नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ओटीटी मंचों पर दिखाई जा रही ‘‘अनियमित’’ विषय वस्तु, ‘‘सभी देशों को अस्थिर करने’’ की क्षमता रखने वाली ‘‘अनियंत्रित’’ बिटकॉइन मुद्रा और समाज के सभी वर्गों में मादक पदार्थों के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की और सरकार से इन समस्याओं से निपटने के लिए कदम उठाने की अपील की। भागवत ने नागपुर के रेशमबाग मैदान में वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ओटीटी मंचों पर किस प्रकार की चीजें दिखाई जा रही हैं? कोरोना वायरस काल में बच्चों की भी मोबाइल तक पहुंच हो गई है और वे मोबाइल पर जो देखते हैं, उसे लेकर कोई नियंत्रण नहीं है। इसी तरह ओटीटी मंचों पर क्या दिखाया जाना है, इसे लेकर भी कोई नियंत्रण नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ओटीटी मंचों पर नियमित रूप से दिखाए जा रहे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को कोई भी देख सकता है। वैश्विक महामारी के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा शुरू करनी पड़ी। स्कूली छात्रों के लिए मोबाइल देखना भी नियम सा बन गया। यह बताना कठिन है कि विवेकबुद्धि तथा उचित नियंत्रण के अभाव में इन सभी नए वैध-अवैध साधनों के जरिए सम्पर्क के उभरते तरीके समाज को किधर और कहां ले जाएंगे।’’ उन्होंने नशीले पदार्थों के बढ़ते इस्तेमाल के बारे में कहा कि यह समस्या समाज के सभी वर्गों में मौजूद है।
भागवत ने कहा, ‘‘देश में तस्करी करके नशीले पदार्थ लाए गए हैं और उनके इस्तेमाल की आदत बढ़ रही है। हमें नहीं पता कि इसे रोकना कैसे है। अमीर से लेकर गरीब तक हर वर्ग का व्यक्ति इस खतरनाक लत का शिकार है। हम सभी को पता है कि नशीले पदार्थों के कारोबार से मिलने वाले धन का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है और भारत की सीमा से सटे देश इसे प्रोत्साहित करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि घर में युवा पीढ़ी को यह सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। भागवत ने बिटकॉइन पर कहा, ‘‘बिटकॉइन पर किसी का नियंत्रण नहीं है। एक प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही है। बिटक्वाइन जैसी अनियंत्रित, गुप्त मुद्रा में सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने और गंभीर चुनौती बनने की क्षमता है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को ओटीटी विषय वस्तु के विनियमन, बिटकॉइन का इस्तेमाल रोकने और नशीले पदार्थों की समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए तत्काल प्रयास करने चाहिए। भागवत ने कहा कि भारतीय आर्थिक विचारधारा ‘वापस देने’ और प्रकृति को पोषित करने पर आधारित है, न कि उसे जीतने पर। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक प्रतिमान नई चुनौतियों से हिल गया है जो अन्य देशों की समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि मशीनीकरण और इसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि, अनैतिक प्रौद्योगिकी के कारण मानव मूल्य प्रणाली में गिरावट और जवाबदेही के बिना शक्ति इसके कुछ उदाहरण हैं। भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया आर्थिक प्रणाली और विकास के नए मानकों के इंतजार में भारत की ओर देख रही है।
भागवत ने कहा, ‘‘धर्म के सिद्धांत पर आधारित विकास एवं सुख हासिल करके मानव ने स्वतंत्रता के शिखर का अनुभव किया है। इस प्रकार के आर्थिक मॉडल हमारी सभ्यता में आदर्श माने जाते हैं। हमारा आर्थिक प्रतिमान खपत पर नियंत्रण रखने पर जोर देता है।’’ भागवत ने इसी सोच पर आधारित आर्थिक विकास का मॉडल तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बारे में कहा कि देश महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है।