Economics Noble Prize: हर साल की तरह इस बार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेज ने तीन प्रतिष्ठित इकोनॉमिस्ट को अल्फ्रेड नोबल की याद में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार 2024 पुरस्कार 2024 दिया गया।
जानकारी की मानें तो कैंब्रिज, यूएसए में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से डेरॉन ऐसमोग्लू और साइमन जॉनसन और शिकागो विश्वविद्यालय, IL, USA से जेम्स ए. रॉबिन्सन को नोबल पुरस्कार मिला है।
यह नोबल पुरस्कार उन्हें उनकी रिसर्च (nobel prize 2024) के लिए दिया गया है। इनकी रिसर्च में इकॉनमी की गहन चर्चा की गई है। जिसने इकॉनमी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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कौन हैं तीनों इकोनॉमिस्ट ?
पहले इकोनॉमिस्ट डारोन ऐसमोग्लू हैं जो तुर्की-अमेरिकी इकोनॉमिस्ट है। उनका मूल संबंध अर्मेनिया से है। बता दें डारोन ऐसमोग्लू मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एलिजाबेथ और जेम्स किलियन प्रोफेसर के तौर पर इकोनॉमिक्स पढतें हैं।
साल 1993 में MIT से जुड़कर डारोन ऐसमोग्लू ने अपनी रिसर्च में राजनितिक और आर्थिक इंस्टीटूशन के प्रभावों को बड़ी गहरायी से समझने का प्रयास किया है। डारोन ऐसमोग्लू की रिसर्च में यह भी बताया (nobel prize winner) गया है की संस्थाएं किस प्रकार से विकास और समृद्धि को प्रभावित करती हैं।
इसके अलावा साइमन जॉनसन सूए जेम्स ए रॉबिन्सन भी रेप्युटेटेड इकोनॉमिस्ट हैं। जिन्होनें ग्लोबल इकॉनमी की कम्प्लेक्सिटी को समझनें में योगदान किया था।
इस पुरूस्कार को आधिकारिक तौर पर अल्फ्रेड नोबल की स्मृति में इकनोमिक साइंस में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार नाम दिया गया है। जिसके तहत 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन का पुरस्कार दिया जाता है।
देशों के बीच आय में भारी अंतर- जैकब स्वेन्सन
तीनों इकोनॉमिस्ट को नोबल पुरस्कार देने के बाद रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बताया कि “कैसे ऐसमोग्लू, जॉनसन और रॉबिन्सन का काम हमें किसी देश की समृद्धि और व्यापक वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के लिए अच्छी तरह से काम करने वाली संस्थाओं के मौलिक महत्व को समझने में मदद करता है”.
इसके साथ ही इकनोमिक साइंस में पुरस्कार समिति के अध्यक्ष जैकब स्वेन्सन ने कहा कि, “देशों के बीच आय में भारी अंतर को कम करना हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. पुरस्कार विजेताओं ने इसे हासिल करने के लिए सामाजिक संस्थाओं के महत्व को प्रदर्शित किया है.”