Rishi Panchami 2024 Data Katha Puja Vidhi: भाद्रपद शुरू हो गया है। इस महीने कई बड़े त्योहार आएंगे। महिलाओं के लिए ये महीना सबसे खास होता है, क्योंकि इसी महीने सोमवती अमावस्या, बाबू दोज, हरितालिका तीज गणेश चतुर्थी व्रत आएंगे।
रजस्वा के दोषों से मुक्ति के लिए रखा जाने वाला व्रत ऋषि पंचमी Rishi Panchami 2024 Date भी इस दिन आएगा। ऐसे में यदि आप भी ऋषि पंचमी का व्रत रखती हैं तो चलिए अब आपको बताते हैं कि ये व्रत सितंबर में कब आएगा।
ऋषि पंचमी सितंबर में कब है
हिन्दू पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है। इस साल ये त्योहार 8 सितंबर 2024 को रखा जाएगा।
इसलिए मनाते हैं ऋषि पंचमी
6 सितंबर को हरतालिका तीज से दूसरे दिन और गणेश चतुर्थी 7 सितंबर के अगले दिन 8 सितंबर को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन ऋषि.मुनियों का स्मरण कर उनका पूजन करता है। वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान रसोई या खाना बनाने का काम करने से रजस्वला दोष लगता है। ऋषि पंचमी का व्रत करने से स्त्रियां रजस्वला दोष से मुक्त हो जाती हैं, इसलिए इस व्रत को स्त्रियों के लिए उपयोगी माना गया है।
ऋषि पंचमी व्रत पूजा विधि
वैसे तो व्रतों को अपनी क्षमता अनुसार रखना चाहिए। ऋषि पंचमी व्रत को लेकर कहा जाता है कि इसे एक समय करके रखा जाता है। व्रत का पारणा पूजा के बाद फल और मेवों से करना चाहिए।
सबसे पहले सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें, फिर सप्त ऋषियों में मरीचि, वशिष्ठ, अंगिरा, अत्रि, पुलत्स्य, पुलह और क्रतु की पूजा करें।
इसके लिए शुभ मुहूर्त में घर के पूजा स्थल की साफ-सफाई करके एक चौकी रखें।
इस चौकी पर हल्दी-कुमकुम से चौकोर मंडल बनाएं।
इस मंडल पर सप्तऋषियों की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करेंं।
फिर इसकी विधि-विधान से पूजा करें।
सप्तऋषियों को वस्त्र, चंदन, जनेऊ, फूल और फल अर्पित करें।
मिठाइयों का भोग लगाएं।
धूप-दीप दिखाएं। अंत में ऋषि पंचमी व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें। बिना कथा पढ़े, इस व्रत का पूजा (Rishi Panchami Puja Vidhi 2024) का पूरा फल नहीं मिलता है।
ऋषि पंचमी व्रत की कथा (Vrat Katha in Hindi)
पौराणिक कथाओं में बताए अनुसार विदर्भ में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास करता था। दोनों की दो संतानों में एक पुत्र और एक पुत्री थी।
ब्राह्मण ने योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह उसके साथ कर दिया है, लेकिन कुछ दिन बाद ही उसकी अकाल मृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी बेसहारा पत्नी अपने मायके वापस लौट आई। एक दिन जब उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी, तब मां को उसके शरीर में कीड़े उत्पन्न होते नजर आए।
ये देखकर वो घबरा गई और बिना देरी करे इसकी सूचना अपने पति को दी। उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद बताया, कि पूर्वजन्म में उसकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन माहवारी के दौरान उससे एक बड़ी गलती हो गई थी।
उसने माहवारी की अवस्था में बर्तनों को छू लिया था और ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था। इस वजह से ही उसकी ये दशा हुई है। तब पिता के कहने पर पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत किया और स्वस्थ हो पाई।
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