हाइलाइट्स
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RSS चीफ मोहन भागवत का जन्मदिन
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पशु चिकित्सा की पढ़ाई छोड़कर बने थे प्रचारक
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मोहन भागवत दूसरे सबसे कम उम्र के प्रमुख
RSS Chief Mohan Bhagwat Birthday: RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को हुआ था। आज वे 75 साल के हो गए हैं। डॉ. मोहन भागवत न केवल RSS के दूसरे सबसे कम उम्र के प्रमुख हैं। पशु चिकित्सा की पढ़ाई छोड़कर RSS प्रचारक बन गए थे। वे संगठन में सरलता, संतुलित विचार और सांस्कृतिक व्यापकता का संदेश देते हैं। कुछ बातें जो उन्हें सभी पूर्व सरसंघचालकों से बिल्कुल अलग बनाती हैं।
सहजता के प्रतीक
11 सितंबर 1950 को चंद्रपुर (तत्कालीन मध्य प्रदेश, अब महाराष्ट्र) में जन्मे डॉ. मोहन माधुकर भागवत, RSS के ऐसे सरसंघचालक हैं, जो परिवार परंपरा से आते हुए भी बेहद सहज और सादा जीवन जीते हैं। 1925 में संघ की स्थापना के बाद के प्रमुखों में पं. के. बी. हेडगेवार सबसे कम उम्र में थे, लेकिन मोहन भागवत भी उनसे बहुत पीछे नहीं हैं और सत्ता संभालने में दूसरी सबसे कम आयु के हैं।
पशु चिकित्सा से RSS प्रचारक तक
पशु चिकित्सा (Veterinary Sciences) में शिक्षा ग्रहण करने वाले भागवत ने एम.वी.एस. की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर RSS प्रचारक बनना चुना। यह उनकी प्रतिबद्धता और सरलता की पहचान है। वो स्वयं वर्ण व्यवस्था को जातिगत विभाजन नहीं मानते, बल्कि इसे सामाजिक स्वरूप में देखते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुजारियों ने जाति-जाति विभाजन रचा, ईश्वर ने नहीं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख (सरसंघचालक) की लिस्ट
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार – संगठन के संस्थापक और पहले सरसंघचालक
माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) – 1940 से 1973
मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब देवरस) – 1973 से 1994
प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) – 1994 से 2000
कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन (सुदर्शनजी) – 2000 से 2009
डॉ. मोहन भागवत – मार्च 2009 से वर्तमान सरसंघचालक
5000 वर्षों से सेक्युलर भारत का संदेश
डॉ. भागवत ने भारत की धरती को 5000 वर्षों से धर्मनिरपेक्ष बताया और एक उदाहरण के रूप में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (The whole world is one family) की भावना को उजागर किया। RSS की 100 वर्ष की यात्रा पर बोलते हुए उन्होंने समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रत्येक परिवार में तीन बच्चों की इच्छा व्यक्त की। न बहुत कम, न ज्यादा।
हिंदू की व्यापक व्याख्या
डॉ. मोहन भागवत का मानना है कि ‘हिंदू’ शब्द एक सार्वभौमिक मानवीय धर्म का परिचायक है। वह व्यक्ति जो सबसे उदार हो, सबको अपनाने वाला और सशक्तों की रक्षा करने वाला हो। उन्होंने पांच आदर्शों में सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्य, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-जागरूकता और शासकीय अनुशासन पर जोर दिया।
भारत की नेतृत्व क्षमता
नागपुर के पांडुरंगेश्वर मंदिर की यात्रा के दौरान डॉ. मोहन भागवत ने धार्मिक असहिष्णुता, लालच और अन्तरधार्मिक विरोधाभास पर चिन्ता जताते हुए कहा कि भारत के पास दुनिया को सांस्कृतिक संतुलन में अगुवा करने की क्षमता है। वहीं RSS की 100वीं वर्षगांठ पर उन्होंने बताया कि ‘अखंड भारत’ के लोगों में 40 हजार वर्षों से एक ही DNA विद्यमान था, जो सौहार्द और एकता का प्रतीक है। इसके अलावा उन्होंने हाल ही में राजनीतिक वर्ग को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद स्थायी राजनीतिक एकता बनाए रखने की सलाह दी और धार्मिक बलपूर्वक रूपांतरणों पर चिंता जताई। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है और इस अवधारणा से कोई समझौता नहीं होगा।