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रीवा गैंग रेप समाज के सामने गंभीर सवाल: इसके लिए ASPD से पीड़ित जिम्मेदार, कैसे हो इनकी पहचान, क्या है समाधान ?

Rewa Rape Case: रीवा रेप केस समाज के सामने गंभीर सवाल है। डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया ऐसी घटनाओं के लिए ASPD से ग्रसित लोग जिम्मेदार हैं।

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Rahul Garhwal
Rewa Rape Case People suffering from ASPD are responsible for rape cases Dr Satyakant Trivedi hindi news

Rewa Rape Case: रीवा के भैरव बाबा क्षेत्र में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना हमारे समाज की सुरक्षा, नैतिक मूल्यों और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज में हो रही मानसिक और नैतिक गिरावट की गहरी तस्वीर पेश करती है। ऐसे अपराधों के पीछे अक्सर एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (ASPD), यौन कुंठा, नशे की लत, और अश्लील सामग्री का अंधाधुंध उपयोग जुड़ा हुआ पाया गया है, जो व्यक्ति की संवेदनशीलता, सहानुभूति और नैतिकता को कुंठित कर देता है।

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अपराधी मानसिकता के लक्षण और पहचान

ऐसे व्यक्तियों में कुछ बाह्य लक्षण और असामान्य व्यवहार होते हैं जिनकी पहचान करना आवश्यक है...

संवेदनशीलता और सहानुभूति का अभाव - ASPD से पीड़ित लोग सामान्य इंसानी भावनाओं की कद्र नहीं करते। दूसरों की तकलीफ या भावनाओं के प्रति असंवेदनशील होते हैं और सहानुभूति जैसी भावना का उनमें अभाव होता है।

सामाजिक नियमों की अनदेखी - ये लोग नियमों का मजाक उड़ाते हैं और अक्सर अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किसी भी सामाजिक सीमा का उल्लंघन करने से नहीं चूकते।

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आक्रामकता और उत्तेजना - ऐसे लोग छोटे-छोटे मुद्दों पर भी उग्र हो सकते हैं और मामूली सी बात पर हिंसा का सहारा लेते हैं।

अश्लील सामग्री और यौन विकृति - इनका यौन कुंठा की ओर झुकाव ज्यादा होता है और अश्लील सामग्री का अत्यधिक सेवन इनके मानसिक विकार को बढ़ावा देता है।

नशे की लत - नशा इनके व्यवहार को और हिंसक बना देता है। शराब, ड्रग्स या अन्य प्रकार के नशे में व्यक्ति सही-गलत का भेद नहीं कर पाता और अपनी विकृत इच्छाओं को पूरा करने में भी किसी तरह की झिझक नहीं करता।

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समस्या से निपटने के उपाय

rewa rape caseइस समस्या से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे, विशेषकर विंध्य क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में, जहां नशे की समस्या बढ़ती जा रही है। समाज कल्याण विभाग को प्रभावी योजनाएं बनाकर लागू करनी होंगी और जागरुकता अभियान चलाने होंगे। कुछ आवश्यक कदम इस प्रकार हो सकते हैं...

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता और काउंसलिंग सेंटरों की स्थापना - समाज के हर स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य और नैतिकता के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए काउंसलिंग सेंटरों की स्थापना आवश्यक है, जो गांव-गांव तक पहुंच सके। युवाओं में मानसिक विकारों के इलाज की जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए और उन्हें नैतिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराना चाहिए।

नशा मुक्ति अभियान - नशा मुक्ति अभियानों को कड़े और व्यापक बनाकर प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए। समाज कल्याण विभाग द्वारा नशे के विरुद्ध कड़े कानून और अधिकतम सहायता केंद्रों की स्थापना जरूरी है। इसके अलावा, नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जनजागरुकता फैलाने के लिए व्यापक अभियान चलाने चाहिए।

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स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक और जीवन कौशल शिक्षा - युवाओं में मानसिक और नैतिक विकास के लिए स्कूलों में जीवन कौशल और नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता होनी चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित कार्यक्रम, खेलकूद को प्रोत्साहन और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण पर जोर देने से युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है।

समाज की भूमिका और सामूहिक योगदान

सरकार और संस्थाओं के प्रयास तब तक अधूरे रहेंगे, जब तक समाज स्वयं इस समस्या से लड़ने के लिए सक्रिय भूमिका नहीं निभाता। हर व्यक्ति को अपने आसपास के लोगों के असामान्य व्यवहार पर ध्यान रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। यह सामूहिक जिम्मेदारी और सतर्कता ही ऐसी घटनाओं को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

इस प्रकार, इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य और नैतिकता का घनिष्ठ संबंध है, और समाज में बढ़ती ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हमें मानसिक स्वास्थ्य, नशामुक्ति, और नैतिक शिक्षा पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।

लेखक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी (साइकाइट्रिस्ट एंड साइकोलॉजिकल एनालिस्ट) महत्वपूर्ण समसामायिक विषयों पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार प्रकट करते हैं।

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