, इनकम टैक्स विभाग ने भी माना उनके अभिनय का लोहा

Sachin Tendulkar Story: जब टैक्स बचाने के लिए सचिन तेंदुलकर बन गए एक्टर, इनकम टैक्स विभाग ने भी माना उनके अभिनय का लोहाWhen Sachin Tendulkar became an actor to save tax, the Income Tax Department also acknowledged his acting

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Bansal Digital Desk
Sachin Tendulkar Story: जब टैक्स बचाने के लिए सचिन तेंदुलकर बन गए एक्टर, इनकम टैक्स विभाग ने भी माना उनके अभिनय का लोहा

Image source-@sachin_rt

नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। उनके खेल को पसंद करने वाले करोड़ों प्रशंसक हैं। हालांकि उन्होंने क्रिकेट से सभी फॉर्मेंटों से अब संन्यास ले लिया है। लेकिन जब वे मैदान पर खेलने उतरते थे तो उनके विरोधी भी उनका सम्मान किया करते थे। कुल मिला कर कहें तो सचिन दुनिया की नजरों में एक बेहतरीन क्रिकेटर हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सचिन क्रिकेटर के साथ एक एक्टर भी हैं। आप कहेंगे नहीं। तो चलिए आपको बताते हैं उनसे जुड़े कुछ  रोचक किस्से ।

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टैक्स छुट के लिए बने थे एक्टर

दरअसल, सचिन ने 2003 में क्रिकेट से 19 करोड़, पेप्सिको और वीजा कंपनियों के कॉमर्शियल्स विज्ञापन से 5.5 करोड़ रूपए कमाये थे। तेंदुलकर ने उस वक्त इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) से मांग की कि उन्हें कॉमर्शियल से हुए कमाई में टैक्स छुट दी जाए। लेकिन विभाग ने कहा कि क्रिकेटरों के लिए टैक्स में छुट देने का कोई प्रावधान नहीं है ऐसे में उन्हें छुट नहीं दिया जा सकता। तब सचिन ने कहा कि वो विज्ञापन में बतौर अभिनेता काम कर रहे थे ना कि एक क्रिकेटर के तौर पर।

सचिन ने कहा मैं एक्टर हूं

बतादें कि आईटी एक्ट (IT Act) के सेक्सन 80 आर-आर के तहत विदेशों में अगर कोई कलाकार या लेखक अपने काम के जरिए पैसे कमाता है तो उसे एक तय रकम के हिस्से में छूट दी जाती है। सचिन भी इसी छूट के तहत इनकम टैक्स को बचाना चाह रहे थे। लेकिन उन्हें ये छूट तब मिलती जब वे कोई कलाकार होते। फिर क्या था सचिन ने इनकम टैक्स विभाग को बताया कि वो विज्ञापन में एक्टिंग कर रहे थे, इस कारण से उन्हें छूट दी जाए।

ट्रिब्यूनल ने भी उन्हें एक्टर माना

हालांकि तब मामले को लंबित कर दिया गया। लेकिन 2008 में ये मामला इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के पास पहुंचा। जिसके बाद 2011 में ट्रिब्यूनल ने सचिन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि तेंदुलकर जब भी किसी विज्ञापन में काम करते हैं तो उन्हें उस वक्त कल्पना और क्रिएटिविटी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में उनकी एक्टिंग को नकारा नहीं जा सकता। हां ये सच है कि उन्होंने क्रिकेट के जरिए अपना ब्रांड वैल्यू (brand value) बनाया है लेकिन बस इस कारण से उन्हें टैक्स में छूट नहीं दिया जा सकता ये गलत हैं। इसके बाद उन्हें आईटी एक्ट के सेक्शन 80 आर.आर के तहत टैक्स में छूट दी गई।

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