नई दिल्ली। देश में उत्तर-पश्चिमी, मध्य और दक्षिण-मध्य भारत का इलाका भविष्य के ‘लू क्षेत्र’ के रूप में उभर रहा है।
तथा मध्यावधि और दीर्घकालिक भविष्य में लू की आवृत्ति में चार से सात गुना वृद्धि देखी जा सकती है। एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है।
शोध जलवायु परिवर्तन के असर का किया गया अध्ययन
अध्ययन में कहा गया है कि देश के दक्षिण-मध्य क्षेत्र के तीन लू प्रभावित क्षेत्रों में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज होने की संभावना है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत महामना जलवायु परिवर्तन उत्कृष्ट शोध केंद्र द्वारा किए गए एक अध्ययन में मध्य अवधि (2041-2060) और दीर्घकालिक (2081-2099) के लिए भारत में क्रमशः आरसीपी 4.5 और आरसीपी 8.5 उत्सर्जन परिदृश्य के तहत लू की लहर की विशेषताओं में भविष्य में होने वाले बदलावों का विश्लेषण किया गया।
मानव गतिविधियों से आएगा बदलाव
प्रतिनिधि एकाग्रता पथ (आरसीपी) का उपयोग भविष्य के रुझानों को समझने के लिए किया जाता है कि मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप भविष्य में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता कैसे बदलेगी। आरसीपी 4.5 परिदृश्य में, उत्सर्जन सदी के मध्य में चरम पर होता है और सदी के अंत में गिरावट आती है, जबकि आरसीपी 8.5 उच्चतम आधारभूत परिदृश्य है जिसमें उत्सर्जन पूरी सदी में बढ़ता रहता है।
इन क्षेत्रों में दिखेगा लू का असर
अध्ययन में कहा गया है कि भविष्य के अनुमान आरसीपी 4.5 परिदृश्य के तहत मध्यावधि और दीर्घकालिक भविष्य के लिए लू की आवृत्ति में चार से सात गुना वृद्धि और आरसीपी 8.5 परिदृश्य के तहत पांच से 10 गुना वृद्धि दर्शाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘उत्तर-पश्चिमी, मध्य और दक्षिण-मध्य क्षेत्र भविष्य में लू से सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं जबकि दक्षिण-मध्य क्षेत्र में भीषण लू की स्थिति देखी जा सकती है।
लचीली नीतियों को विकसित करना होगा
भविष्य के लिए लू का यह उच्चस्तरीय पूर्वानुमान मानव स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे पर संभावित प्रभाव को कम करने के लिए परिवर्तनकारी एवं लचीली नीतियों को विकसित करने के लिए आधार रेखा के रूप में काम करेगा।’’
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अपने नवीनतम ‘विश्व ऊर्जा परिदृश्य’ में कहा है कि भारत में अगले तीन दशकों में दुनिया के किसी भी देश या क्षेत्र की तुलना में सबसे अधिक ऊर्जा मांग होगी।
घरेलू एयर कंडीशनर चलाने के लिए भारत की बिजली की मांग 2050 तक नौ गुना बढ़ने का अनुमान है।
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