नई दिल्ली। एक फिल्म है, नाम है जैकल। इस फिल्म में अभिनेता ब्रूस विलिस हैं। इस फिल्म में ब्रूस एक मशीन से कंट्रोल करने वाली गन ZSU-33’ चलाकर लोगों को मारते हैं। लेकिन कहा जाता है सच कल्पना से ज्यादा खतरनाक होता है। इजराइल की सुरक्षा एजेंसी मोसाद मानता है कि ईरान के उच्च न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोसिन फकरी जिदाह को सेटेलाइट से ऑपरेट होने वाली एक टन वजन की मशीन गन से मार दिया गया। एक रोबोटिक गन! न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गन को ईरान तक टुकड़ों में ले जाया गया। लेकिन रोबोटिक गनों के इस्तेमाल से देशों ने वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दुनिया की सरकारों के प्रमुख और बड़े पदाधिकारियों की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। खासकर जब ये लोग दौरे पर रहते हैं। इन गनों के इस्तेमाल से न सिर्फ हत्यारे को सुरक्षित जगह पर छिपने का मौका मिलता है, बल्कि हजारों किमी दूर बैठकर भी असली मास्टरमाइंड किसी की हत्या कराने में सफल हो सकता है। यह सेटेलाइट से चलने वाली गन यूसीएवीएस (unmanned combat aerial vehicle) से भी ज्यादा खतरनाक है, जो बगदाद के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी को साल 2020 में बगदाद में बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल की गई थी।
मोसिन फकरिदाह की कराई थी हत्या!
फरवरी 2021 में एक यूके के ज्यूस विद्वान ने दावा किया है कि ईरान के टॉप न्यूक्लियर साइंटेस्ट मोसिन फकरिदाह की हत्या 8 महीने तक लगातार इजराइल और ईरान के 20 लोगों की टीम की मेहनत का नतीजा थी। 27 नवबंर 2020 को मोसिन फकरिदाह की हत्या कर दी गई थी। ज्यूस विद्वान के दावे के मुताबिक गन के 30 गोलियों के हमले में साइंटिस्ट की मौत हुई थी। उस समय न ही साइंटिस्ट के साथ उनकी कार में उनकी पत्नी थी और न ही सुरक्षा गार्ड मौजूद थे। ईरान के इस विद्रोही सुरक्षा गार्ड ने इस बात की पुष्टि भी की थी कि सांइटिस्ट मोसिन फकरिदाह की हत्या एक रोबोटिक गन से की गई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट भी बताती है कि मोसिन फकरिदाह की हत्या एक मशीन गन से की गई थी जिसे रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी से ऑपरेट किया जा रहा था। फिल्म जैकल के ब्रूस की ZSU-33 की तरह मोसाद के पास भी एक ऐसा ही एक बेल्जियन FN MAG मशीन गन है। यह दन रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी से सेटेलाइट से भी कंट्रोल की जा सकती है। साइंटिस्ट मोसिन की मौत के कुछ दिन बाद सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी के इंचार्ज एडमिरल शमखानी ने कहा था कि यह एक रिमोट अटेक था। यह काफी पेचीदा और जटिल था। हमें मौके पर एक भी आदमी नहीं मिला। तकनीकि अब एक नई समस्या खड़ी कर सकती है। यह मशीन गन हर शॉट के बाद रीलोड होती है। ट्रक पर रखी इस मशीन गन में लगे कैमरे तस्वीरें शूटर को भेजती हैं। इसके बाद शूटर कमांड देता है। इस तरह यह काम करती है।
चारों तरफ का देते हैं व्यू
इस ट्रक पर लगे कैमरे तकनीकि रूप से इतने सशक्त हैं कि चारों तरफ का 360 व्यू देते हैं। यह इतना सटीक निशाना लगाते हैं कि किसी अन्य टारगेट को भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। जब साइंटिस्ट मोसिन फकरिदाह को मारा गया तो उनकी पत्नी कार में बैठी थीं और उन्हें खरोंच तक नहीं आई। बता दें कि इजराइल, ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को पहले ही मार चुका है, क्योंकि उसे लगता है कि उसके देश के लिए यह एक खतरा है। इससे पहले भी कुछ वैज्ञानिकों को जहर खिलाकर या फिर दुर्घटना की शक्ल देकर मार चुका है। ईरान के वैज्ञानिक के कार पर हत्या के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराने वाले पोस्टर लगे थे। इन पर कैप्शन भी लिखे हुए थे। इजराइल इस तरह के कदम उठाकर ईरान के न्यूक्लियर प्रग्राम को कुछ साल पीछे धकेल देता है। ईरान इसे उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के लिए वेस्टर्न षणयंत्र भी बताता है। साल 2018 में इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने एक कॉन्फ्रेंस कर ईरान के वैज्ञानिक के प्रोजेक्ट अमद (AMAD) की जानकारी साझा की थी। नेतन्याहू ने मोसिन फकरिदाह को न्यूक्लिर प्रोग्राम का हैड बताया था। हत्या के बाद इस जिस ट्रक पर यह मशीन गन रखी गई थी उसमें पहले से ही एक्सप्लोसिव लगाए गए थो जो काम खत्म होते ही फट गए और ट्रक के चीथड़े उड़ गए।
सबूत भी खाक
इस तरह सारे सबूत भी खाक हो गए थे। हालांकि ग्राउंड रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि हमले के बाद ट्रक को ऊपर उछाला गया था जो नीचे गिरने के बाद फटा जरूर था लेकिन पूरी तरह डिस्ट्रॉय नहीं हुआ था। इस घटना के कुछ समय बाद मार्च के करीब 60 आरोपियों को पकड़ा गया था। इन पर आरोप था कि इन्होंने रोबोटिक मशीन गन्स और अन्य हथियारों की मदद से साइंटिस्ट मोसिन फकरिदाह को मारा है। इसके साथ ही जनरल कसीम सुलेमानी को भी निशाना बनाया है। इस तरह के मामलों के बाद वीवीआईपी की सुरक्षा एक चिंता का विषय हो सकती है। साथ ही नई संभावना भी जाती है। क्या भारत इस तरह की टेक्नोलॉजी से निपटने के लिए तैयार है, खासकर जब हम आतंकियों के पनाहगार देश के पड़ोसी हैं। क्या भारत लोग ऐसे आतंकी मंसूबों से सुरक्षित हैं? हवाई रोबोटिक्स और मशीन गन्स काफी घात साबित हो सकते है और इनकी संभावनाएं भी अपार हैं।