नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में Roop Chaturdashi 2021 महिलाओं के लिए हर त्योहार का अपना एक अलग महत्व है। रूप और सौन्दर्य निखारने का त्योहार रूपचतुर्दशी आज यानि बुधवार को है। इस बार रूप चतुर्दशी पर 75 साल बाद एक अनूठी स्थिति बन रही है। जो इस दिन को खास बना रहा है।
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इससे पहले ये योग 1946 में बना था। इस विशेष योग के कारण पर्व का दीपदान और अभ्यंग स्नान दोनों अलग-अलग दिन होगा। यह स्थिति चतुर्दशी तिथि के क्षय होने के चलते बनी है। सूर्योदय से पूर्व होने वाले अभ्यंग स्नान के लिए चतुर्दशी तिथि 4 नवंबर को दीपावली के दिन रहेगी।
इसलिए होगी इन देवताओं की पूजा
जबकि प्रदोषकाल में चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को है। इस दिन सौंदर्य की कामना से श्रीहरि विष्णु, शत्रुओं पर विजयी की कामना से मां काली और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यमदेवता का पूजन किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार सौंदर्य की कामना से भगवान कृष्ण के पूजन का पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
अलग—अलग होगी चतुर्दशी
वैसे तो चतुर्दशी तिथि की शुरुआत बुधवार 3 नवंबर को सुबह 9.02 बजे होगी। जो अगले दिन 4 नवंबर को सुबह 6.03 बजे तक रहेगी। चूंकि यह तिथि सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है जिसके चलते 3 नवंबर को चतुर्दशी के दिन होने वाले पूजन कर्म तो किए जा सकेंगे। 3 नवंबर को हस्त नक्षत्र सुबह 9.58 बजे तक रहेगा। इसके बाद चित्रा नक्षत्र लगेगा। इसके बाद शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान होगा। चूंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इसलिए इस त्योहार को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
4 नवंबर को अभ्यंग स्नान का मुहूर्त –
सुबह 5.47 से सुबह 6.02 बजे तक।
3 नवंबर को दीपदान
शाम 05.41 से 07.49 बजे तक।
3 नवंबर चौघडियानुसार मुहूर्त —
लाभ — सुबह 06.33 मि. से 07.57 बजे तक।
अमृत — सुबह 07.58 से 09.20 बजे तक।
शुभ — दोपहर 12.07 से 01.31 बजे तक।
चर — दोपहर 02.54 से शाम 04.18 बजे तक।
लाभ — शाम 04.19 से शाम 05.41 बजे तक।