ग्वालियर: 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में संविधान लागू हुआ था। संविधान के बारे में सबने सुना है। लेकिन कम ही लोग होंगे। जिन्होंने इसकी मूल प्रति देखी हो, आपके मन में भी इसे देखने के की उत्सुकता होगी।
किताब पढ़ना एक अलग अनुभव है। उससे भी अलग है देश के संविधान की मूल प्रति को पटलना, ये है संविधान की मूल प्रति मध्यप्रदेश के ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में इसे सहेजकर रखा गया है। इसे 31 मार्च 1956 को यहां लाया गया था। उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 16 मूल प्रतियां भेजी गई। ग्वालियर मध्य प्रदेश का इकलौता शहर है जहां ये संविधान है।
संविधान की ये प्रति कई मायनों में खास हैं। इसके कवर पेज पर सोने के अक्षर अंकित हैं। इस बुक में कुल 231 पेज हैं, जिसमें अनुच्छेदों की जानकारी तो दी गई है ही। संविधान सभा के सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं। भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद और फिरोज गांधी तक के हस्ताक्षर देखे जा सकते हैं।
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई। संविधान सभा के कुल 389 सदस्य थे। लेकिन उस दिन 200 से कुछ अधिक सदस्य ही बैठक में मौजूद हुए। हालांकि 1947 में देश के विभाजन और कुछ रियासतों के संविधान सभा में हिस्सा ना लेने के कारण सभा के सदस्यों की संख्या घट गई। दुनिया के सबसे बडे़ लोकतंत्र के लिये संविधान निर्माण कोई आसान काम नहीं था। इसे बनाने में 284 सदस्यों का सहयोग रहा, दो साल बाद 26 नवंबर 1949 पूर्ण रूप से संविधान तैयार हुआ। संसदीय समिति ने इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया। उस समय इसकी मूल प्रतिया बनाई गई थीं, जिसकी एक प्रति आज भी ग्वालियर की सेन्ट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है।